इन 5 फूड और बेवरेज कंपनियों के शेयर मचाएंगे धमाल -UBS रिसर्च का दावा

Stocks in Focus: भारत के लोगों के खरीददारी के बदलते पसंद को ध्यान में रखते हुए और फूड और बेवरेज के क्षेत्र में खास संभावनाओं को देखते हुए रिसर्च फर्म UBS रिसर्च ने 5 कंपनियों पर नजर बना ली है. KFC से Kingfisher तक कौन सी हैं ये कंपनियां, आप भी जानिए.

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रिसर्च फर्म UBS रिसर्च (UBS Research) ने देश के विकास की रफ्तार, बढ़ते डिस्क्रेशनरी खर्च (Discretionary Spending) और अपग्रेडेड लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हुए फूड और पेय (Food and Beverage) से संबंधित पांच कंपनियों पर कवरेज शुरू कर दी है. आसान शब्दों में कहें तो UBS रिसर्च ने इन कंपनियों में खास संभावनाएं देखी हैं, और इनपर अपनी नजर बना ली है.

रिसर्च फर्म को उम्मीद है कि प्रीमियम पैकेज्ड स्टेपल (Premium Packaged Staples), पेय पदार्थ और घर से बाहर खाने में शामिल चीजें जल्द ही FMCG की कैटेगरी से बाहर निकल जाएंगी. रिसर्च में कहा गया है कि,

"प्रीमियमाइजेशन और शौकिया खर्च, फूड और पेय पदार्थ की परिभाषा को बदल रहे हैं."

इस ग्रोथ की वजह है देश की कुछ आबादी की बढ़ती प्रति व्यक्ति आय, साथ ही बढ़ता डिस्क्रेशनरी खर्च है.

"हालांकि ये सेगमेंट आने वाले समय में FMCG के डिमांड होने वाली मांग की कमी को भी दर्शाते हैं."
UBS रिसर्च
UBS ने यूनाइटेड ब्रुअरीज लिमिटेड (United Breweries Ltd.), देवयानी इंटरनेशनल लिमिटेड (Devyani International Ltd.) और सफायर फूड्स इंडिया लिमिटेड (Sapphire Foods India Ltd.) को 'Buy' की रेटिंग दी है और टाटा कंज्यूमर लिमिटेड (Tata Consumer Ltd.) और वरुण बेवरेजेज लिमिटेड (Varun Beverages Ltd.)  को 'Neutral' की रेटिंग दी है.

फूड एंड बेवरेज कंपनियों पर UBS रिसर्च की राय

यूनाइटेड ब्रुअरीज (United Breweries)

  • UBS ने कहा कि भारत का बीयर बाजार विशाल है, फिर भी प्रति व्यक्ति खपत चीन और अमेरिका की तुलना में कम है.

  • ये मार्केट ऐसा है जिसमें बार-बार खरीदने वाले ग्राहक आते हैं. इसमें ब्रैंड लॉयल्टी बहुत अहम होती है, यानी ग्राहक जिस ब्रैंड को पसंद करता है, उसे बार-बार खरीदता है. इसमें कम निवेश से बड़ा विस्तार या कहें कि बड़ा बाजार बनाया जा सकता है.

  • अनुकूल परिस्थितियां जैसे बढ़ती डिपोजेबल इनकम, बढ़ता तापमान और बेहतर रिटेल पेनेट्रेशन मांग को बढ़ा रहे हैं.

  • हालांकि हाई पोटेंशियल के बावजूद भारत के बीयर बाजार को नीतियों के द्वारा बढ़ने से रोक रखा गया है. 

  • प्रीमियम सेगमेंट में इसका मार्केट अंडरवेट है, इसलिए इसमें बढ़ोतरी हो सकती है.

देवयानी इंटरनेशनल और सफायर फूड्स इंडिया (Devyani International and Sapphire Foods India)

  • यूनिट लेवल पर बिजनेस को प्रॉफिटेबल बनाने के लिए दोनों ने अपने सप्लाई जोन को पहचाना है, लागत में कटौती की है और स्टोर के आकार को जरूरत के मुताबिक बनाया है.

  • इन नीतियों की वजह से इन दोनों कंपनियों के स्टोर भविष्य में तेजी से बढ़ेंगे. इसीलिए UBS रिसर्च को उम्मीद है कि ये दोनों भी अगले कुछ सालों में बाजार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे.

  • UBS को उम्मीद है कि दोनों फ्रेंचाइजी अगले तीन से चार सालों में अपने स्टोर की संख्या करीब दोगुनी कर लेंगी.

  • वैल्यूएशन के मामले में सैफायर फूड्स देवयानी इंटरनेशनल पर भारी पड़ता दिख रहा है.

  • वित्त वर्ष 2024 से 2028 (FY24–28) के दौरान DIL और सैफायर दोनों से करीब 15-16% के एक अच्छे रेवेन्यू ग्रोथ की उम्मीद है.

वरुण बेवरेजेज (Varun Beverages)

  • ग्रोथ में मजबूती बरकरार रहेगी, लेकिन आश्चर्यजनक रिजल्ट की उम्मीद कम है.

  • देश में विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें भी  2023-27 में प्रति शेयर 23% CAGR की उम्मीद है.

  • हालांकि इसको बनाने में उपयोग होने वाले चीजों के रेट भी बढ़ रहे हैं, इसलिए जाहिर तौर पर इनकी भी कीमतें बढ़ेंगी लेकिन मार्जिन में कमी की वजह से सतर्कता बरतने की जरूरत है.

  • VBL को सेल की नजर से देखें तो इसके अपने प्रतिद्वंद्वी कोका-कोला की बराबरी कर लेने की उम्मीद है. जो इसके मुनाफे को बढ़ा सकती है.

टाटा कंज्यूमर (Tata Consumer)

  • UBS रिसर्च की राय है कि वो टाटा कंज्यूमर को प्रोडक्ट्स को FMCG की दिग्गज कंपनियों के राह में रोड़ा बनते हुए देख रहे हैं.

  • कंपनी के पास ग्रोथ के लिए मजबूत नीतियां हैं, एक मजबूत ब्रांड पोर्टफोलियो है और ये अधिग्रहण की रणनीतिक पर तेजी से काम कर रहे हैं.

  • TCPL भारत में F&B मार्केट में एक जोरदार प्लेयर बनने के लिए तैयार दिख रही है.

  • वित्त वर्ष 20024 से 28 (FY24–28) को देखें तो इसके रेवेन्यू/EPS में 23% के CAGR की उम्मीद है. जोकि FMCG कंपनियों के ग्रोथ बैंड की उम्मीद के उच्चतम लेवल पर दिखाई दे रहा है.

  • लेकिन UBS के मुताबिक,  टाटा कंज्यूमर का वैल्यूएशन पहले से ही बढ़ा हुआ है, इसलिए इसके अधिक बढ़ने की संभावनाएं सीमित हो गई हैं.

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