RBI MPC Updates: एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव पर सख्ती क्यों? RBI ने दिया जवाब

इस साल 5 जनवरी को रिजर्व बैंक की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें फॉरेन एक्सचेंज रिस्क्स की हेजिंग के लिए नए फ्रेमवर्क का ऐलान किया गया था.

Source: Reuters

RBI MPC Updates: करेंसी डेरिवेटिव्स में ट्रेड करने वालों के लिए रिजर्व बैंक ने थोड़ी मोहलत दी है. रिजर्व बैंक ने एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स को लेकर जो सर्कुलर जारी किया था, उसे 3 मई तक के लिए टाल दिया है. पहले ये 5 अप्रैल, 2024 से लागू होना था. आज RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के ऐलानों के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि उन्हें सर्कुलर को लागू किए जाने को लेकर फीडबैक मिले थे, जिसमें थोड़ी और मोहलत की मांग की गई थी. इसलिए हमने इसे आगे बढ़ाया है.

'कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल कर रहे थे'

एक सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के तहत नियमों के मुताबिक एक्सचेंज ट्रेड रूपी डेरिवेटिव से जुड़े नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मीडिया से बात करते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "यह कुछ ऐसा है जिसे हर मार्केट का खिलाड़ी जानता था. अगर आप पिछले सर्कुलर्स को बहुत ध्यान से पढ़ें, तो ये हमेशा से रहा है. इसलिए, अगर कोई कहता है कि यह नया है, तो यह सही नहीं है.

डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि कुछ मार्केट प्लेयर 2014 से अंडरलाइंग एक्सपोजर के दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं कराने की छूट का गलत इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने कहा, "अगले कुछ वर्षों में, इसे प्रोत्साहन देने के लिए बाजार के आकार का विस्तार करने के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 100 मिलियन डॉलर कर दिया गया.

5 जनवरी के सर्कुलर में क्या था

इस साल 5 जनवरी को रिजर्व बैंक की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें फॉरेन एक्सचेंज रिस्क्स की हेजिंग के लिए नए फ्रेमवर्क का ऐलान किया गया था. जिसमें ये कहा गया था कि यूजर्स को अंडरलाइंग एक्सपोजर को दिखाने की जरूरत नहीं होगी, और वो फॉरेन करेंसी डेरिवेटिव्स मार्केट्स में पोजीशन ले सकते हैं, जिसकी लिमिट 100 मिलियन डॉलर तक हो सकती है. हालांकि रिजर्व बैंक ने ये शर्त रख दी कि स्टॉक एक्सचेंजेस अपने यूजर्स को ये जरूर बताएं कि भले ही उन्हें अंडरलाइंग एक्सपोजर का सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है, लेकिन वो उन्हें वैध ये रखना जरूर होगा, क्योंकि जब उनसे ये मांगा जाए तो उनके पास होना चाहिए.

रिजर्व बैंक की सफाई

फिर इसके बाद रिजर्व बैंक की ओर से इसे लेकर एक सफाई भी आई, जिसमें रिजर्व बैंक ने जोर देकर कहा कि एक्सचेंजों पर कारोबार किए जाने वाले रुपये के डेरिवेटिव के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क कई वर्षों से बना हुआ है और रिजर्व बैंक के पॉलिसी आउटलुक में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. दरअसल, ये सफाई इसलिए आई क्योंकि इस सर्कुलर की वजह से करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में एक घबराहट सी फैल गई, बीते तीन दिनों से धड़ाधड़ मौजूदा पोजीशन खाली होने लगीं, ब्रोकरेज ने कहा कि रिजर्व बैंक ने बहुत कम समय दिया, ये फैसला करेंसी फ्यूचर्स मार्केट के लिए आगे जाकर काफी नुकसानदेह होगा.

अंडरलाइंग एक्सपोजर की शर्त पूरी करनी होगी

रिजर्व बैंक का कहना है कि इस व्यापक समीक्षा, लोगों से बातचीत, बाजार सहभागियों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार किया गया है. RBI ने रुपये डेरिवेटिव मार्केट में पार्टिसिपेंट्स के लिए "बिना किसी बदलाव के" मौजूदा फ्रेमवर्क पर जोर दिया. रिजर्व बैंक ने कहा कि यूजर्स सभी एक्सचेंज में संयुक्त रूप से 100 मिलियन डॉलर तक रुपया डेरिवेटिव मार्केट में पोजीशन ले सकते हैं, उन्हें अंडरलाइंग एक्सपोजर की जरूरतों को पूरा करना होगा.

जबकि सर्कुलर में पिछले कुछ वर्षों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मकसद को ध्यान में रखते हुए कई बदलाव किए गए. रिजर्व बैंक ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टिसिपेंट्स को 100 मिलियन डॉलर तक के अंडरलाइंग एक्सपोजर साबित करने के लिए दस्तावेजी प्रूफ देने की जरूरीत होगी.

2014 में क्या था नियम, फिर क्या बदला

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को देखते हुए रिजर्व बैंक के 20 जून 2014 के सर्कुलर में एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स (ETCDs) के यूजर्स को अंडरलाइंग एक्सपोजर को स्थापित करने के लिए बिना किसी प्रूफ के, प्रति एक्सचेंज 10 मिलियन डॉलर तक की पोजीशन लेने की इजाजत दी थी, लेकिन एक्सपोजर रखने को लेकर कोई छूट नहीं दी गई थी. प्रेस रिलीज के मुताबिक - अब तक, जिन पार्टिसिपेंट्स के पास अंडरलाइंग कॉन्ट्रैक्टेड एक्सपोजर है, वो एक्सचेंज-ट्रेड रूपी डेरिवेटिव मार्केट में 100 मिलियन डॉलर की सीमा तक "अंडरलाइंग एक्सपोजर के दस्तावेजी सबूत पेश किए बिना लेनदेन जारी रख सकते हैं.

लेकिन अब इसमें एक बड़ा बदलाव कर दिया गया है. यूजर्स को 100 मिलियन डॉलर तक के अंडरलाइंग एक्सपोजर का सबूत देना भी जरूरी होगा. ब्रोकरेज और कॉरपोरेट्स के व्यापारियों के मुताबिक, चूंकि पिछला सर्कुलर 5 अप्रैल से लागू होना था, रिजर्व बैंक ने नियमों में कोई छूट नहीं दी है, इसलिए इससे ब्रोकरेज, कॉरपोरेट्स और रिटेल पार्टिसिपेंट्स के लिए कुछ भी नहीं बदला है.

क्या कहते हैं ब्रोकरेज

नुवामा प्रोफेशनल क्लाइंट ग्रुप के संस्थागत डेस्क में विदेशी मुद्रा और कमोडिटी के हेड, सजल गुप्ता के मुताबिक, अधिकांश पार्टिसिपेंट्स ने पहले ही डॉलर/रुपया वायदा बाजार में अपनी मौजूदा स्थिति को खत्म कर दिया है. करीब 95% लोग अपनी पोजीशन से निकल चुके हैं, बस यही राहत की बात है कि जो लोग अपनी पोजीशन को नहीं छोड़ पाए उन्हें 15-20 दिन और मिल गए हैं. पुराना नियम अब भी है, अगर किसी पार्टिसिपेंट्स के पास अंडरलाइंग एक्सपोजर नहीं है, तो वो नई पोजीशन नहीं ले सकता है.

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