TCS में हिस्सेदारी बेचने के बाद टाटा ग्रुप आगे और भी कंपनियों की हिस्सेदारी बेच सकता है, ताकि नए बिजनेस के लिए पैसा जुटाया जा सके. ध्यान रहे टाटा संस अब तक एसेट मॉनेटाइजेशन से बचता रहा है.
टाटा ग्रुप के एक सीनियर अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर NDTV Profit को बताया कि अब ग्रुप ने अपनी पॉलिसी में बदलाव किया है. हाल में TCS में 9,300 करोड़ रुपये में 0.65% हिस्सेदारी बेचना इसी कवायद का हिस्सा है.
इससे पहले ग्रुप ने सिर्फ दो बार; 2006 और 2007 में TCS में शेयर बेचे थे, जिसके जरिए कुल 1,787 करोड़ रुपये जुटाए गए थे.
लेकिन अब जब ग्रुप को रिन्यूएबल ऊर्जा से लेकर सेमीकंडक्टर तक नए बिजनेसेज के लिए फंड की जरूरत है, तो पारंपरिक तरीकों से हटकर पॉलिसी के नए नियम बनाए जा रहे हैं.
NDTV IOTY 2024 में बोलते हुए टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा था, 'हमारे पारंपरिक सेक्टर्स और उन कंपनियों को जिन्हें हम सालों से चला रहे हैं, उनके अलावा हाल में हम इलेक्ट्रिक व्हीकल मोबिलिटी और नवीन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं, साथ ही हमने धोलेरा में भारत के पहले सेमीकंडक्टर हब की स्थापना की भी घोषणा की है.'
टाटा ग्रुप को रणनीति में बदलाव करने की जरूरत है. लेकिन ऐसी संभावना कम ही है कि टाटा संस किसी लिस्टेड कंपनी में आगे शेयर्स बेचेगा, क्योंकि TCS के अलावा ग्रुप की ज्यादातर लिस्टेड कंपनियों में 50% से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं है. इससे इशारा मिलता है कि ग्रुप फंडिंग जुटाने के लिए IPO का सहारा ले सकता है.
टाटा ग्रुप के निवेश
टाटा संस का इन्वेस्टमेंट से वैल्यू बनाने का शानदार रिकॉर्ड रहा है. पेरेंट कंपनी ने मार्च, 2023 तक ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में 61,453 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसकी कंबाइन वैल्यू करीब 11.20 लाख करोड़ रुपये है.
इसकी तुलना में अनलिस्टेड सब्सिडियरीज में कुल 56,646 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.इनमें से ज्यादातर डिजिटल वेंचर्स (18,942 करोड़ रुपये) और टाटा कैपिटल (7,497 करोड़ रुपये) में गया है. ग्रुप ने तीन एयरलाइंस में भी 9,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है.
टाटा संस ने बीते कुछ समय में अपनी कंपनियों के स्ट्रक्चर को भी आसान बनाया है, इससे भी एसेट मॉनेटाइजेशन में कंपनी को फायदा मिलेगा.
Tata के IPO कैंडिडेट्स
टाटा प्ले पहले रेगुलेटर के पास IPO के कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग जमा कर चुका है. अगले कुछ सालों में टाटा संस नई डिजिटल कंपनियों, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंफ्रा बिजनेस को लिस्ट कराने की दिशा में काम कर सकता है.
फाइनेंशियल सर्विसेज: अनलिस्टेड इंश्योरेंस सब्सिडियरी टाटा AIG, टाटा AIA और टाटा कैपिटल.
इंफ्रा: टाटा हाउसिंग, टाटा रियल्टी और टाटा प्रोजेक्ट्स. टाटा प्रोजेक्ट्स में टाटा संस की 44.5% हिस्सेदारी है. बाकी हिस्सेदारी टाटा पावर, टाटा केमिकल्स, वोल्टास और टाटा कैपिटल & टाटा इंडस्ट्रीज की है.
टाटा डिजिटल: टाटा Cliq, टाटा 1mg, बिग बॉस्केट और क्रोमा