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Karnataka Election Results 2023: BJP के लिए 'दक्षिण का द्वार' हुआ बंद, पार्टी के मिशन साउथ को झटका

दक्षिण के सभी 6 राज्यों को मिलाकर, कुल 130 लोकसभा सीट आती हैं. यानी लगभग एक-चौथाई. ऐसे में किसी भी पार्टी के लिए दक्षिण के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
NDTV Profit हिंदीप्रबुद्ध जैन
NDTV Profit हिंदी01:29 PM IST, 13 May 2023NDTV Profit हिंदी
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जैसे हर चीज की शुरुआत का एक बिंदु होता है, एक पल, समय का एक कतरा, ठीक वैसे ही दक्षिण की राजनीति में पांव जमाने के लिए कर्नाटक के किवाड़ पर दस्तक जरूरी होती है. यही वजह है कि कर्नाटक को 'दक्षिण का द्वार'  कहा जाता है.

आज ये द्वार, भारतीय जनता पार्टी के लिए बंद हो चुका है. वो यहां से 'एग्जिट' कर चुकी है. कांग्रेस ने अपने धमाकेदार प्रदर्शन के साथ BJP को राज्य से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया. पार्टी ने अपने दम पर 113 के जादुई आंकड़े को पार कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की और अपनी टैली 135 सीट तक पहुंचा दी. कांग्रेस की सहयोगी सर्वोदय कर्नाटक पक्ष की एक सीट को जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 136 पहुंच गया है.

BJP के 'मिशन साउथ' का अहम हिस्सा है कर्नाटक

भारतीय जनता पार्टी के लिए कर्नाटक कितना अहम राज्य है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार चुनाव प्रचार के दौरान 17 रैलियां कीं, 6 रोड शो किए. इसके अलावा अमित शाह से लेकर राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी से लेकर स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण तक, पार्टी के तमाम बड़े चेहरे, पूरे राज्य में हाई-वोल्टेज प्रचार करते नजर आए. 

2024 के आम चुनाव में महज साल भर का वक्त बचा है. 2023 में होने वाले 9 राज्यों के चुनाव में, कर्नाटक पहला बड़ा राज्य है. नॉर्थ-ईस्ट के तीन राज्यों के चुनाव हो चुके हैं. कर्नाटक हारने का मतलब है, दक्षिण में धमाकेदार प्रदर्शन की आस को करारा झटका. 

याद कीजिए 2019 का चुनाव. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में एक तरह से सूपड़ा साफ कर दिया था. कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर भारतीय जनता पार्टी, कब्जा जमाने में सफल रही थी. ऐसे में जनता के बदले हुए मूड का असर लोकसभा की टैली पर भी पड़ सकता है.

दक्षिण के बाकी राज्यों का हाल

इस साल के अंत में तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. वहां पार्टी का मुकाबला TRS और कांग्रेस से होना है. K चंद्रशेखर राव यहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हैं. कर्नाटक के अलावा, दक्षिण के किसी राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है. और अब तो ये भी उसके हाथ से फिसल गया है.

दक्षिण के सभी 6 राज्यों को मिलाकर, कुल 130 लोकसभा सीट आती हैं. यानी लगभग एक-चौथाई. ऐसे में किसी भी पार्टी के लिए दक्षिण के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. 

कर्नाटक इसी दक्षिण में पैठ बनाने के लिए एंट्री पॉइंट माना जाता है जो फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के हाथ से छिटक गया है. 

पहेली भी, चुनौती भी

दक्षिण के राज्य भारतीय जनता पार्टी के लिए पहेली और चुनौती दोनों रहे हैं. बीते करीब एक दशक में पार्टी के प्रदर्शन में इन राज्यों के भीतर सुधार तो हुआ है, लेकिन जब बात सरकार बनाने की आती है तो पार्टी गच्चा खा जाती है. 

2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने इस द्वार में जोर-शोर के साथ प्रवेश किया था. पार्टी को राज्य की 224 सीटों में से 104 पर जीत मिली. लेकिन, यहां भी पहले-पहल क्या हुआ. 

78 सीटों पर कब्जा करने वाली कांग्रेस और 37 सीटें जीतने वाली JDS ने हाथ मिलाया और सरकार बना ली. BJP को सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद, लोकतंत्र के स्थापित सिद्धांतों और नियमों का सम्मान करते हुए शांत रहना पड़ा. कांग्रेस और JDS की साझा सरकार में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए HD कुमारस्वामी या कहें 'किंगमेकर' HD कुमारस्वामी. 

लेकिन, साल भर के भीतर ही BJP को एक मौका नजर आया. कांग्रेस और JDS के 15 विधायक बागी होकर BJP के खेमे में चले गए. कुमारस्वामी को सदन में विश्वास मत साबित करने की चुनौती मिली. कुमारस्वामी, विश्वास मत साबित करने में नाकाम रहे और इसी के साथ 14 महीने पुरानी सरकार ढह गई. कुमारस्वामी ने सदन में भावुक होकर कहा- 'मैं एक्सिडेंटल मुख्यमंत्री हूं, राजनीति में किस्मत लेकर आई.'

23 जुलाई 2019 को कुमारस्वामी ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया. जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में सरकार बनाई. मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा जिन्होंने 26 जुलाई को शपथ ली. 2021 में पार्टी ने बसवराज बोम्मई पर दांव खेला और येदियुरप्पा को हटा कर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी.

पार्टी को बोम्मई पर भरोसा था. भरोसा ये भी था कि येदियुरप्पा पर लगे आरोपों से बचकर निकलने में भी इससे मदद मिलेगी. लेकिन, 2023 के इन चुनावों में जनता ने कांग्रेस पर मुहर लगाना बेहतर समझा.

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