कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने उच्च श्रेणी के कोयले (G2-G10) की कीमतें 8% बढ़ा दी हैं. इसका असर कोयला से बिजली बनाने वाले प्लांट्स पर पड़ेगा और ऐसे में आम लोगों के लिए बिजली महंगी हो सकती है. पावर टैरिफ में 12 से 18 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी हो सकती है.
बता दें कि G2-G10 कोयला, नॉन-कुकिंग कोयला होता है, जिसका बड़ी मात्रा में इस्तेमाल इलेक्ट्रिसिटी पॉवर प्लांट्स द्वारा बिजली पैदा करने में किया जाता है. ऐसे में साफ है कि कीमतों में बढ़ोतरी से बिजली उत्पादन की लागत बढ़ेगी और कंज्यूमर्स के लिए बिजली बिल भी बढ़ सकता है.
कंपनी ने 30 मई को जारी नोटिफिकेशन में बताया है कि कोल इंडिया लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने अपनी बैठक में नॉन-कुकिंग कोयले की कीमतों में बदलावों को मंजूरी दे दी है. बोर्ड ने G2-G10 ग्रेड के उच्च ग्रेड कोयले के लिए 8% की कीमत बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. ये रेगुलेटेड और नॉन-रेगुलेटेड सेक्टर्स के लिए NEC सहित CIL की सभी सहायक कंपनियों पर लागू होगा.
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
S&P ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स में कोल प्राइसिंग हेड दीपक कन्नन ने BQ Prime को बताया कि राज्य-संचालित यूटिलिटीज के पास लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स हैं और ये नीलामी में बहुत कम मात्रा में ही कोयला खरीद करते हैं. दूसरी ओर कोस्टल प्लांट्स काफी हद तक इम्पोर्ट किए जाने वाले कोयले पर निर्भर हैं. लेकिन कोयले में मूल्य वृद्धि का असर कॉन्ट्रैक्ट्स पर पड़ सकता है.
कन्नन ने कहा, 'औसतन 3 रुपये प्रति यूनिट टैरिफ पर, कोयले की कीमत में 8% की बढ़ोतरी से कंज्यूमर्स के लिए 12 से 18 पैसे प्रति यूनिट बढ़ोतरी हो सकती है. आने वाले समय में इस बिंदु पर और स्पष्टता आएगी.'
इलारा सिक्योरिटीज (Elara Securities) के वाइस प्रेसिडेंट और पावर एनालिस्ट रूपेश सांखे ने कहा, 'कोयले की कीमत में बढ़ोतरी का असर करीब 10-12 पैसे प्रति यूनिट तक की हो सकता है.' हालांकि कुछ अन्य जानकारों के अनुसार, इसका प्रभाव सीमित रहेगा. क्योंकि ज्यादातर बिजली कंपनियां आमतौर पर निम्न श्रेणी वाले कोयले का इस्तेमाल करती हैं.
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CIL का 80% हाई ग्रेड कोयला बिजली कंपनियों को
G2-G10 श्रेणी का कोयला कोल इंडिया की कुल मात्रा का लगभग 30-35% है, जिसमें से करीब 80% बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को जाता है. कोल इंडिया इस तरह के कोयले का करीब 210 मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन करती है. इनका 80% यानी करीब 168 मिलियन टन बिजली कंपनियों को जाता है.
कोल इंडिया के इंक्रीमेंटल वेज बिल का असर
2018 के बाद ये पहली बार है कि देश की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया ने कोयले की कीमतों में बदलाव किया है. इस बढ़ोतरी के पीछे की बड़ी वजह, कर्मचारियों के लिए ज्यादा भत्ता और बेनिफिट्स की अनुमति देने वाले नए वेज बिल को मंजूरी दिया जाना बताया जा रहा है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड ने एक रिपोर्ट में कहा, "वित्त वर्ष 2024 में CIL के वेज बिल में 6,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होने की उम्मीद है. कोयले में मूल्य वृद्धि से, बढ़े हुए वेतन का बोझ 50% तक कम होने की संभावना है.'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'कीमतों में बढ़ोतरी के चलते रेवेन्यू में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए हमने अपने राजस्व अनुमानों में 2% की बढ़ोतरी की है.'
मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, अप्रैल और मई में ई-ऑक्शन प्रीमियम में भारी गिरावट आई है और नियर टर्म आउटलुक भी नरम बना हुआ है. ब्रोकरेज ने मूल्य वृद्धि के लाभ को ध्यान में रखते हुए कोल इंडिया के EBITDA/APAT अनुमान को 2.4% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया है.