क्या आपको बैंक लॉकर एग्रीमेंट के नए बदलावों के बारे में पता है? जान लीजिए बहुत जरूरी है

इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बैंक जाना होगा, इसे ऑनलाइन करना संभव नहीं है.
BQP Hindiअर्णव पंड्या
Last Updated On  04 March 2023, 8:00 AMPublished On   04 March 2023, 8:00 AM
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अगर आप बैंक में लॉकर का इस्तेमाल करते हैं और इसकी सुविधाओं के लिए रेंट भी चुकाते हैं तो ये खबर आपके लिए है. अब लॉकर होल्डर को बैंक के साथ नए और मॉडिफाइड रेंट एग्रीमेंट पर सिग्नेचर करना होगा.

बैंक में लॉकर होल्डर्स के लिए नई मुश्किल

ये काम लॉकर होल्डर्स के लिए नई मुश्किलें पैदा करने वाला है, क्योंकि इस प्रक्रिया को पूरा करना आसान नहीं है. दरअअसल इसके लिए सभी खाताधारकों को एक साथ आना होगा और फिर नए एग्रीमेंट पर सिग्नेचर करना होगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बैंक जाना होगा, इसे ऑनलाइन करना संभव नहीं है.

हालांकि थोड़ी राहत की बात ये है कि 1 जनवरी 2023 से पहले पूरी प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है, इसलिए अब भी समय है और आपका बैंक लॉकर फ्रीज नहीं होगा. इस पूरी प्रक्रिया में एग्रीमेंट और स्टाम्प पेपर को लेकर खाताधारकों में बहुत कन्फ्यूजन है.

एग्रीमेंट स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए

डिपॉजिट लॉकर एग्रीमेंट को उचित और कानूनी तरीके से क्रियान्वित करने की जरूरत है. सभी शर्तों को लिस्ट करना जरूरी है. बैंकों के पास एक स्टैंडर्ड एग्रीमेंट फॉर्म होता है, जहां RBI के नए दिशा-निर्देशों के तहत शामिल किए जाने वाले सभी गाइडलाइन का जिक्र किया जाता है.

स्टाम्प पेपर का दाम हर राज्य में अलग होगा

इस प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाले स्टाम्प पेपर का दाम अलग-अलग राज्यों में एक जैसा नहीं होता है. यह राज्य के लोकल स्टाम्प ड्यूटी एक्ट पर निर्भर करता है. यही वजह है कि लॉकर होल्डर को बैंक की ब्रांच में जाकर स्टाम्प के दाम को जांच करने की जरूरत होती है जिससे उसके समय की बचत होगी.

क्या है तरीका

जब फॉर्म को फ्रैंकिंग यानी मुहर लगाने की प्रक्रिया के लिए लिया जाता है तो पहले उसे सिग्नेचर किए बिना टाइप करना होता है.

यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि फाइनल और कम्पलीट डिटेल को फ्रैंक होने से पहले नहीं भरना चाहिए. इसे डिटेल और सिग्नेचर के बाद किया जाना है और उसके बाद ही एग्रीमेंट मान्य होगा.

बैंक अधिकारी के सामने लॉकर होल्डर को सिग्नेचर करना होगा है और यही कारण है कि लॉकर होल्डर को वहां रहना जरूरी है.

इस मामले में ऐसी कोई स्टैंडर्ड प्रक्रिया नहीं है जिसका पालन बैकं करते हों. इसलिए लॉकर होल्डर को जब ये आता है तो कुछ ऊंच-नीच के लिए के लिए तैयार रहना पड़ता है.

कुछ बैंक निवेशक से कहते हैं कि वो खुद ही अपने पैसों से फ्रैंकिंग करवाकर लाएं, इसलिए, ये प्रक्रिया ग्राहक को पूरी करनी होती है. जबकि दूसरी तरफ कुछ बैंकों के पास स्टाम्प पेपर या फ्रैंकिंग के साथ एग्रीमेंट तैयार होता है और इसलिए, निवेशक को केवल नए समझौते पर हस्ताक्षर भर करने होते हैं.

इसके अलावा, कुछ बैंक KYC दस्तावेजों और फोटो का एक नया सेट भी मांगते हैं. लॉकर होल्डर्स को इसके लिए तैयार रहना होगा और प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

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