Karnataka CM Swearing-In Ceremony: कर्नाटक में नई सरकार का शपथ ग्रहण हो गया है. कर्नाटक के गवर्नर थावरचंद गहलौत ने सिद्धारमैया को दूसरी बार कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई. डी के शिवकुमार कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री हैं, उन्होंने भी मंत्रिपद की शपथ ली. इन दोनों के अलावा पार्टी के 8 वरिष्ठ नेताओं ने भी आज मंत्रिपद की शपथ ली है.
8 वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट में मिली जगह
आज जिन 8 वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई है, उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष जी परमेश्वर, लिंगायत नेता एम बी पाटिल और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे रियांक खड़गे शामिल हैं. परमेश्वर और प्रियांक दलित समुदाय से आते हैं.
साथ ही, वरिष्ठ नेता के एच मुनियप्पा, के जे जॉर्ज, सतीश जार्कीहोली, रामालिंगा रेड्डी और बी जेड जमीर अहमद खान ने भी मंत्रिपद की शपथ ली है. मुनियप्पा भी दलित समुदाय से आते हैं. वहीं, खान और जॉर्ज का संबंध अल्पसंख्यक समुदाय से है. जरकीहोली अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं, जबकि रामालिंगा रेड्डी का संबंध रेड्डी जाति से है.
इन 8 वरिष्ठ नेताओं को कैबिनेट में जगह
जी परमेश्वर (SC)
केएच मुनियप्पा (SC)
केजे जॉर्ज (अल्पसंख्यक-ईसाई)
एमबी पाटिल (लिंगायत)
सतीश जरकीहोली (ST-वाल्मीकि)
प्रियांक खड़गे (SC)
रामलिंगा रेड्डी (रेड्डी)
बीजेड जमीर अहमद खान (अल्पसंख्यक-मुस्लिम)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार को शपथग्रहण पर बधाई दी है. फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी G7 में शिरकत करने जापान गए हैं.
अब सिद्धारमैया के सामने अगली चुनौती पोर्टफोलियो का बंटवारा और कैबिनेट विस्तार होगा.
विपक्ष के ये नेता हुए शामिल
शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, NCP के मुखिया शरद पवार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी बेंगलुरु में नव-निर्वाचित कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.
सिद्धारमैया को माना जाता है जननेता
सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक 5 सालों के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं. वो मैसूरु जिले के सिद्धारमनहुंडी से आते हैं. अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों वाले अहिंदा (अल्पसांख्य, हिंदुलिदा और दलित) समूह के बीच सिद्धारमैया को जननेता के तौर पर जाना जाता है.
सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने के पीछे एक बड़ी वजह रही है कि उन्हें गांधी परिवार के ज्यादा करीब माना जाता है और गांधी परिवार अपने करीबियों को मौका देने के लिए जाना जाता है. इससे पहले साल 2018 में जब सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, उस समय उन्होंने कैम्पेनिंग का जिम्मा उठाया था. लेकिन तब उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा था. कांग्रेस पार्टी उस चुनाव में 122 सीटों से 80 सीटों पर सिमट गई थी और उसे JDS के साथ मिलकर सरकार बनानी पड़ी थी.