लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान शनिवार को होगा, लेकिन इसके पहले आज, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ दी गई याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट में कहा, अंतरिम आदेश के जरिए रोक नहीं लगाते
गुरुवार को सरकार ने ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त बनाया था. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि वो फिलहाल इन दोनों चुनाव आयुक्तों नियुक्ति पर रोक लगाए. याचिकाकर्ता का कहना था कि कोर्ट पहले भी ऐसे फैसले ले चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि फिलहाल उनकी नियुक्ति पर कोई रोक नहीं लगा रहे हैं. इस याचिका पर तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दो बार ये मामला पहले भी आया था. हमने कहा था कि सामान्य तौर पर अंतरिम आदेशों के जरिए कानूनों पर रोक नहीं लगाते हैं.
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सरकार की ओर से लाए गए नए कानून के मुताबिक दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई है. वकील विकास सिंह ने पिछले साल 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी भी दी. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इन पदों पर नियुक्ति, चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता वाली कमेटी लेगी. सुप्रीम कोर्ट ने अगर कोई व्यवस्था दी है तो उसकी ऐसी अवहेलना नहीं की जा सकती है.
21 मार्च को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दें, हम मौखिक रूप से सबमिशन को मंजूर नहीं कर सकते हैं. इस मामले की सुनवाई अब 21 मार्च को होगी.
सुखबीर संधू और ज्ञानेश कुमार 1988-बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी है. संधू उत्तराखंड कैडर से हैं, जबकि ज्ञानेश कुमार केरल कैडर से हैं. संधू इससे पहले उत्तराखंड के मुख्य सचिव और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष सहित कई बड़े पदों पर काम कर चुके हैं.