RBI@90: बर्मा और पाकिस्तान का भी केंद्रीय बैंक था RBI, पढ़िए RBI के बारे में कुछ अनूठे तथ्य

भारत का केंद्रीय बैंक RBI 90 वर्ष का हो चुका है. आजादी के पहले से अबतक रिजर्व बैंक ने इतिहास को बनते देखा है, ये भारत के बैंकिंग सिस्टम के हर पड़ाव का साक्ष्य भी रहा है साक्षी भी.

Source: NDTV Profit

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) 90 साल का हो गया है. अपनी स्थापना से लेकर अब तक इस केंद्रीय बैंक का सफर शानदार रहा है. देश की विशाल अर्थव्यवस्था को देखते हुए RBI का महत्त्व समझा जा सकता है. ऐसे में इस बैंक से जुड़े खास-खास तथ्यों पर एक नजर डालते हैं.

नाम का जादू

किसी भी आदमी का अकाउंट रिजर्व बैंक में नहीं होता, फिर भी यह बैंक हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. वजह कई हैं. यही वह बैंक है, जो तरह-तरह के नोट और सिक्के जारी करता है. लोन पर ब्याज की दर बढ़ने-घटने वाली है या नहीं, ये जानने के लिए भी सबको RBI की पॉलिसी की ओर देखना पड़ता है.

बैंक की स्थापना

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी. इसकी स्थापना के लिए साल 1934 में RBI एक्ट पारित किया गया था. स्थापना हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिशों के आधार पर की गई थी. तब भारत ब्रिटेन का ही उपनिवेश था, लेकिन देश की करेंसी रुपया ही थी.

स्थापना के समय यह निजी शेयरधारक बैंक (Shareholder's Bank) था. लेकिन साल 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. तब से रिजर्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है. शुरू में इस बैंक का सेंट्रल ऑफिस कलकत्ता (कोलकाता) में था. लेकिन 1937 में इसे स्थायी रूप से मुंबई शिफ्ट कर दिया गया. यहीं RBI के गवर्नर बैठते हैं. यहीं से बैंक की पॉलिसी तय होती है.

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बर्मा, पाकिस्तान से जुड़ाव

एक रोचक तथ्य यह है कि RBI ने 1947 तक बर्मा (म्यांमार) और 1948 तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में भी काम किया. दरअसल, बर्मा साल 1937 में ही भारतीय परिसंघ से अलग हो गया था. लेकिन RBI बर्मा पर जापानी कब्जे तक और बाद में अप्रैल, 1947 तक बर्मा के लिए सेंट्रल बैंक के तौर पर काम करता रहा. ऐसे ही देश-विभाजन के बाद RBI ने पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के रूप में भी जून, 1948 तक काम किया.

RBI का लोगो और शुभंकर RBI के लोगो में भी एक मजबूत मैसेज छिपा है. इसके लोगो में एक शेर और ताड़ का पेड़ दिखाया गया है. इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के सिक्के से लिया गया है. इसमें हिंदी और अंग्रेजी में 'भारतीय रिजर्व बैंक' लिखा है. यह लोगो RBI की ताकत और स्थिरता का प्रतीक है.

आज आप इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और स्थिरता से जोड़कर भी देख सकते हैं. रिजर्व बैंक का एक शुभंकर (Mascot) भी है. इसे पैसे के एनिमेटेड रोल जैसा दिखाया गया है. इसे 'मनी कुमार' कहा जाता है. इसके फीमेल वर्जन का नाम है 'मिस मनी'. शुभंकर को अमिताभ बच्चन ने 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) के 13वें सीजन में पेश किया था.

कामकाज पर एक नजर

रिजर्व बैंक देश की वित्तीय व्यवस्था का रेगुलेटर और सुपरवाइजर होता है. यह मोनेटरी पॉलिसी तैयार करता है. साथ ही इसे लागू करने और निगरानी करने का काम भी करता है. इसी के बनाए पैमानों से देश का पूरा बैंकिंग सिस्टम काम करता है. यह करेंसी जारी करता है, एक्सचेंज करता है और चलन में न रहने लायक करेंसी और सिक्कों को नष्ट भी करता है. RBI सरकार के बैंकर के रूप में भी काम करता है. केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह व्यापारी बैंक का रोल अदा करता है. यह बैंकों का बैंकर है. सारे बैंकों के बैंक खाते रखता है.

RBI की अनूठी शक्ति

RBI के पास किसी भी नोट या सिक्के को चलन से बाहर करने की शक्ति है. सबसे ताजा उदाहरण साल 2023 का है, जब रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया था. साल 2016 में सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस ले लिया था. तब इसकी जगह 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट लाए गए थे.

रिजर्व बैंक ने पहले 1938 और 1978 में 5,000 और 10,000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस ले लिया था. इन नोटों को 1954 में फिर से शुरू किया गया, लेकिन 1978 में फिर से इन्हें डिमोनेटाइज्ड कर दिया गया था.

गवर्नरों की बात

स्थापना से लेकर अब तक रिजर्व बैंक के 25 गवर्नर रह चुके हैं. सर ओसबोर्न अर्केल स्मिथ RBI के पहले गवर्नर थे. सर सीडी देशमुख रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे. अगर सबसे लंबे कार्यकाल की बात करें, तो बेनेगल रामाराव साढ़े सात साल तक गवर्नर रहे. वे 1 जुलाई, 1949 से लेकर 14 जनवरी, 1957 तक इस पद पर रहे.

अगर 1991 के आर्थिक सुधारों से लेकर अब तक की बात करें, तो बिमल जालान का कार्यकाल सबसे लंबा रहा. वे 22 नवंबर, 1997 से 6 सितंबर, 2003 तक गवर्नर रहे. हालांकि मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास अपना दूसरा कार्यकाल पूरा होने के पहले ही इस मामले में बिमल जालान को पीछे छोड़ देंगे. वे 12 दिसंबर, 2018 से इस पद पर हैं.

खास बात ये कि RBI के एक गवर्नर आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं. मनमोहन सिंह ने पूरे 10 साल तक देश का नेतृत्व किया.

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