पुराना फ्लैट बेचकर नया खरीदने जा रहे हैं तो पहले टैक्स का गणित समझ लें, बच जाएगी मोटी रकम!

रिहायशी घर (Residential house) को बेचने पर लागू कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) से जुड़े नियमों का ब्योरा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 48 के तहत दिया गया है.

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आशीष ने 7 साल पहले 40 लाख रुपये में एक फ्लैट खरीदा था, जिसे बेचकर अब वे दूसरा मकान खरीदना चाहते हैं. इस दौरान उनके फ्लैट की कीमत बढ़कर 80 लाख रुपये हो चुकी है. उन्हें यह चिंता सता रही है कि पुराना फ्लैट बेचकर नया घर खरीदने से जुड़े इस लेनदेन की वजह से क्या उन पर इनकम टैक्स की देनदारी बढ़ जाएगी?

प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त से जुड़े अहम सवाल

अगर हां, तो टैक्स किस हिसाब से देना होगा? अगर उनका 40 लाख में खरीदा गया फ्लैट अब 80 लाख रुपये में बिकता है, तो क्या उन्हें पूरी रकम पर टैक्स देना होगा? या फिर 40 लाख रुपये के मुनाफे पर ही टैक्स लगेगा? उन्हें किसी सहयोगी ने बताया कि पुराने घर को बेचने से मिले पैसों से अगर वे नया घर खरीद लें तो टैक्स में राहत मिल सकती है. लेकिन इस बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं है. उनका एक सवाल यह भी है कि अगर वे घर बेचने से मिली पूरी रकम नए घर में नहीं लगाते, बल्कि उसका सिर्फ एक हिस्सा ही नया फ्लैट खरीदने पर खर्च करते हैं, तो क्या उन्हें बाकी रकम पर टैक्स देना होगा? आशीष के इन तमाम सवालों के जवाब हम यहां समझने की कोशश करेंगे.

क्या कहते हैं इनकम टैक्स के नियम

रिहायशी घर (Residential house) को बेचने पर लागू कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) से जुड़े नियमों का ब्योरा इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 48 के तहत दिया गया है. इन नियमों के तहत अगर किसी रेजिडेंशियल फ्लैट या मकान को खरीदने के बाद 24 महीने से ज्यादा समय तक होल्ड करने के बाद बेचा जाए तो उस पर होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) यानी दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ माना जाता है.

इस लॉन्ग टर्म बेनिफिट पर 20% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. मुनाफे का कैलकुलेशन करने के लिए घर को बेचने से हुई आय में से उस हाउसिंग प्रॉपर्टी को खरीदने की कुल लागत के अलावा होल्डिंग पीरियड के दौरान उस प्रॉपर्टी के डेवलपमेंट पर हुए खर्च को भी घटाया जाता है. इसके अलावा प्रॉपर्टी को बेचने पर होने वाले खर्च, मसलन, ब्रोकरेज, लीगल फीस वगैरह को भी मुनाफे से घटाया जाता है.

इंडेक्सेशन बेनिफिट

रिहायशी प्रॉपर्टी को बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स का कैलकुलेशन करने से पहले उसके खरीद मूल्य को इंफ्लेशन यानी महंगाई दर के हिसाब से एडजस्ट भी किया जाता है, ताकि उसकी सही लागत निकाली जा सके. इसके लिए सरकार द्वारा हर साल जारी कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स (CII) का इस्तेमाल होता है. CII के जरिये प्रॉपर्टी की सही लागत निकालने को इंडेक्सेशन बेनिफिट भी कहते हैं. इससे प्रॉपर्टी की लागत इंफ्लेशन के अनुपात में बढ़ जाती है और मुनाफा कम हो जाता है. जाहिर है जब मुनाफा कम निकलेगा तो उस पर लगने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी घट जाएगा.

एक घर बेचकर दूसरा खरीदें तो टैक्स में मिलती है छूट

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 54 के तहत अगर कोई व्यक्ति अपनी रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी से मिले पैसों का इस्तेमाल दूसरा रिहायशी घर खरीदने के लिए करता है, तो उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिल सकती है. लेकिन यह छूट सिर्फ इंडिविजुअर टैक्सपेयर्स या हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) को ही मिलती है. फर्म, सोसायटी या एसोसिएशन वगैरह को इसका लाभ नहीं मिलता. इस छूट को हासिल करने के लिए कुछ शर्तों का पूरा होना भी जरूरी है.

  • बेची गई प्रॉपर्टी का रिहायशी घर होना जरूरी है.

  • घर बेचने के बाद 2 साल के भीतर दूसरा घर खरीदना जरूरी है.

  • घर बेचने के बाद अगर नया घर बनाया जा रहा है यानी उसका कंस्ट्रक्शन हो रहा है, तो उसका निर्माण 3 साल में पूरा होना जरूरी है.

  • पुराना घर बेचे जाने की तारीख से एक साल पहले तक खरीदे गए दूसरे घर पर भी यह छूट क्लेम की जा सकती है.

  • नया घर भारत में ही होना चाहिए. देश से बाहर दूसरा घर खरीदने या बनाने के लिए टैक्स में छूट क्लेम नहीं की जा सकती है.

  • 1 अप्रैल 2023 से सेक्शन 54 और सेक्शन 54 F के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स पर मिलने वाली छूट की अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये तय कर दी गई है. इससे पहले इस छूट के लिए ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी.

  • एसेसमेंट इयर 2020-21 से लागू नए नियमों के तहत अब कैपिटल गेन्स टैक्स में छूट दो रेजिडेंशियल हाउस खरीदने या बनाने के लिए भी क्लेम किया जा सकता है. लेकिन ऐसी स्थिति में कुल कैपिटल गेन 2 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

दूसरा घर खरीदने के बाद बची रकम पर कितना लगेगा टैक्स?

अब आते हैं इस सवाल पर कि पुराना घर बेचने से मिली पूरी रकम अगर नया घर खरीदने में खर्च न हो, तो उस पर किस हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा?

इसके लिए सबसे पहले पुराने घर को बेचने से मिली रकम में उस घर की ओरिजिनल लागत, घर के इंप्रूवमेंट पर हुए खर्च की रकम, इंडेक्सेशन बेनिफिट और घर बेचने से जुड़े सारे खर्चों को एडजस्ट किया जाएगा. इसके बाद जो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी मुनाफा आएगा, उसमें से नए घर को खरीदने की लागत को घटाएंगे. इसके बाद भी अगर कोई रकम बच जाएगी, तो उस पर 20% की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा.

यानी अगर आशीष का 40 लाख रुपये में खरीदा गया रिहायशी फ्लैट 7 साल बाद 80 लाख रुपये में बिकता है और इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद उनके पुराने फ्लैट की मौजूदा लागत 48 लाख रुपये आती है और 2 लाख रुपये फ्लैट बेचने पर प्रॉसेस में खर्च हो जाते हैं, तो उनका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी मुनाफा 30 लाख रुपये ही होगा. ऐसे में अगर वे नया फ्लैट 30 लाख रुपये में खरीदते हैं, तो उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. लेकिन अगर वे दूसरा फ्लैट 25 लाख रुपये में खरीदते हैं, तो बाकी 5 लाख रुपये के मुनाफे पर उन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ सकता है.

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