Takeaways From Karnataka Election Results: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो चुकी है. कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े को पार कर चुकी है और प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इस चुनाव और नतीजों से कौन-सी 10 बड़ी बातें निकल कर सामने आई हैं.
कर्नाटक में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है, लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बारे में फिलहाल कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. ऐसी चर्चा है कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, जबकि DK शिवकुमार डिप्टी CM बनाए जा सकते हैं. इसके लिए रविवार को बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में जीत के लिए कांग्रेस को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस पार्टी को बधाई. मैं उन्हें जनता की उम्मीदों को पूरा करने के लिए शुभकामनाएं देता हूं.' आगे उन्होंने लिखा, 'कर्नाटक में हमें समर्थन देने के लिए सभी का धन्यवाद. मैं BJP के सभी कार्यकर्ताओं के कठिन परिश्रम की सराहना करता हूं. हम आने वाले समय में और भी अधिक जोश के साथ कर्नाटक की सेवा करेंगे.'
कर्नाटक में 38 साल से सत्ता रिपीट नहीं हुई है. यानी सत्ता में रहते हुए किसी पार्टी ने चुनाव नहीं जीता. आखिरी बार 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व वाली जनता पार्टी ने सत्ता में रहते हुए चुनाव जीता था. इस बार भी वही हुआ. 2018 में BJP के बड़ी पार्टी रहते कांग्रेस और JDS ने मिलकर सरकार तो बना ली थी, लेकिन ऑपरेशन लोटस के चलते सरकार गिर गई और BJP सत्ता में आ गई. हालांकि इस बार वो अपनी सत्ता रिपीट नहीं कर सकी.
BJP चुनाव भले हार गई हो, लेकिन उसके वोट शेयर में सेंधमारी नहीं हुई है. 2018 चुनाव में BJP को 36.35% वोट मिले थे और इस बार भी उसके वोट शेयर का आंकड़ा 36% है. कांग्रेस का वोट शेयर 2018 में 38.14% था, जो इस बार बढ़कर करीब 43% हो गया है. वोट शेयर के मामले में सबसे बड़ा घाटा JDS को हुआ है. 2018 में उसे 18.30% वोट मिले थे, जबकि इस बार उसका वोट शेयर करीब 13% रह गया है.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में 21 दिन तक चली और 7 जिलों से गुजरी. इन जिलों में पार्टी को 66% सफलता मिली है. इन 7 जिलों के कुल 48 विधानसभा सीटों में से पिछली बार कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थी, लेकिन इस बार 32 सीटें जीती है.
बीते करीब ढाई दशक में पार्टियों को बहुमत नसीब से ही मिला है. 1999, 2004, 2008, 2013 और 2018 में से केवल 2 बार 1999 और 2013 में किसी सिंगल पार्टी को बहुमत मिला. 2004, 2008 और 2018 में BJP सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में तो BJP के सबसे बड़ी पार्टी रहते सरकार, JDS और कांग्रेस ने मिलकर बनाई.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने 35 साल बाद 135 सीटें जीती हैं. कांग्रेस ने इस चुनाव में न केवल बहुमत के आंकड़े (113) को छुआ, बल्कि इससे काफी आगे निकल गई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के ही नाम रहा है. 1989 में कांग्रेस ने 178 सीटें जीती थी. 1972 में 165 सीटें, 1957 में 150 सीटें और 1978 में 149 सीटें जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के ही नाम है.
कर्नाटक के 12 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए. वरिष्ठ मंत्री वी सोमन्ना ने तो 2-2 सीट (वरुणा और चामराजनगर) से चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों जगह से हार गए. हारने वाले अन्य मंत्रियों में गोविंदा करजोला, श्रीरामुलु, JC मधुस्वामी, मुरुगेश निरानी, BC पाटिल, डॉ K सुधाकर, MTB नागराज, नारायणगौड़ा, BC नागेश, हलप्पा अचार और शंकर मुनेकोप्पा शामिल हैं.
कर्नाटक चुनाव में BJP, JDS और कांग्रेस के कई दिग्गज चुनाव जीते. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व मुख्यमंत्री HD कुमारस्वामी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष DK शिवकुमार और अन्य नाम शामिल हैं.
वहीं दूसरी ओर BJP छोड़ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार अपनी सीट नहीं बचा पाए. हुबली धारवाड़ सेंट्रल से शेट्टार को उनकी पुरानी पार्टी BJP के कैंडिडेट महेश तेंगिनाकाई ने 34,289 वोटों से हरा दिया.
कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में जिन 5 गारंटी का वादा किया है, उसको लेकर राहुल गांधी ने कहा कि कैबिनेट की पहली मीटिंग में उन पर फैसला लिया जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ये बात दोहराई है. वहीं, प्रियंका गांधी ने कहा कि कर्नाटक की जनता ने भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर वोट किया है. हिमाचल के बाद कर्नाटक ने दिखाया कि ध्यान भटकाने की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने कर्नाटक की जनता का आभार जताया.