नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने बेंचमार्क निफ्टी 50 (Nifty 50) समेत कुछ चुनिंदा इंडेक्स के लॉट साइज में बदलाव करते हुए इसे कम कर दिया है. निफ्टी 50 के लिए मार्केट लॉट को घटा कर 25 कर दिया गया है.
मंगलवार को जारी सर्कुलर के अनुसार, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज (FINNIFTY) को 40 से घटाकर 25 कर दिया गया है, और निफ्टी मिडकैप सिलेक्ट (MIDCPNIFTY) को 75 से घटाकर 50 कर दिया गया है. निफ्टी बैंक का मार्केट लॉट पहले की तरह 15 ही रहेगा.
लॉट साइज में ये बदलाव डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स में पीरियडिक रिव्यू का हिस्सा हैं और ये 26 अप्रैल से लागू होंगे. एक्सचेंज ने पिछले हफ्ते अपने पीरियडिक रिव्यू के हिस्से के रूप में चुनिंदा बड़े और मिड-कैप शेयरों के लिए लॉट साइज को संशोधित किया.
बता दें कि मार्केट लॉट एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट की यूनिट्स नंबर काे दर्शाता है, जो एक्सचेंज पर खरीदे गए हैं.
निफ्टी 50 इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए, ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध सभी कॉन्ट्रैक्ट्स (साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक और अर्ध-वार्षिक समाप्ति) 26 अप्रैल की ट्रेड डेट से रिवाइज्ड मार्केट लॉट साइज के साथ होंगे.
25 अप्रैल की क्लोजिंग से जेनरेटेड और 26 अप्रैल से ट्रेडिंग के लिए मौजूद एवलेबल सारे नए कॉन्ट्रैक्ट्स रिवाइज्ड मार्केट लॉट साइज के साथ होंगे. NSE ने कहा कि अप्रैल 2024 की मंथली एक्सपायरी के मार्केट लॉट में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जो 25 अप्रैल, 2024 को एक्सपायर हो रहा है.
पहला मंथली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट
निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए, संशोधित मार्केट लॉट वाला पहला मंथली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट जुलाई 2024 में एक्सपायर होगा, जो 30 जुलाई को एक्सपायर हो रहा है.
निफ्टी मिडकैप सर्विसेज के लिए, संशोधित मार्केट लॉट वाला पहला मंथली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट जुलाई 2024 में एक्सपायर होगा, जो 29 जुलाई को एक्सपायर हो रहा है.
इसी तरह, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए 30 अप्रैल, 28 मई और 25 जून को होने वाली मौजूदा मंथली एक्सपायरी के मार्केट लॉट साइज में कोई संशोधन नहीं होगा.
निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स 29 अप्रैल, 27 मई और 24 जून को एक्सपायर हो रहे हैं.
हर 6 महीने पर करनी होती है समीक्षा
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों के अनुसार, डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज 5-10 लाख रुपये के भीतर तय किया जाएगा. एक्सचेंजों को जरूरी एडजस्टमेंट्स के आधार पर हर 6 महीने में एक बार लॉट साइज की समीक्षा करनी होती है.