सुप्रीम कोर्ट ने EVM-VVPAT मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें कुछ सवालों के जवाब चाहिए थे, जो हमें मिल गए हैं.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 'अगर आप किसी खास विचार से प्रेरित हैं, तो हम आपके विचार नहीं बदल सकते, हम यहां आपके विचारों को बदलने के लिए नहीं हैं. हम महज शक के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं कर सकते.'
बता दें पिछली सुनवाई में प्रशांत भूषण ने सिंबल लोडिंग के दौरान EVM में छेड़छाड़ की आशंका जताई थी. दरअसल याचिकाकर्ता VVPAT वेरिफिकेशन को कंपलसरी किए जाने की मांग कर रहे हैं. फिलहाल 5% VVPAT पर्चियों का वेरिफिकेशन किया जाता है.
चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते: SC
कोर्ट ने कहा , 'चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, आज तक कोई बड़ी घटना भी नहीं हुई है. हम आयोग को काम को लेकर दिशा-निर्देश नहीं दे सकते. कोर्ट चुनावों के लिए कंट्रोलिंग अथॉरिटी नहीं है.'
चुनाव आयोग ने कोर्ट में साफ किया कि सभी EVM में माइक्रो चिप प्रोसेसर लगा हुआ होता है.
इससे पहले कोर्ट ने सुबह चुनाव आयोग के अधिकारियों से चार जरूरी सवाल पूछे थे. कोर्ट ने पूछा:
माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में इंस्टॉल होता है या फिर VVPAT में?
क्या माइक्रो कंट्रोलर को एक ही बार प्रोग्राम किया जा सकता है?
चुनाव आयोग के पास कितनी सिंबल लोडिंग यूनिट्स हैं?
कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा, 'आप कहते हैं कि इलेक्शन पेटीशन को दायर करने की समय सीमा 30 दिन की होती है, लेकिन आपने बताया कि स्टोरेज और रिकॉर्ड्स 45 दिन के लिए रखे जाते हैं. तो आपको इस समयसीमा को सही नहीं करना चाहिए.'
बता दें पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने EVMs की कार्यप्रणाली को समझने के लिए पोल पैनल के अधिकारियों से गहन चर्चा की थी.
उस सुनवाई में पोल पैनल की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा था कि EVMs स्टैंडअलोन मशीन हैं और इनमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है, लेकिन मानवीय गलतियों के होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
इसके बाद कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया के पवित्र होने पर जोर देते हुए कहा था, 'आपको कोर्ट के अंदर और बाहर, दोनों ही जगह शंकाएं दूर करनी होंगी. ये गुंजाइश मत छोड़िए कि किसी को लगे कि जो सही चीज होनी थी, वो नहीं हुई.'