तेल, साबुन, बिस्किट समेत घरेलू राशन की कीमतें अप्रैल में बढ़ीं, क्या आगे भी बढ़ेंगे भाव?

मार्केट रिसर्चर NielsenIQ के मुताबिक FMCG इंडस्ट्री के लिए प्राइसिंग ग्रोथ साल 2022 में 10% थी, जो कि गिरकर साल 2023 में 2.7% पर आ गई. इस गिरावट की बड़ी वजह पिछले साल ज्यादातर प्रोडक्ट्स की कीमतों में आई कमी को माना जा सकता है.

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तेल, साबुन, आटा, चीनी, बिस्किट जैसी रोजमर्रा की इस्तेमाल वाली चीजें अब महंगी हो चुकी हैं. इन फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स यानी FMCG को बनाने वाली कंपनियों ने अप्रैल में कमोडिटी कीमतों की बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए इन चीजों के दाम बढ़ा दिए हैं. हालांकि कीमतों में ये बढ़ोतरी नाममात्र की है, फिर भी चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

मैरिको

मैरिको के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO सौगत गुप्ता के मुताबिक, गरी या सूखे नारियल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से, मैरिको ने अपने पैराशूट हेयर ऑयल रेंज के चुनिंदा पैक्स की कीमतें 6% तक बढ़ा दी हैं. गुप्ता को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में घरेलू रेवेन्यू ग्रोथ, वॉल्यूम ग्रोथ से ज्यादा हो जाएगी.

गोदरेज कंज्यूमर

गोदरेज कंज्यूमर के CEO आसिफ मालबारी ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने साबुन की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी की है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में पाम ऑयल के दाम बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि 'हमें उम्मीद है अब कीमतों में बढ़ोतरी एक बार फिर शुरू हो गई है, ऐसे में हमें उम्मीद है कि वित्तवर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सेल्स ग्रोथ, वॉल्यूम ग्रोथ से ज्यादा रहेगी.'

हिंदुस्तान यूनिलीवर

हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के CFO रितेश तिवारी का कहना है कि कंपनी का अनुमान है कि उसकी निकट अवधि की प्राइस ग्रोथ सिंगल डिजिट तक गिरेगी. CFO ने कहा कि 'अगर कमोडिटी की कीमतें जहां हैं वहीं बनी रहती हैं, तो हम मिड-टर्म में सेल्स ग्रोथ में स्थिरत की उम्मीद करते हैं.' कंपनी इस वक्त कच्चे माल की कीमतों पर नजर बनाए हुए है.

ब्रिटानिया

ब्रिटानिया के मैनेजिंग डायरेकट्र वरुण बेरी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई 3-4% के बीच रहेगी, खासकर चुनाव के बाद. वरुण बेरी ने कहा, 'इस वर्ष का आउटलुक डेफ्लेशनरी नहीं है, बल्कि एक स्वस्थ महंगाई का है. उन्होंने कहा, 'आने वाली तिमाहियों में खासतौर पर गेहूं और चीनी में महंगाई बने रहेगी.' वरुण बेरी ने कहा 'हालांकि गेहूं का उत्पादन अच्छा रहा है, लेकिन सरकार के पास फिलहाल कम भंडार है.

सरकारी खरीद में बढ़ोतरी से पूरे वर्ष गेहूं की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है. साथ ही चीनी का कम उत्पादन चीनी की कीमतों में महंगाई बढ़ने की ओर इशारा भी करता है.' उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कमोडिटी की महंगाई को मैनेज किया जा सकता है, वो फिलहाल इस स्तर पर है. फिलहाल ब्रिटानिया इनपुट कॉस्ट महंगाई के असर का आंकलन कर रही है.

इससे पहले, डाबर और इमामी जैसी कंपनियों ने भी अलग अलग कैटेगरी में इनपुट कॉस्ट और खपत के रुझान को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष में कीमतों में 1-3% की मामूली बढ़ोतरी का संकेत दिया था.

वॉल्यूम ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद

मार्केट रिसर्चर NielsenIQ के मुताबिक FMCG इंडस्ट्री के लिए प्राइसिंग ग्रोथ साल 2022 में 10% थी, जो कि गिरकर साल 2023 में 2.7% पर आ गई. इस गिरावट की बड़ी वजह पिछले साल ज्यादातर प्रोडक्ट्स की कीमतों में आई कमी को माना जा सकता है.

साल 2022 की बात करें, तो बड़े पैमाने पर जियोपॉलिटिकल उठा-पटक रही, जिसकी वजह से पाम तेल, कच्चे तेल और पैकेजिंग मैटेरियल्स की इनपुट कॉस्ट में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली थी.

इसी का नतीजा था कि ज्यादातर कंपनियों ने हाल की तिमाहियों में वैल्यू ग्रोथ के मुकाबले वॉल्यूम ग्रोथ में उछाल देखा, क्योंकि ओवरऑल डिमांड सुस्त रहने के बावजूद कीमतों में कमी आई.

कंपनियां अब अपनी मूल्य निर्धारण की ताकत बढ़ा रही हैं क्योंकि वॉल्यूम में आखिरकार सुधार के कुछ संकेत दिखाई दे रहे हैं. सभी की निगाहें संभावित अच्छे मॉनसून और चुनाव के बाद अनुमानित ग्रामीण खर्च पर हैं, जिससे वॉल्यूम में और बढ़ोतरी होगी. FMCG में करीब 70% ग्रोथ, वॉल्यूम बढ़ने आती है. बाकी प्राइस एडजस्टमेंट से आता है.

लेखक सेसा सेन
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