लंबी अवधि यानी 5 साल तक के लिए सेविंग या निवेश करना हो, तो आमतौर पर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) में पैसे लगाना ज्यादा पसंद करते हैं. इन दोनों ही विकल्पों में 5 साल के लॉक-इन के साथ टैक्स बेनिफिट मिलता है.
FD और NSC में निवेश सुरक्षित तो है ही, साथ ही इन पर ब्याज के रूप में मिलने वाले रिटर्न की गारंटी भी होती है. ज्यादातर बड़े बैंक या पोस्ट ऑफिस 5 साल के एफडी पर 6.5% से 7.5% तक सालाना ब्याज देते हैं. 1 अप्रैल 2023 से NSC पर इंटरेस्ट बढ़कर सालाना 7.7% हो गया है, जो ज्यादातर बैंकों के एफडी से बेहतर है. इसकी तुलना में 5 साल के FD पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) 6.5%, ICICI बैंक 7% और पोस्ट ऑफिस 7.5% सालाना ब्याज दे रहा है.
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) सरकार द्वारा समर्थित है. पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में निवेश 1000 रुपये से शुरू किया जा सकता है. इसके बाद 100 रुपये के मल्टीपल में आप कितनी भी राशि इसमें जमा कर सकते हैं. इस स्कीम में ब्याज सालाना कंपाउंड होता है और मैच्योरिटी के समय दिया जाता है.
5 साल बाद मैच्योरिटी पर अगर आप NSC में निवेश जारी रखना चाहते हैं, तो पुराने सर्टिफिकेट को रिन्यू नहीं किया जा सकता. ऐसा करने के लिए आपको उस वक्त लागू ब्याज दर पर एक नया NSC खरीदना होगा. सर्टिफिकेट खरीदते समय लागू ब्याज दर अगले 5 साल तक कायम रहेगी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट का विकल्प बैंकों के अलावा पोस्ट ऑफिस में भी उपलब्ध है. आमतौर पर इसका टेन्योर 7 दिनों से लेकर 10 साल तक हो सकता है. लेकिन 5 साल के FD ज्यादा पॉपुलर हैं, जिन पर टैक्स छूट का भी लाभ मिलता है. पोस्ट ऑफिस और अलग-अलग बैंकों में FD की ब्याज दरें अलग-अलग हो सकती हैं, इसलिए निवेश करने से पहले बेस्ट डील देख लेनी चाहिए.
NSC: पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट के अनुसार NSC पर अभी 7.7% की दर से सालाना कंपाउंडिंग ब्याज मिल रहा है.
FD: पोस्ट ऑफिस की टाइम डिपॉजिट स्कीम के तहत 5 साल के FD पर सालाना 7.5% की दर से ब्याज मिल रहा है, जबकि प्रमुख बैंक सालाना 6.5% से 7.5% के बीच ब्याज दे रहे हैं.
NSC: इसमें 100, 500, 1000, 5000, 10,000 या इससे ज्यादा के सर्टिफिकेट मिलते हैं. इसमें निवेश करने की कोई सीमा नहीं है.
FD: पोस्ट ऑफिस के साथ ही साथ देश के लगभग सभी प्रमुख बैंक टैक्स सेवर FD की सुविधा देते हैं. इनमें निवेश कम से कम 1000 रुपये से शुरू किया जा सकता है.
NSC: इसमें 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है.
FD: 5 साल के FD में भी 1.50 लाख रुपये के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसके लिए सिंगल या ज्वॉइंट अकाउंट खोले जा सकते हैं. ज्वॉइंट अकाउंट में टैक्स बेनिफिट FD के फर्स्ट अकाउंट होल्डर यानी पहले खाताधारक को मिलता है. टैक्स सेवर FD पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है.
NSC में सोर्स पर टैक्स (TDS) नहीं काटा जाता है. लेकिन FD में सालाना ब्याज की रकम 40,000 रुपये से ज्यादा होने पर 10% TDS काटा जाता है. सीनियर सिटीजंस के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है. आप फॉर्म 15जी (सीनियर सिटीजंस के मामले में 15एच) जमा करके एफडी के ब्याज पर TDS329 से बच सकते हैं. हालांकि इंटरेस्ट इनकम दोनों विकल्पों में टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्सेबल है, इसलिए आप ब्याज पर टैक्स का भुगतान एक्रुअल बेसिस पर या अपना टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कर सकते हैं.
NSC में किए गए निवेश को 5 साल की मैच्योरिटी पूरी होने से पहले निकालने की सुविधा नहीं है. सिर्फ अकाउंट होल्डर के मृत्यु होने पर इसकी छूट मिल सकती है. ज्वाइंट अकाउंट होने पर दोनों खाताधारकों में किसी एक की मौत हो पर भी मैच्योरिटी से पहले पैसे निकाले जा सकते हैं. कानून के आदेश से खाते को जब्त करना संभव है.
डिपॉजिट की तारीख से लेकर 6 महीने खत्म होने तक कोई जमा राशि नहीं निकाली जा सकती है.
अगर टाइम डिपॉजिट अकाउंट 6 महीने बाद लेकिन 1 साल से पहले बंद हो जाता है, तो उस पर डाकघर के बचत खाते के बराबर ही ब्याज मिलेगा.
अगर 5 साल का टाइम डिपॉजिट अकाउंट 1 साल के बाद समय से पहले बंद किया जाता है, तो ब्याज का कैलकुलेशन करते समय एफडी की ब्याज दर से 2% कम ब्याज मिलेगा.
NSC: NSCs को होम लोन, व्हीकल लोन और अन्य सिक्योर्ड लोन के लिए कोलेटरल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
FD: FD भी NSC की तरह ही स्टेबल फाइनेंशियल विकल्प है और इसी वजह से इसे भी व्हीकल लोन, होम लोन या किसी और सिक्योर्ड लोन के लिए कोलेटरल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
(सोर्स: इंडिया पोस्ट, बैंक पोर्टल)