'सरेंडर वैल्यू नियम' 1 अप्रैल से होंगे लागू, मगर कंपनियों के दबाव में शर्तें ढीली हुईं

सरेंडर वैल्यू किसी भी पॉलिसीहोल्डर की ओर से अपना पॉलिसी को तय समय से पहले खत्म करने पर मिलने वाली राशि होती है. इससे जुड़े बदलाव 1 अप्रैल से प्रभाव में आ जाएंगे.

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इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर हाल ही में नए नियम जारी किए हैं. इसमें रेगुलेटर ने सरेंडर वैल्यू से जुड़े हुए नियम भी जारी किए हैं. नए नियम 1 अप्रैल से प्रभाव में आ जाएंगे. हालांकि इसमें दिसंबर ड्राफ्ट के मुकाबले इस ड्राफ्ट में कुछ शर्तों में ढील दी गई है. दूसरे शब्दों में लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों को कुछ राहत मुहैया की गई है.

क्या है सरेंडर वैल्यू?

सरेंडर वैल्यू किसी भी पॉलिसीहोल्डर की ओर से अपना पॉलिसी को तय समय से पहले खत्म करने पर मिलने वाली राशि होती है.

नियमों के मुताबिक, नॉन-सिंगल प्रीमियम लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए, प्रीमियम की गारंटीड सरेंडर वैल्यू अगले 2 साल तक दी जाती है.

  • पॉलिसी दूसरे साल में सरेंडर करने पर सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम का 30% होगी

  • पॉलिसी तीसरे साल में सरेंडर करने पर सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम का 35% होगी

  • पॉलिसी चौथे या पांचवें साल में सरेंडर करने पर सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम का 50% होगी

  • पॉलिसी आखिरी के 2 साल में सरेंडर करने पर सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम का 90% होगी

अगर पॉलिसी के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया है, तो इसकी वैल्यू कम हो जाएगी

सिंगल प्रीमियम लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए, सर्वाइव बेनेफिट को हटाने के बाद नीचे दिए गए प्वाइंट में किसी एक के बराबर गारंटीड सरेंडर वैल्यू होगी

  • तीसरे साल तक सरेंडर करने पर गारंटीड सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम की 75% होगी

  • चौथे साल तक या पॉलिसी टर्म के आखिरी दो साल में गारंटीड सरेंडर वैल्यू कुल प्रीमियम की 90% होगी

अपनी पॉलिसी का प्रीमियम सही समय पर नहीं भरने वाले कस्टमर्स के लिए दिसंबर 2023 के ड्राफ्ट में सरेंडर वैल्यू में बढ़ोतरी की गई थी, जो कि पॉलिसी होल्डर्स के लिए अच्छा था, मगर कंपनियों के लिए निगेटिव था.

ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल (Emkay Global) के मुताबिक, इससे उन पॉलिसीहोल्डर्स के लिए रिटर्न कम हो जाते, जो समय पर अपनी पॉलिसी का प्रीमियम भर रहे हैं. इससे शुरुआती साल में डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए पेआउट कम होता और लाइफ इंश्योरर के VNB (वैल्यू ऑफ न्यू बिजनेस) मार्जिन पर भी असर पड़ता.

फिलहाल, जारी किए गए नोटिफिकेशन में जून 2019 के नोटिफिकेशन को शामिल किया गया है, जिसमें सिंगल और नॉन-सिंगल प्रीमियम पॉलिसी के लिए मौजूदा इन-फोर्स रेगुलेशन बराबर हैं. सरेंडर चार्ज के कैलकुलेशन में थोड़ा बदलाव किया गया है.

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मॉर्गन स्टैनली की राय

अपनी इंडस्ट्री रिपोर्ट में मॉर्गन स्टैनली ने कहा,

अपने फाइनल रेगुलेशन में नॉन-लिंक्ड पॉलिसी के लिए गारंटीड सरेंडर वैल्यू गाइडलाइंस को ही बरकरार रखा है, लेकिन स्पेशल सरेंडर वैल्यू के कैलकुलेशन के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं.

स्पेशल सरेंडर वैल्यू के कैलकुलेशन के लिए जिन जरूरी फैक्टर्स को रखा गया है, वो एसेट शेयर पर आधारित हैं.

रेगुलेशन के मुताबिक, गाइडेंस नोट या एक्यूटेरियल प्रैक्टिस स्टैंडर्ड के नियमों के बराबर ही कैलकुलेशन किया जाएगा.

  • प्राइसिंग के आधार पर ही खर्च होना चाहिए लेकिन ये एक्सपेंसेस ऑफ मैनेजमेंट (EOM) लिमिट से ज्यादा नहीं होना चाहिए

  • इसकी ब्याज दर "प्राइसिंग इंटरेस्ट रेट 50 bps से कम" से कम नहीं होगी

मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2023 में रेगुलेटर की ओर से प्रस्तावित किए गए नियमों के मुकाबले कुछ आसान लगता है.

दिसंबर ड्राफ्ट के मुकाबले, इससे नए रेगुलेशन से लाइफ इंश्योरर्स पर असर नहीं पड़ता है, जहां पॉलिसीहोल्डर को मिलने वाली प्रस्तावित सरेंडर वैल्यू मौजूदा रेगुलेशन से कहीं ज्यादा थी.

नए रेगुलेशन लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के लिए पॉजिटिव हैं. हालांकि, ये पॉलिसीहोल्डर्स के लिए ज्यादा पॉजिटिव नहीं है.

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