डिप्टी CM होकर भी DK शिवकुमार के पास होगा बस 'मंत्री' के बराबर ओहदा, कोई विशेषाधिकार नहीं!

डिप्टी PM हो या फिर डिप्टी CM, असल में इनके पास कोई विशेष सुविधाएं या विशेषाधिकार नहीं होते.

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साल था- 1989. आम चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जनता दल ने सहयोगियों के साथ सरकार बनाई. प्रधानमंत्री बने, विश्वनाथ प्रताप सिंह और ​देवीलाल चौधरी को डिप्टी PM बनाया गया. शपथग्रहण के दौरान देवीलाल की बारी आई तो वो खुद को बार-बार उप प्रधानमंत्री बोल रहे थे. तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने उन्हें इसके लिए टोका.

ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. कोर्ट में इस पद के अधिकारों को स्पष्ट किए जाने को लेकर याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने कहा कि भले वो खुद को उप प्रधानमंत्री मानें लेकिन उनके अधिकार केंद्रीय मंत्री की तरह ही रहेंगे. वेंकटरमण ने अपनी किताब 'कमीशन फॉर ऑमिशन ऑफ इंडियन प्रेसिडेंट' में इस वाकये का जिक्र किया है.

बहरहाल आज 'डिप्टी' पद की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि कर्नाटक के CM की कुर्सी सिद्धारमैया को मिली है, जबकि DK शिवकुमार को 'डिप्टी CM' की कुर्सी से संतोष करना पड़ा है.

दरअसल डिप्टी PM हो या फिर डिप्टी CM, ये पद केवल दिखावटी ओहदे की तरह होते हैं. असल में इनके पास कोई विशेषाधिकार नहीं होते और न ही किसी मंत्री की तुलना में विशेष सुविधाएं या वेतन-भत्ते वगैरह मिलते हैं.

तो फिर डिप्टी CM करते क्या हैं? क्या मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रदेश की कमान उनके हाथ में होती है? उनके जिम्मे कौन-से काम होते हैं? आइए समझने की कोशिश करते हैं.

कोई संवैधानिक पद नहीं

मुख्यमंत्री, राज्य के मुखिया होते हैं. कोई योजना पास करने, कैबिनेट मीटिंग में लिए जाने वाले फैसलों में उनकी भूमिका होती है. लेकिन क्या डिप्टी CM के पास ऐसे कुछ अधिकार होते हैं? आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि ये पद ही संवैधानिक नहीं है.

संसदीय मामलों के जानकार सूरज मोहन झा ने BQ Prime हिंदी से बातचीत में बताया कि संविधान में डिप्टी PM या डिप्टी CM जैसे पदों का उल्लेख ही नहीं है. उन्होंने कहा कि शपथ-ग्रहण समारोह में भी डिप्टी PM या डिप्टी CM, एक कैबिनेट मंत्री के तौर पर ही शपथ ले सकते हैं.

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राज्य नहीं चला सकते!

मुख्यमंत्री के प्रदेश या देश से बाहर होने की स्थिति में डिप्टी CM सरकार नहीं चला सकते! सूरज मोहन झा ने बताया कि ऐसी परिस्थिति में भी डिप्टी CM को प्रदेश की अगुवाई का अधिकार नहीं होता. तो फिर किसके हाथ में कमान होती है?

सूरज बताते हैं कि मुख्यमंत्री चाहें तो जरूरी राजकीय दायित्व पूरा करने के लिए वो अपनी कैबिनेट में शामिल किसी भी वरिष्ठ मंत्री को कुछ 'शक्ति' दे सकते हैं. हो सकता है कि वो वरिष्ठ मंत्री, डिप्टी CM ही हों. ये राज्य सरकार की जरूरत और CM की इच्छा, दोनों पर निर्भर करता है.

स्पष्ट है कि डिप्टी CM के पास विशेषाधिकार नहीं होते. अगर संविधान में डिप्टी CM का पद शामिल होता, तो ही उनके नाम कुछ विशेष शक्तियां होतीं.

तो फिर डिप्टी CM का काम क्या है?

डिप्टी सीएम, कैबिनेट मंत्री की ही तरह होते हैं. उन्हें उन मंत्रालयों या विभागों की ​जिम्मेदारी होती है, जो उन्हें सौंपे जाते हैं. जैसे अगर DK शिवकुमार को गृह विभाग या शहरी विकास विभाग दिया जाए तो इन विभागों के तहत कार्य और योजनाओं से जुड़े फैसलों पर उनका अधिकार होता है.

डिप्टी CM को भी कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की तरह ही सुविधाएं मिलती हैं. उन्हें अलग से कोई सुविधा या भत्ते नहीं मिलते हैं. असल मुद्दा विभागों के बंटवारे का होता है. जिस मंत्री को जितना महत्वपूर्ण मंत्रालय या विभाग मिलता है, उसका कद उतना ही महत्वपूर्ण होता है.

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