लोकसभा चुनाव के बाद बाजार में आएगा 'बंपर' विदेशी निवेश: सौरभ मुखर्जी

मुखर्जी ने कहा, पॉलिटिकल फैक्टर के साथ ही मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर भी लार्ज कैप में तेजी के लिए एक शानदार कॉम्बिनेशन बन रहा है.

Source: NDTV Profit हिंदी

लोकसभा चुनाव के बाद बाजार में 'बंपर' विदेशी निवेश आने वाला है और अच्छी तेजी के बावजूद लार्ज कैप शेयर वैल्यूएशन के लिहाज से निवेश के लिए अच्छा सौदा हैं. ऐसा कहना है मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (Marcellus Investment Managers) के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) सौरभ मुखर्जी (Saurabh Mukherjea) का.

NDTV Profit से बातचीत में सौरभ मुखर्जी ने कहा कि पॉलिटिकल फैक्टर के साथ ही मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर भी लार्ज कैप में तेजी के लिए एक शानदार कॉम्बिनेशन बन रहा है.

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उन्होंने कहा कि भारत के लार्ज कैप शेयर रैली के बावजूद किफायती दाम पर मिल रहे हैं. कम लीवरेज वाली कॉरपोरेट बैलेंस शीट के साथ ही, आने वाले कुछ साल में भारत में इकोनॉमिक ग्रोथ के साफ संकेत नजर आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'लार्ज कैप में तेजी की एक बड़ी वजह ये कॉम्बिनेशन है. मुझे नहीं पता कि इस तेजी की बड़ी वजह के पीछे लोकसभा चुनाव फ्रंट या सेंटर में है'.

अगर इकोनॉमिक, फाइनेंशियल और राजनीतिक स्थिरता जैसे फैक्टर्स पर नजर डालें तो FIIs के लिए भारत एक मुफीद जगह है. अगर पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनाव में बन जाती है, तो FII का बंपर इनफ्लो भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिलेगा.

उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि मैंने इस इकोनॉमिक रिकवरी के बाद भी भारतीय लार्ज कैप शेयर को इतने सस्ते दाम पर देखा है, जितना अभी नजर आ रहा है'.

BSFI: क्वार्टर का किंग?

मुखर्जी ने कहा, लेंडिंग सेक्टर अच्छी स्थिति में नजर आ रहा है जहां एसेट क्वालिटी कंट्रोल में नजर आती है. अगर सभी लेंडर्स की एसेट क्वालिटी को फाइनेंसिंग के साथ मिला दिया जाए, तो अगले 12 महीने में बैंकिंग सेक्टर इस साइकिल का सबसे शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं.

अभी तक, लेंडिंग इंजन के तौर पर रिटेल ने ही काम किया है. कॉरपोरेट लेंडिंग अभी अपने पूरे जोश में नहीं आई है, और ये तब होगा जब प्राइवेट कैप का कैपेक्स साइकिल शुरू होगा. उन्होंने कहा, 'हम बैंक और NBFCs में भारी निवेश की सलाह देते हैं'.

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर भी मुखर्जी बहुत पॉजिटिव नजर आते हैं. IT रिक्रूटमेंट में आने वाली तेजी के चलते प्रोजेक्ट एग्जीक्यूशन पर भी फोकस बढ़ता है.

मुखर्जी ने कहा, 'बीते 3 महीने में प्रोजेक्ट्स के शुरू और पूरा होने की लिमिट अपने उच्चतम स्तर पर रही है'. उन्होंने कहा, 'कैपेक्स इकोसिस्टम का हिस्सा रही इन्वेस्टमेंट कंपनियां इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट हैं कि ऑर्डर बुक और बिजनेस एक्टिविटी में रिकवरी आ रही है. दूसरे पैमानों को जोड़ दिया जाए, तो प्राइवेट सेक्टर में कैपेक्स में रिकवरी साफ नजर आ रही है'.

मुखर्जी के मुताबिक, 'अभी तक, कोविड के बाद का दौर सरकारी कैपेक्स का था, लेकिन बीते 3 साल में इसके संकेत भी नजर आने लगे हैं'.

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