नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने DHFL के पूर्व प्रोमोटर कपिल वधावन के खिलाफ इंसोल्वेंसी की याचिका को मंजूर कर लिया है. ये याचिका 2,421 करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए है. DHFL ने 450 करोड़ रुपये के वर्किंग कैपिटल के साथ 4,009 करोड़ रुपये का टर्म लोन लिया था. वधावन ने इन लोन्स के लिए बिना शर्त गारंटी दी थी.
जब डिफॉल्ट हुआ था तो बैंक ने वधावन को 3,958 करोड़ रुपये की बकाया राशि को भुगतान करने का डिमांड नोटिस जारी किया था. हालांकि वधावन ने राशि का भुगतान नहीं किया.
क्या है पूरा मामला?
जब पीरामल ग्रुप ने 2021 में 34,250 करोड़ रुपये में DHFL का अधिग्रहण किया था तो यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को DHFL के रेजॉल्यूशन प्लान के तहत 1,536 करोड़ रुपये मिले थे. वधावन को बैंक को अभी भी करीब 2,421 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. क्योंकि वधावन बैंक के बकाया के भुगतान नहीं कर सके थे तो रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने ट्रिब्यूनल को उनके खिलाफ इंसोल्वेंसी की याचिका मंजूर करने की सलाह दी.
ऐसा इसलिए क्योंकि DHFL के रेजॉल्यूशन प्लान में साफ तौर पर जिक्र था कि क्रेडिटर्स निजी गेरंटर से बकाया को रिकवर करने के लिए सभी कदम उठा सकते हैं.
वधावन ने डिमांड नोटिस का किया विरोध
वधावन ने डिमांड नोटिस का विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि 29 बैंकों के कंसोर्शियम की ओर से नियुक्त किए गए किसी सिक्योरिटी ट्रस्टी के पक्ष में गारंटी की जॉइंट डीडल की थी. और क्योंकि इस जॉइंट डीड को लागू करने की जिम्मेदारी कंसोर्शियम के पास है उन्होंने तर्क जिया कि बैंक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले सकता है.
NCLT ने इस तर्क को मंजूर नहीं किया. उसने कहा कि गारंटी की डीड ने ये साफ कर दिया है कि एक बैंक वधावन के खिलाफ स्वतंत्र तौर पर एक्शन ले सकता है. और इसे कंसोर्शियम की ओर से संयुक्त एक्शन होने की जरूरत नहीं है.