Bernstein Societe Generale Group ने BJP और कांग्रेस के बीते दो दशक के चुनावों के मेनिफेस्टो का विश्लेषण किया है. 'इंडिया स्ट्रेटेजी: इलेक्शंस-डाइविंग इनटू मेनिफेस्टोस एंड प्रोमिसेज' नाम की इस रिपोर्ट में की गई तुलना में खास मुद्दों पर दोनों पार्टियों की एप्रोच का विश्लेषण किया गया है.
शिक्षा और स्वास्थ्य
INC: 2004 से ही कांग्रेस इन दो सेक्टर में खर्च को दोगुना (GDP का 6% शिक्षा, GDP का 3% स्वास्थ्य) करने पर जोर दे रही है. BJP के मेनिफेस्टो में 2014 को छोड़कर ये नदारद रहा है. 2014 में पार्टी ने शिक्षा खर्च को 6% करने की बात कही थी. 20 साल बाद भी हम यहां नहीं पहुंच पाए, जबकि BJP-कांग्रेस 10-10 साल सत्ता में रह चुकी हैं.
BJP ने अपने 2019 के मेनिफेस्टो में इंजीनियरिंग, साइंस और मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स में सीटें बढ़ाने की बात कही थी, साथ ही हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज खोलने और MBBS, स्पेश्लाइज्ड डॉक्टर्स की सीटें दोगुनी करने का वायदा किया था.
वहीं कांग्रेस संस्थानों की संख्या बढ़ाने के बजाए सीधे हेल्थकेयर वर्कर्स को भर्ती दोगुनी करने का वायदा करती है. सिर्फ 2009 में ही कांग्रेस ने नए IIT और IIMs खोलने का वायदा किया था. 2014 में पार्टी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में 60 लाख नौकरियों के सृजन की बात कही थी, जबकि BJP योग और आयुष के प्रोत्साहन की चर्चा कर रही थी.
दोनों ही पार्टियां खुले में शौच को खत्म करने और आबादी पर नियंत्रण करने की बात करती रही हैं, कांग्रेस ने 2020 तक TFR 2.1 पर लाने का लक्ष्य रखा था.
विदेश नीति
हालांकि दोनों पार्टियों का विदेश नीति के इस्तेमाल से लक्ष्य कमोबेश एक जैसा ही होता है, लेकिन विदेश नीति कैसी होनी चाहिए, इस पर दोनों पार्टियों पूरी तरह अलग विश्वास रखती हैं.
दोनों ही पार्टियां UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का जिक्र करती हैं. दोनों ही पार्टियां मल्टीलेटरल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने पर भी जोर देती हैं.
लेकिन BJP का मानना रहा है कि भारत हमेशा मल्टीलेटरल ऑर्गेनाइजेशंस के दायरे में काम नहीं करेगा और अपने हितों को हासिल करने के लिए द्विपक्षीय व्यवहार भी कर सकता है.
BJP अपने डिप्लोमेट्स को ज्यादा ताकतवर बनाने और भारत के संदेश को पूरी दुनिया में पहुंचाने में यकीन रखती है. पार्टी कहती है कि भारत बड़ी शक्तियों के चलते दायरे में नहीं रहेगा. मतलब पार्टी की एप्रोच हल्की एग्रेसिव और 'Moderately Hard' होती है.
वहीं कांग्रेस का यकीन अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए SAARC, G20 और BRICS जैसे संगठनों में गहन सहयोग की रही है.
मैन्युफैक्चरिंग बनाम रोजगार
BJP: ये दोनों ही आपस में जुड़े मुद्दे हैं. मतलब उत्पादन ज्यादा होगा, तो स्वाभाविक तौर पर रोजगार बढ़ेगा. BJP का फोकस मैन्युफैक्चरिंग पर ज्यादा होता है, जिसके लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, इलेक्ट्रॉनिक असेंबली और स्किल इंडिया मिशन पर फोकस होता है.
INC: जबकि कांग्रेस रोजगार की समस्या को सीधे डील करती है. मतलब मनरेगा जैसी स्कीम में दिनों की संख्या बढ़ाकर, सभी खाली सरकारी नौकरी के पदों को भरकर इस समस्या के हल की कोशिश पार्टी करती है.
किसानों का सवाल
ये संवेदनशील मुद्दा है, जिसके ऊपर दोनों पार्टियों का फोकस होता है. कांग्रेस किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए संसाधनों के ज्यादा इस्तेमाल पर ध्यान देती है. सभी राज्यों में कर्ज माफी, अलग एग्री बजट, कंपनियों से No Profit No Loss बेसिस पर इंश्योरेंस करने को कहने जैसी एप्रोच शामिल है.
पार्टी का यूनिवर्सल बेसिस इनकम भी इस सेक्टर को प्रभावित करता है, NYAY स्कीम के तहत पार्टी ने 5 करोड़ गरीब परिवारों को 72,000 रुपये साल देने का वायदा किया था.
BJP का फोकस वेयरहाउस बनाने, APMC एक्ट में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने जैसे मुद्दों पर रहता है. हालांकि BJP के पास UBI का अपना वर्जन किसान सम्मान निधि है. लेकिन इसमें मिलने वाली राशि काफी कम, मात्र 6000 रुपये साल है.
इंफ्रा पर कैसा फोकस?
BJP: 2014 के बाद से BJP का मेनिफेस्टो इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी घोषणाओं से भरपूर रहा है. यहां पार्टी का टारगेट किसी दूसरे सेक्शन से ज्यादा साफ तरीके से उल्लेखित होता है. पार्टी ने राष्ट्रीय राजमार्गों, एयरपोर्ट्स, रेलवे स्टेशन और मेट्रो की सुविधा वाले शहरों का स्पष्ट जिक्र किया है.
INC: वहीं कांग्रेस सस्टेनेबल डेवलपमेंट, स्वच्छ ऊर्जा और इस सेगमेंट में विकेंद्रीकरण पर ज्यादा फोकस होती है. पार्टी रोड निर्माण और रेलवे का जिक्र तो करती है, लेकिन इनके ऊपर उतना जोर नहीं देती.