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क्या है EPFO की ज्यादा पेंशन वाली स्कीम, क्या आपके लिए इसे चुनना है फायदेमंद?

अगर आप ज्यादा पेंशन पाने के लिए इस स्कीम का चुनाव करना चाहते हैं तो आप 3 मई तक आवदेन कर सकते हैं.
BQP Hindiविकास कुमार
09:55 AM IST, 02 Mar 2023BQP Hindi
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EPFO की पेंशन स्कीम चर्चा में है. चर्चा है ज्यादा पेंशन लेने के ऑप्शन की. ज्यादा पेंशन स्कीम को चुनने की डेडलाइन को 3 मार्च से बढ़ाकर 3 मई कर दिया गया है. ये तो खबर है और चर्चाएं है. लेकिन क्या है ये स्कीम? इससे आपका फायदा कैसे होगा? क्या आपको इस स्कीम का चुनाव करना चाहिए? ऐसे सवाल हर कर्मचारी के मन में हैं. इन सवालों के जवाब समझ लेते हैं और फिर ये फैसला भी करते हैं कि आपको इसका चुनाव करना चाहिए या नहीं.

EPS स्कीम क्या है और कैसे करता है काम?

थोड़ा इतिहास की तरफ चलते हैं. देश में 1995 के पहले पेंशन स्कीम की कोई व्यवस्था नहीं थी. नवंबर 1995 में EPS को अस्तित्व में लाया गया ताकि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों की रेगुलर इनकम का इंतजाम हो सके.

इस पेंशन स्कीम की जिम्मेदारी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) को दी गई. अब तक होता ये आया था कि कर्मचारी अपने बेसिक सैलरी (महंगाई और कुछ अन्य भत्तों के साथ) का 12% का योगदान EPFO को देता था.

हर महीने की सैलरी से जमा की गई इस राशि के बराबर ही योगदान कर्मचारी का संस्थान भी EPF में करता था. रिटायरमेंट के बाद कुल जमा की गई राशि और ब्याज मिलाकर एक बड़ा फंड कर्मचारी को मिल जाता था.

1995 में EPS यानी कर्मचारी पेंशन स्कीम के आने के बाद व्यवस्था में बदलाव हुए. अब कर्मचारी के संस्थान की तरफ से किया जाने वाला 12% का योगदान 2 हिस्सों में बांटा गया यानी 8.33% और 3.67% . बड़ा हिस्सा यानी 8.33% जाने लगा EPS में और बचा हुआ 3.67% EPF में.

यहां एक ट्विस्ट था. ट्विस्ट ये कि इस डिडक्शन के लिए पेंशन योग्य आय की सीमा पहले 5000 रखी गई थी. फिर इस बढ़ा कर 6500 किया गया और 1 सितंबर 2014 तक पेंशन योग्य आय के लिए ये सीमा लागू रही.

क्या है ज्यादा पेंशन वाली स्कीम?

अगस्त 2014 में EPFO ने EPS के नियमों में बदलाव किए. पेंशन योग्य आय की सीमा को बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया. इसके साथ ही ये ऑप्शन भी रखा गया कि अगर आप अपनी वास्तविक बेसिक सैलरी के हिसाब से EPS में योगदान करना चाहते हैं तो आप अपने संस्थान के साथ इसके लिए आवेदन कर सकते हैं.

अगर आप इसके लिए आवेदन नहीं करते हैं तो ये माना जाएगा कि आप EPS में योगदान 15,000 रुपये की अधिकतम सीमा के हिसाब से ही करना चाहते हैं. मतलब चाहे आपकी आय कितनी भी हो, पेंशन फंड में आपका योगदान 15,000 रुपये के 8.33% के हिसाब से ही किया जाएगा यानी हर महीने अधिकतम 1,250 रुपये का योगदान होगा और बाकी का राशि EPF में डाल दी जाएगी.

2014 में इस स्कीम के चुनाव के लिए सभी कर्मचारियों को 6 महीने की समयसीमा दी गई जिसे बाद में कुछ शर्तों के साथ 6 महीने के लिए और बढ़ाया गया.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का नवंबर 2022 का फैसला?

कई कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया कि 2014 में पेंशन स्कीम के किए बदलावों को समझने और स्कीम को चुनने के लिए जो समय दिया गया था वो पर्याप्त नहीं था. जानकारी के अभाव में कई कर्मचारी इसका फायदा नहीं उठा सके.

सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच ने नवंबर 2022 में EPFO को आदेश दिया कि ज्यादा पेंशन वाली स्कीम के चुनाव के लिए कर्मचारियों को 4 महीने का वक्त दिया जाए. EPFO ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए ज्यादा पेंशन के लिए रजिस्टर करने का ऑप्शन कर्मचारियों को दिया.

शर्त ये थी कि कर्मचारी 1 सितंबर 2014 के पहले से EPFO के सदस्य होने चाहिए और 1 सितंबर 2014 के बाद EPFO के सदस्य हों.

EPFO ने बढ़ाई डेडलाइन

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ज्यादा पेंशन की स्कीम चुनने की डेडलाइन 4 महीने बाद यानी 3 मार्च 2023 को खत्म हो रही थी. लेकिन EPFO की वेबसाइट पर मौजूद लिंक में अब स्कीम चुनने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 3 मई 2023 कर दिया गया है. यानी अगर आप ज्यादा पेंशन पाने के लिए इस स्कीम का चुनाव करना चाहते हैं तो आप 3 मई तक आवदेन कर सकते हैं.

उदाहरण से समझ लेते हैं कि ज्यादा पेंशन वाली स्कीम से आपके पेंशन फंड में योगदान कैसे बढ़ेगा.

मान लीजिए कि कोई कर्मचारी 50,000 रुपये की बेसिक सैलरी लेता है. पुरानी पेंशन स्कीम के हिसाब से उसकी पेंशन योग्य सैलरी होगी 15,000 रुपये जिसका 8.33% यानी 1,250 रुपये पेंशन फंड में जाएगा. अगर वो कर्मचारी ज्यादा पेंशन के लिए स्कीम में खुद को रजिस्टर करता है तो पेंशन फंड में उसका योगदान उसकी वास्तविक बेसिक सैलरी 50,000 से निकाला जाएगा यानी उसका योगदान करीब 4,165 रुपये होगा.

कितनी फायदेमंद है ज्यादा पेंशन वाली स्कीम?

ये स्कीम आपके लिए कितनी फायदेमंद है, आपको इसका चुनाव करना चाहिए या नहीं? ये समझने के लिए हमने ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और CEO, पंकज मठपाल से बात की. पंकज का कहना है 'फिलहाल पेंशन के कैलकुलेशन पर EPFO की तरफ से कोई साफ जानकारी नहीं मिली है. ऐसे में कर्मचारियों को दो फैक्टर्स का ध्यान रखते हुए इस स्कीम पर फैसला करना चाहिए. पहला- अगर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि ज्यादा चाहिए तो उनके लिए पेंशन की पुरानी स्कीम बेहतर हो सकती है लेकिन अगर हर महीने ज्यादा पेंशन की जरूरत है तो ज्यादा पेंशन की इस नई स्कीम के लिए आवेदन करना फायदेमंद होगा.'

ज्यादा पेंशन के इस विकल्प के बारे में और जानकारी के लिए ये वीडियो जरूर देखें.

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