सभी म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स के लिए एकसमान टोटल एक्सपेंस रेश्यो (uniform total expense ratio) को लेकर कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने एक प्रस्ताव दिया है. इसके पीछे सोच ये है कि म्यूचुअल फंड नें निवेश करने वालों को ये पता होना चाहिए कि उनसे कितना पैसा म्यूचुअल फंड कंपनियां 'लागत' के तौर पर वसूल रही हैं. इस कदम से इसमें पारदर्शिता आएगी. SEBI ने सभी स्टेकहोल्डर्स से 1 जून तक प्रस्ताव पर टिप्पणी मांगी है.
वर्तमान में SEBI, एसेट्स मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) को म्यूचुअल फंड के यूनिट होल्डर्स से TER लिमिट के अलावा 4 तरह के अतिरिक्त खर्च वसूलने की इजाजत देता है.
एक नजर इन चार खर्चों पर -
ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन कॉस्ट
B-30 शहरों से आने वाले निवेश के लिए डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST)
एग्जिट लोड पर अतिरिक्त खर्च
TER किसी स्कीम के कॉर्पस का वो हिस्सा है जो एक म्यूचुअल फंड हाउस प्रशासनिक और प्रबंधन (Administrative and Management) जैसे खर्चों के लिए चार्ज करता है.
SEBI ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि 'TER मैक्सिसम एक्सपेंस रेश्यो को दर्शाता है, जो एक निवेशक को भुगतान करना पड़ सकता है और इसलिए निवेशक को इसमें लगाए जाने वाले सभी खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही निवेशक से निर्धारित TER सीमा से अधिक राशि नहीं ली जानी चाहिए.'
SEBI ने प्रस्ताव दिया है कि ब्रोकरेज और ट्रांजैक्शन खर्चे TER लिमिट के भीतर शामिल किए जा सकते हैं. इसके अलावा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) सहित निवेश के सभी खर्च और लागत TER लिमिट के भीतर होनी चाहिए.
SEBI ने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि वितरकों को B30 शहरों से निवेश पर अतिरिक्त कमीशन जारी रखा जा सकता है. उन्हें केवल इंडस्ट्रियल लेवल पर B30 शहरों के नए व्यक्तिगत निवेशकों (New Pan) से निवेश के लिए भुगतान किया जा सकता है.
SEBI ने सुझाव दिया है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियां वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और B30 शहरों से रिवार्ड इनफ्लो को बढ़ावा देने के इरादे से अपनी नीति तैयार करें.
इस संबंध में, एसेट मैनेजमेंट कंपनियां टॉप-30 शहरों से आने वाले कमीशन की तुलना में B30 शहरों से आने वाले कमीशन के हाई परसेंटेज का भुगतान करने पर विचार कर सकती हैं.
सेबी ने प्रस्ताव दिया कि एग्जिट लोड के प्रावधान वाली स्कीम्स के लिए 5 बेसिस पॉइंट के अतिरिक्त खर्च को सक्षम करने वाला प्रावधान खत्म किया जा सकता है. 10 साल से ज्यादा समय से एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) को अतिरिक्त खर्च वसूलने की इजाजत मिली हुई है.
TER पर लिमिट, AMC स्तर पर रखने का प्रस्ताव किया गया है और इसमें प्रबंधन शुल्क, ब्रोकरेज और लेनदेन लागत, बी-30 रिवार्ड आदि पर GST सहित सभी लागत और व्यय शामिल हैं.
20% AMC वर्तमान में इंडस्ट्री का करीब 75% AUM का मैनेजमेंट कर रही हैं और कई छोटे AMC लगातार घाटे में चल रहे हैं. इसे देखते हुए SEBI ने संशोधित TER स्लैब का प्रस्ताव रखा है, ताकि इंडस्ट्री के छोटे खिलाड़ी नुकसान में न रहें.
रेगुलेटर ने सुझाव दिया है कि रेगुलर प्लान और डायरेक्ट प्लान के निवेशक से हर खर्च वसूलने में एकरूपता (Uniformity) होनी चाहिए और दोनों प्लान के TER के बीच एकमात्र अंतर डिस्ट्रीब्यूशन कमीशन के खर्च का होना चाहिए. SEBI ने 1 जून तक प्रस्तावों पर टिप्पणी मांगी है.