बढ़ती गर्मी में बिजनेस बढ़ाने के लिए आइसक्रीम कंपनियां तैयार, जानें क्या है प्लानिंग?

बीते दो साल में दूध और क्रीम प्रोडक्ट की कीमतें हर महीने बढ़ती रहीं. इसलिए मार्जिन के दबाव को कम करने के लिए आइसक्रीम (Ice cream) कंपनियों को अपने रेट बढ़ाने पड़े. लेकिन इस साल हालात काबू में हैं.

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गर्मियां आ रही हैं, साथ ही आ रहा है आइसक्रीम (Ice cream) का सीजन भी. तापमान बढ़ने के साथ आइसक्रीम की बिक्री में भी बढ़ोतरी होगी. इसी के चलते आइसक्रीम के बिजनेस के लोगों के बीच खासा उत्साह है.

अमूल (Amul), मदर डेयरी (Mother Dairy) और बास्किन रॉबिंस (Baskin Robbins) जैसे ब्रांड्स ने इस बार के सीजन सेल के लिए योजनाएं बनाई हैं. ये अपने नए स्टोर खोल रहे हैं और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए नीतियां बना रहे हैं. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के MD (Managing Director)  जयेन मेहता के मुताबिक, अमूल इस इंडस्ट्री का सबसे बड़ा खिलाड़ी है और 25-30% की दर से बढ़ रहा है.

जयेन मेहता का अनुमान है कि पिछले साल की तुलना में इस साल अप्रैल-जून के महीने में आइसक्रीम की बिक्री में 45-50% की बढ़ोतरी होगी.

"जैसा कि पिछले सप्ताह से पारा तेजी से बढ़ रहा है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि 2024-25 में आइसक्रीम की बिक्री में बंपर उछाल आएगा."
जयेन मेहता, MD, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड

दरअसल बीते साल बेमौसम बारिश की वजह से बिक्री कम हो गई थी.

1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा अमूल

अमूल ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता को बढ़ाने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके लिए अमूल ने ग्रीनफील्ड परियोजनाओं (Greenfield Projects) का सहारा लिया है यानी पहले से मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करके उनको बेहतर किया, साथ ही मौजूदा सुविधाओं को बढ़ाया है. जयेन मेहता के मुताबिक, 'इस साल उज्जैन, तलोजा-मुंबई, वाराणसी, कच्छ, सुरेंद्रनगर और पुणे के 6 प्लांट में प्रोडक्शन शुरू हो गया है. इनको लेकर हमारे पास कुल 25 आइसक्रीम प्लांट हो गए हैं'.

अमूल अपने नए रिटेल आइस लाउंज को भी बढ़ा रहा है जो पूरी तरह से प्रीमियम आइसक्रीम पर बेस्ड है. वर्तमान में इसके 15 स्टोर हैं, साथ ही 10 स्टोर को गर्मियों में लॉन्च करने की तैयारी है.

ये बात अलग है कि ग्लोबल एवरेज की तुलना में भारत में आइसक्रीम की खपत कम रही है.

स्टेटिस्टा (Statista) के आंकड़ों के मुताबिक, 5.3 बिलियन डॉलर के बाजार के 2028 तक हर साल 10.9% के रेट से बढ़ने की उम्मीद है.

मदर डेयरी भी है तैयार

मदर डेयरी (Mother Dairy Fruit and Vegetable Pvt.) के MD मनीष बंदलिश ने बताया कि,

"हमें अपने बिजनेस के लिए गर्मी का इंतजार रहता है. हमने बाजार में अपने प्रोडक्ट की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 50 करोड़ रुपये तक का निवेश किया है. भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) की भविष्यवाणी है कि इस साल तापमान में बढ़ोतरी अधिक होगी और भीषण गर्मी पड़ेगी. हमें उम्मीद है कि हमारे डेयरी प्रोडक्ट की मांग बीते साल की तुलना में 25-30% बढ़ेगा."

ठंड में भी आइसक्रीम खा रहे लोग

इन कंपनियों के अनुसार,

अब लोग ठंड में भी आइसक्रीम खाने लगे हैं. हालांकि गर्मी में बिक्री ज्यादा होती है, लेकिन ये कुल बिक्री का 60% है. लोगों के घर के बाहर होने पर होने वाली बिक्री, आइसक्रीम बिक्री का एक प्रमुख स्रोत है. इसके अलावा होटल, रेस्तरां और कैटरिंग के लिए आइसक्रीम बिकती है. अब घर के अंदर रहते हुए भी लोगों में आइसक्रीम खाने की आदत बन रही है, जिसकी वजह से इंडस्ट्री को उम्मीद है कि इस साल बिक्री में बड़ा बदलाव आएगा.

क्वालिटी वॉल्स (Kwality Walls), मैग्नम (Magnum) और कॉर्नेटो (Cornetto) जैसे ब्रांडों के लिए मशहूर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (Hindustan Unilever Ltd.) की आइसक्रीम बिक्री में क्विक कामर्स का योगदान 10% है. क्विक कामर्स यानि तुरंत ऑर्डर किये जाने वाला बिजनेस मॉडल, जैसे ब्लिंकिट वगैरह के माध्यम से.

मांग का फायदा उठा रहे नए ब्रांड

प्रोटीन युक्त, कम कैलोरी वाले आइसक्रीम ब्रांडों के मार्केट में आने से मार्केट के पुराने प्लेयर्स पर दबाव बन रहा है. कारण ये है कि लोगों में हेल्दी प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ रही है जिसका फायदा मार्केट में आ रहे नए नए निजी लेबल ब्रांड उठा रहे हैं.

मार्केट का स्ट्रक्चर बदलेगा

बाजार में खिलाड़ी बहुत सारे हैं. अमूल, क्वालिटी, वाडिलाल, हैवमोर जैसे कई खिलाड़ी आइसक्रीम के रिटेल मार्केट पर कब्जे के लिए लड़ रहे हैं. कई छोटी कंपनियां भी अपने-अपने इलाकों में बाजार पर कब्जा जमाए हुए हैं. ये छोटी स्थानीय कंपनियां 50 परसेंट बाजार पर कब्जा जमाए हुए हैं. ऐसे में बाजार में कंसोलिडेशन होना ही है. कुछ छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों में मर्ज होंगी या कुछ छोटी-छोटी कंपनियां मिलकर अपना आकार बड़ा करेंगी

बाकी खिलाड़ियों की स्थिति

हिंदुस्तान यूनिलीवर अपने को ग्लोबली रिस्ट्रक्चर करने के उद्देश्य से अपनी तीन दशक पुराने आइसक्रीम बिजनेस पर फिर से विचार कर रहा है. इसके तीन परिणाम होंगे, बिजनेस को बनाए रखना, उसको अलग कर देना या फिर इस बिजनेस को बेच देना, क्योंकि इस बिजनेस का HUL के मुनाफे में 3% से कम का योगदान है.

अमेरिकी आइसक्रीम चेन बास्किन रॉबिंस (Baskin Robbins) बीते 30 सालों से मार्केट में जमी हुई है. बास्किन रॉबिंस अपना 1,000वां आउटलेट लॉन्च करने की तैयारी में है. भारत में इसका प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी ग्रेविस फूड्स (Graviss Foods Pvt.) के CEO मोहित खट्टर ने कहा,

"इस गर्मी में हमारा लक्ष्य है कि हम बाजार की ग्रोथ से ज्यादा ग्रोथ करें."

खट्टर का ये कॉन्फिडेंस इसलिए है क्योंकि भारत में दूध के दाम में स्थिरता है, लोगों के बीच आइसक्रीम की डिमांड बढ़ रही है, साथ ही मौसम विभाग का भी अनुमान है कि इस सीजन गर्मी अधिक पड़ेगी.

बीते दो साल में, आइसक्रीम बिजनेस को लागत और फायदे के मार्जिन को बनाए रखने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है. क्योंकि दूध और क्रीम प्रोडक्ट की कीमतें हर महीने बढ़ती रहीं. इसलिए मार्जिन के दबाव को कम करने के लिए कंपनियों को अपने रेट बढ़ाने पड़े. लेकिन इस साल हालात काबू में हैं.

लेखक सेसा सेन
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