समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के लिए राहत की खबर है. कोर्ट ने उनके पिता स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव और उनसे जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में आगे सुनवाई से मना कर दिया.
चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 2013 में CBI ने प्राथमिक जांच के बाद मामला बंद कर दिया था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ये मांग भी ठुकरा दी कि CBI को उन्हें अंतिम रिपोर्ट की कॉपी देने का निर्देश दिया जाए.
कोर्ट ने CBI के केस को बंद करने के खिलाफ एडवोकेट विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBI पहले ही 7 अगस्त, 2013 को मामले की जांच बंद कर चुकी है. इसलिए अब इस याचिका में कोई मेरिट नहीं बची है.
आपको बता दें, 5 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मामला बंद करने से इनकार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो ये तय करेगा कि मामले की सुनवाई को बंद किया जाए या नहीं.
इस मामले में कपिल सिब्बल ने सुनवाई बंद करने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि 2019 में CBI हलफनामा दाखिल कर केस की जांच बंद होने की बात कह चुकी है.
विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने साल 2005 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन CM मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहू डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1 मार्च 2007 को CBI को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया. अक्टूबर 2007 में CBI ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं.
लेकिन अब अखिलेश को बड़ी राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर आगे सुनवाई से इनकार कर दिया है.