Fed Minutes: इस साल के अंत तक अमेरिका में आएगी मंदी! फेड के मिनट्स में जताई गई आशंका

फेड का कहना है कि ये सबसे खराब बैंकिंग संकट है, मगर ये उम्मीद की जा सकती है ये सिर्फ कुछ छोटे बैंकों तक ही सीमित रह सकता है, और वो भी उन बैंकों तक जिनका रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस खराब है.

Source: Reuters

अमेरिका में इस साल मंदी आ सकती है, फेड की ओर से जारी मिनट्स में इस बात की आशंका जताई गई है. बुधवार को फेडरल रिजर्व की ओर से जारी मिनट्स में कहा गया है कि अमेरिका की बैंकिंग संकट की वजह से इस साल के अंत तक मंदी आ सकती है. हालांकि फेडरल रिजर्व को महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिली है, लेकिन क्या इससे ब्याज दरों की बढ़ोतरी पर ब्रेक लगेगा और अगर नहीं, तो फिर इकोनॉमी को फेड कैसे संभालेगा.

इस साल के अंत तक मंदी की आशंका

फेड के सदस्यों ने इस बात की आशंका जताई है कि इस साल के अंत तक मंदी आएगी और इस मंदी से रिकवर होने में कम से कम दो साल का वक्त लगेगा. फेड के सदस्यों ने मिनट्स में कहा कि अमेरिका के बैंकिंग सेक्टर में जो कुछ भी हुआ है, उसका असर घरों, बिजनेस और आर्थिक गतिविधियों, हायरिंग और महंगाई पर पड़ा है क्योंकि कर्जों को लेकर सख्ती बढ़ है.

फेड का कहना है कि ये सबसे खराब बैंकिंग संकट है, मगर ये उम्मीद की जा सकती है ये सिर्फ कुछ छोटे बैंकों तक ही सीमित रह सकता है, और वो भी उन बैंकों तक जिनका रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस खराब है.

GDP को लगेगा झटका

फेड के वाइस चेयरमैन माइकल बार का कहना है कि 'अमेरिका का बैंकिंग सिस्टम मजबूत और लचीला बना रहेगा, हालांकि इकोनॉमी पर इसका विपरीत प्रभाव देखन को मिल सकता है.'

फेड के मिनट्स में अधिकारियों ने अनुमान लगाया गया है कि साल 2023 में GDP सिर्फ 0.4% रह सकती है. अब इससे अर्थशास्त्री ये अनुमान लगा रहा है कि फेड ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर लगाम कसेगा, लेकिन फेड के अधिकारियों की सोच कुछ और है, वो महंगाई को काबू करने के लिए एक और बढ़ोतरी की गुंजाइश देखते हैं

अगली बैठक में 25bps की कटौती तय!

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगली बैठक में फेडरल रिजर्व 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करेगा, इसके बाद दरों की बढ़ोतरी पर लगाम लगेगी, लेकिन मिनट्स की भाषा और फेड के अधिकारियों के कमेंट्स अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से मेल नहीं खाते. फेड का आउटलुक क्रेडिट सख्ती और उसका इकोनॉमी पर असर को लेकर कुछ निश्चित नहीं है, इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि दरों में बढ़ोतरी का रास्ता अभी खुला है.

FOMC के वाइस चेयरमैन और न्यूयॉर्क फेड प्रेसिडेंट जॉन विलियम्स का कहना है कि एक और बढ़ोतरी के बाद दरों में ठहराव तार्किक लगता है. जिस पर 2-3 मई को होने वाली फेड की पॉलिसी बैठक में फैसला होगा.

वॉशिंगटन में LH Meyer के इकोनॉमिस्ट डेरेक टैंग का कहना है कि ऐसा लगता है कि मई में फेड ब्याज दरें बढ़ा सकता है, जिससे इकोनॉमी में और सुस्ती देखने को मिलेगी.

महंगाई के मोर्चे पर राहत

फेड की दुनिया महंगाई की इर्द-गिर्द घूमती है, मार्च में महंगाई के मोर्चे पर अमेरिका को राहत मिली है. अमेरिकी श्रम विभाग ने बुधवार को बताया कि फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में बढ़ोतरी के चलते महंगाई दर कम हुई है. US Bureau of Labor Statistics के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में मार्च महंगाई दर गिरकर 5% पर पहुंच गई है. फरवरी में महंगाई दर 6% पर थी.

आंकड़ों के मुताबिक, मार्च का CPI डाटा करीब 2 सालों के निचले स्तर पर है. अमेरिकी बाजार को महंगाई दर के 5.2% रहने का अनुमान था. मई में दर 0.25% बढ़ने की आशंका है. 2-3 मई को अमेरिकी फेड की बैठक होनी है.

फूड और एनर्जी को छोड़कर कोर इंफ्लेशन रेट मंथली आधार पर 0.4% रहा, जबकि सालाना आधार पर यह 5.6% रहा. दोनों ही उम्मीद के अनुरूप बताया गया. मंथली आधार पर मार्च में रीटेल इंफ्लेशन रेट 0.1% रहा.

अब मई की बैठक में एक बात तो काफी हद तक तय मानी जा रही है कि फेड ब्याज दरों में चौथाई बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर सकता है, लेकिन नजरें इस बात पर टिकी रहेंगी कि इसके बाद क्या होगा? क्या फेड अपने हॉकिश रवैये में बदलाव करेगा.

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