BQ Exclusive: डायरेक्टर्स की गुणवत्ता चिंता का विषय; RBI गवर्नर से बोले सरकारी बैंक

22 मई को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के टॉप मैनेजमेंट के साथ नई दिल्ली में RBI गवर्नर के साथ बैठक हुई थी.

Source: Reuters

देश के सरकारी बैंक्स (PSBs ) उनके बोर्ड में शामिल बोर्ड डायरेक्टर्स से खुश नहीं हैं. BQ Prime की एक्सक्लूसिव खबर के मुताबिक- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आला-अधिकारियों ने रिजर्व बैंक गवर्नर से मुलाकात की थी. जिसमें उन्होंने बोर्ड में शामिल डायरेक्टर्स की गुणवत्ता और क्षमताओं को लेकर चिंता जाहिर की थी. बैठक में मौजूद बैंकरों ने RBI गवर्नर से कहा है कि ये अहम मुद्दा है, इससे गवर्नेंस की क्वालिटी पर असर हो रहा है.

बता दें कि 22 मई को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के टॉप मैनेजमेंट के साथ नई दिल्ली में RBI गवर्नर के साथ बैठक हुई थी.

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गुणवत्ता की कमी से डायरेक्टर बोर्ड प्रभावित

सरकारी बैंकों में से एक बड़े बैंक के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि उनके बोर्ड में नियुक्त किए गए कुछ नामित (नॉमिनी) चेहरे अपने व्यक्तिगत क्षेत्रों के विशेषज्ञ हो सकते हैं, लेकिन उन्हें बैंकिंग या वित्तीय सेवाओं (फाइनेंशियल सर्विस) का कोई ज्ञान या समझ नहीं है.

बैंकरों ने कहा कि गुणवत्ता की कमी बोर्ड स्तर पर चर्चाओं को बाधित करता है जहां आप एक निश्चित मानक और संवाद की गुणवत्ता की उम्मीद करते हैं. बुनियादी अवधारणाओं (Basic Concepts) को समझाने में प्रबंधन और बोर्ड का कीमती समय बर्बाद हो जाता है. वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि गुणवत्ता में कमी के कारण बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कमजोर होता है.

चूंकि सरकार कम से कम 51% शेयरहोल्डिंग के साथ सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों (state-owned banks) में प्राथमिक शेयरधारक (प्राइमरी शेयरहोल्डर) है, इसलिए वो इन बोर्ड्स में अधिकांश डायरेक्टर्स को नियुक्त करते हैं.

डायरेक्टर्स को थोपा जा रहा है

इस बैठक में मौजूद दो बैंकर्स ने बताया कि बोर्ड में शामिल सरकारी अधिकारियों को छोड़कर, ऐसे लोगों को भी डायरेक्टर्स के रूप में थोपा जाता है जो राजनीतिक रिश्तों की वजह से आते हैं और उन्हें बैंकिंग की टेक्निकल जानकारियां नहीं होती हैं.

एक मिड साइज सरकारी बैंक के MD और CEO ने कहा कि RBI को उम्मीद है कि बैंकों के निदेशक मंडल (Board of Directors) बैंकों के गवर्नेंस को सरल बनाएंगे लेकिन सच्चाई यही है कि ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऐसे निदेशकों के साथ विवशता में काम करना पड़ता है.

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बोर्ड में फिनटेक बैकग्राउंड से जुड़े लोग हों

बैंकरों ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए लोगों की वैल्यू को कम नहीं आंका जा सकता है, लेकिन ये समझ से परे है कि मेडिकल, मार्केटिंग के विशेषज्ञों को बैंक बोर्ड में क्यों नियुक्त किया जाना चाहिए. जबकि उन्हें ऐसे टेक्नोलॉजी लीडर की जरूरत थी जो नए खोज के साथ फिनटेक को लेकर विचार साझा करता.

सरकारी बैंकों के एक बड़े बैंक के निदेशक मंडल (Board of Directors) में शामिल और 22 मई को हुई बैठक में शामिल एक पूर्व बैंकर ने कहा कि सरकार इन निदेशकों की नियुक्ति एक समिति के माध्यम से करती है, जो एक खास चयन मापदंड का पालन करती है.

Source: RBI twitter handle
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पूर्व बैंकर ने कहा कि सरकार को इस सेलेक्शन क्राइटेरिया को मजबूत करने की आवश्यकता है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग प्रणाली में सबसे बड़े शेयरधारक के रूप में ये उनका विशेषाधिकार है.

22 मई के बैठक की जानकारी RBI वेबसाइट पर नहीं

29 मई को निजी बैंकों के साथ बैठक के मामले के उलट, जहां गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा दिए गए भाषण को RBI की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया था. वहीं RBI ने अभी तक 22 मई को हुई बैठक में गवर्नर के स्पीच की सामग्री जारी नहीं की है.

गौरतलब है कि डिप्टी गवर्नर एम के जैन के स्पीच की एक प्रति, जो दोनों बैठकों में दी गई थी, बुधवार को जारी की गई है.

डिप्टी गवर्नर एम के जैन ने दोनों बैठकों के दौरान कहा कि प्रभावी शासन के लिए एक सक्षम और स्वतंत्र बोर्ड की आवश्यकता होती है, जो सही सवाल पूछकर, जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उचित रणनीति तैयार करने के साथ-साथ उचित नीतियों और प्रक्रियाओं को स्थापित करके मैनेजमेंट की प्रभावी ढंग से देखरेख करे.

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