हेल्‍थ इंश्‍योरेंस बढ़ा रहा टेंशन! 43% लोग क्‍लेम सेटलमेंट को लेकर परेशान; IRDAI से क्‍या चाहते हैं पॉलिसी होल्‍डर्स?

देश के 302 जिलों में 39,000 लोगों से इनपुट लेने के बाद लोकल सर्कल्‍स ने पाया कि 43% पॉलिसी होल्‍डर्स को क्‍लेम सेटल कराने में दिक्‍कतें हुईं.

Source: Canva

लोग हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेते हैं, ताकि मुश्किल वक्‍त में काम आए और इलाज के लिए पैसों की चिंता न हो! लेकिन एक ताजा सर्वे की मानें तो हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी, लाेगों की टेंशन कम करने की बजाय बढ़ा रही है.

सर्वे के आधार पर लोकल सर्कल्‍स का कहना है कि पिछले 3 साल में देश में कई हेल्‍थ इंश्‍योरेंस क्‍लेम्‍स को या तो रिजेक्‍ट कर दिया गया या फिर आंशिक रूप से ही स्‍वीकार किया गया.

देश के 302 जिलों में 39,000 लोगों से इनपुट लेने के बाद लोकल सर्कल्‍स ने पाया कि 43% पॉलिसी होल्‍डर्स को क्‍लेम सेटल कराने में दिक्‍कतें हुईं. लोगों ने कम राशि एक्‍सेप्‍ट होने से लेकर क्‍लेम रिजेक्‍ट होने तक की शिकायत की.

मोटर इंश्‍योरेंस लेने वाले 24% पॉलिसी होल्‍डर्स और होम इंश्‍योरेंस कराने वाले 10% पॉलिसी होल्‍डर्स ने भी क्‍लेम में परेशानी की शिकायत की.

क्‍या दिक्‍कतें झेलनी पड़ती हैं?

  • पॉलिसी में क्‍लेम के लिए पात्रता (Eligibility) और एक्‍सक्‍लूशंस स्‍पष्‍ट नहीं होना.

  • तकनीकी और जटिल शब्दों के इस्‍तेमाल के चलते कॉन्‍ट्रैक्‍ट स्‍पष्‍ट नहीं होना.

  • पहले से मौजूद बीमारी (Pre-Existing Disease) के कारण क्‍लेम रिजेक्‍ट होना.

  • प्री-एक्जिस्टिंग डिजीज के अलावा पात्रता की अन्‍य शर्तें.

  • पॉलिसी बेचने के बाद एजेंट का पॉलिसी होल्‍डर्स की मदद नहीं करना.

Source: Envato
Source: Envato

क्‍लेम एक्‍सेप्‍ट होने में देरी बनती है मुसीबत

बहुत सारे पॉलिसी होल्‍डर्स ने दावा किया है कि इंश्‍योरेंस कंपनियां उनका क्‍लेम सेटल करने में बहुत देर करती हैं, जिसके चलते उन्‍हें अस्‍पताल से छुट्टी (Discharge) मिलने में देरी हो जाती है.

सर्वे के मुताबिक, लोगों ने कहा कि मरीज के डिस्‍चार्ज होने के लिए तैयार होने के बाद 10-12 घंटे अधिक लग गए. ऐसे में यदि रुकना पड़ा तो अस्‍पताल में एक दिन का खर्च और बढ़ जाता है. और चूंकि TPA डेस्‍क पर प्रोसेस पूरा हो चुका होता है तो ये खर्च मरीज के मत्‍थे मढ़ दिया जाता है.

Also Read: इंश्‍योरेंस पॉलिसी सरेंडर के नए नियम जान लीजिए, 1 अप्रैल से लागू

तो फिर क्‍या चाहते हैं पॉलिसी होल्डर्स?

सर्वे में शामिल लोगों इंश्‍योरेंस रेगुलेटर से इस मामले में हस्‍तक्षेप की उम्‍मीद करते हैं. वे चाहते हैं कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) इंश्‍योरेंस कंपनियों को हर महीने कुछ डिटेल्‍स प्रकाशित करने के लिए बाध्य करे.

93%
लोग कड़े रेगुलेशन के पक्ष में.

सर्वे में शामिल 93% लोगों ने संकेत दिया कि वे IRDAI के रेगुलेशन के पक्ष में हैं, ताकि कंपनियों को हर महीने अपनी वेबसाइट पर विस्तृत दावों और पॉलिसी रिजेक्‍शन डेटा का खुलासा अनिवार्य हो जाए. उनका मानना है कि इस तरह के खुलासे से पारदर्शिता में सुधार होगा और क्‍लेम रिजेक्‍ट होने की संख्‍या में कमी आएगी.

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार लोग ये भी चाहते हैं कि IRDAI, हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री और कंज्‍यूमर अफेयर्स मिनिस्‍ट्री ये सुनिश्चित करने में सहयोग करें कि हेल्थ इंश्योरेंस क्‍लेम्‍स को निष्पक्ष और तेजी से प्रोसेस किया जाए और पॉलिसी होल्डर्स को परेशान न किया जाए.

जरूर पढ़ें
1 दिल्ली-नोएडा के 50 से ज्यादा स्कूलों में बम होने की खबर, पुलिस ने स्कूल खाली कराया
2 Musk In India: टेस्ला भारत में करेगी $200-300 करोड़ का निवेश, एलन मस्क अगले हफ्ते PM मोदी से करेंगे मुलाकात
3 E-Insurance Account: कैसे खोलें ई-इंश्योरेंस अकाउंट, कौन-से डॉक्‍युमेंट्स जरूरी, कहां करना होगा आवेदन?
4 Life Insurance v/s Term Insurance: कौन-सा प्‍लान आपके लिए बेहतर होगा? Expert से समझ लें पूरा हिसाब-किताब