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आखिरी समय में कैसे करें टैक्स सेविंग्स, इन बातों का ध्यान रखें निवेशक

टैक्सपेयर्स को निवेश पूरा करने के लिए साल के आखिरी दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि इस पर जल्द से जल्द काम शुरू कर देना चाहिए. आइए ऐसे कुछ तरीके जानते हैं जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं.
NDTV Profit हिंदीअर्णव पंड्या
NDTV Profit हिंदी08:36 AM IST, 20 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
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वित्त वर्ष खत्म होने वाला है. जो लोग ओल्ड टैक्स रिजीम का इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें अपनी टैक्स सेविंग (Income Tax Saving) इन्वेस्टमेंट को पूरा करना होगा और जरूरी डिडक्शन हासिल करने होंगे. मार्च के आखिरी हफ्ते में कुछ छुट्टियां भी हैं और इसलिए डेडलाइन से पहले प्रक्रिया को पूरा करने का ध्यान रखना जरूरी है. टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को निवेश पूरा करने के लिए साल के आखिरी दिन का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि इस पर जल्द से जल्द काम शुरू कर देना चाहिए. आइए ऐसे कुछ तरीके जानते हैं जिनका आप इस्तेमाल कर सकते हैं.

सही कैलकुलेशन करें

सबसे पहले ये पता कर लें कि क्या 1.5 लाख रुपये के निवेश की सीमा का पूरी तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे कुछ निवेश होंगे जो डिडक्शन में पहले ही योगदान दे रहे होंगे और कितनी राशि कम है उसे कैलकुलेट करते समय इसे देखना जरूरी है. उदाहरण के लिए सैलरी हासिल करने वाले लोगों का एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड (EPF) में भी योगदान होता है. इसे सेक्शन 80C के अंदर लिया जाता है. इसी तरह जिन लोगों के पास पहले से लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी मौजूद हैं उनके भुगतान किए गए प्रीमियम को भी लिया जाएगा.

कैलकुलेशन उस राशि के लिए करनी होगी जो बचती है. इससे ये सुनिश्चित होगा कि टैक्स सेविंग में कोई अतिरिक्त पैसा नहीं डाला गया है. क्योंकि ऐसे बहुत से मामले होते हैं जहां निवेशक जरूरत से ज्यादा पैसे का निवेश कर देते हैं.

भविष्य की लायबिलिटी को घटाएं

टैक्स सेविंग निवेश को पूरा करने में आखिरी समय में जल्दबाजी करने से निवेश के पीछे सही तरीके से फैसला नहीं हो पाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति का ध्यान निवेश को पूरा करने पर ही रहता है. इसलिए लोग अक्सर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं क्योंकि ये करना उन्हें आसान लगता है.

हालांकि लंबी अवधि के हिसाब से देखना भी जरूरी है और केवल अभी की सहूलियत पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे प्रोडक्ट्स में कई साल तक प्रीमियम की रिकरिंग पेमेंट होती है. इसलिए यहां व्यक्ति भविष्य के लिए अपने फाइनेंस पर बोझ डाल रहा होता है जिससे बचने की जरूरत है.

एक बार में पूरे इक्विटी एक्सपोजर से बचें

इंडीविजुअल टैक्सपेयर्स को टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स के लिए जोखिम को भी देखना पड़ता है. इक्विटी में सबसे बेहतर ऑप्शन इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) है. इन फंड्स में निवेशक को इक्विटी का एक्सपोजर मिलता है. ये तीन साल के लॉक इन के साथ आता है. पूरे साल ऐसे फंड्स में कई बार निवेश करना सबसे बेहतर रहता है.

हालांकि कुछ टैक्सपेयर्स के पास अपनी 1.5 लाख रुपये की सीमा पर पहुंचने के लिए बड़ी राशि बची हो सकती है. लेकिन मौजूदा समय में उनके पास निवेश को फैलाने का मौका नहीं है. ऐसी स्थिति में केवल ELSS का इस्तेमाल करने से जोखिम बढ़ सकता है जिसे किसी अन्य विकल्प को चुनकर घटाया जा सकता है.

डेट ऑप्शन

डेट के मोर्चे पर बहुत से विकल्प हो सकते हैं जिससे ये सुनिश्चित हो कि सेक्शन 80C की सीमा वित्त वर्ष के लिए पूरी हो जाए. स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में कुछ टैक्स बेनेफिट्स के साथ ज्यादा ब्याज मिलती है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि स्कीम और सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) सबसे बेहतर तीन ऑप्शन हैं जिसका अलग-अलग निवेशक इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे टैक्स बेनेफिट के साथ वित्तीय लक्ष्यों को भी हासिल करने में मदद मिलेगी.

अतिरिक्त डिडक्शन के लिए NPS का करें इस्तेमाल

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में इंडीविजुअल टैक्सपेयर को सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये के ऊपर 50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन मिलता है. जिन लोगों को अपने पोर्टफोलियो में रिटायरमेंट प्रोडक्ट की जरूरत है उनके लिए ये ऑप्शन है जिसे वो इस्तेमाल कर सकते हैं और साथ अतिरिक्त डिडक्शन कमा सकते हैं. टीयर-1 में NPS के लिए लॉक इन लंबा है क्योंकि यहां राशि सिर्फ 60 साल पूरे होने के बाद ही निकाली जा सकती है.

अर्णव पंड्या

(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)

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