गर्मी अभी पूरी तरह से आई नहीं है, लेकिन बिजली के मीटर ने रफ्तार पकड़ ली है. अप्रैल के पहले 15 दिन में देश की बिजली खपत (Power Consumption) करीब 10% बढ़कर 70.66 बिलियन यूनिट हो गई. ये आंकड़ा बीते साल अप्रैल के पहले 15 दिनों की तुलना में है. बिजली मंत्रालय के मुताबिक इसका मतलब आर्थिक गतिविधियों और खपत पैटर्न में सुधार हुआ है.
गर्मी के सीजन (अप्रैल-जून) के दौरान बिजली मंत्रालय ने पीक पावर डिमांड 260 GW रहने का अनुमान जताया है. सितंबर में पीक पावर डिमांड 243 GW रही थी, जो कि अबतक का रिकॉर्ड स्तर है.
इस दौरान एक दिन की पीक पावर सप्लाई 218 गीगावाट (GW) दर्ज की गई, बीते साल इसी अवधि के बीच पीक सप्लाई 206 GW थी. बीते साल पूरे अप्रैल में पीक सप्लाई इस साल अप्रैल के 15 दिन की पीक सप्लाई से कम ही दर्ज की गई थी, ये आंकड़ा 216 गीगावाट का था.
बिजली खपत बढ़ने का कारण
मौसम विभाग ने आगाह किया है कि इस साल गर्मियों में देश के ज्यादातक हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा. इसलिए आने वाले दिनों में बिजली की मांग बढ़ेगी, हालांकि देश के तमाम हिस्सों में बारिश ने कूलर, AC की जरूरत को कम किया है.
दरअसल बिजली खपत बढ़ने का मुख्य कारण तरह-तरह के गैजेट्स का बढ़ता इस्तेमाल है. भारत में ये इस्तेमाल विकसित देशों जैसा हो रहा है.
इसके अलावा इलेक्ट्रिक बसों, कारों, रिक्शा और रेलवे जैसे क्षेत्रों में बिजली की खपत पैटर्न को बदलता हुआ देखा जा रहा है. जिसकी वजह से प्रति व्यक्ति एवरेज खपत में बढ़ोतरी हुई है.