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मिड कैप और स्मॉल कैप में उथल-पुथल; म्युचुअल फंड निवेशक ऐसे बनाएं रणनीति

SIP निवेशकों एलॉकेशन और वेटेज की जांच करनी जरूरी है, जानें कैसे कर सकते हैं अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस, क्या ये मार्केट में इकट्ठा पैसा डालने का वक्त है या नहीं?
NDTV Profit हिंदीअर्णव पंड्या
NDTV Profit हिंदी12:34 PM IST, 14 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
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एक जबरदस्त बुल रन के बाद मिड कैप और स्मॉल कैप शेयर्स (Mid Cap And Small Cap Shares) में जबरदस्त बिकवाली देखी जा रही है. इससे मिड कैप और स्मॉल कैप म्युचुअल फंड इन्वेस्टर्स के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं. बीते कुछ महीनों के दौरान इन कैटेगरीज में जबरदस्त पैसा लगाया गया है, ये इन कैटेगरीज के म्युचुअल फंड्स में कैश इनफ्लो से भी साफ दिखाई देता है.

हाल में SEBI ने इन कैटेगरीज की कुछ कंपनियों को लेकर चेतावनी जारी की थी. फिर कुछ फंड हाउसेज ने स्मॉल कैप फंड्स में अपने इनफ्लो को भी रोका है. इस स्थिति को देखते हुए निवेशकों के सामने आगे बढ़ने से पहले स्पष्ट रणनीति का होना जरूरी है. यहां कुछ तरीके से हैं, जिससे इस स्थिति से निपटा जा सकता है.

SIP से करें निवेश

ऐसे निवेशक जो SIP के जरिए इन फंड्स में पैसा लगाते रहे हैं, उनके लिए अपने निवेश से जुड़े फैसले करना आसान है. अगर आपका पैसा किसी विशेष एसेट के हिसाब से लगाया जा रहा है और ऐसा लंबे वक्त को ध्यान में रखकर किया गया है, तो आपकी SIP चलती रहनी चाहिए.

बाजार में गिरावट SIP को रोकने का वक्त नहीं होता, क्योंकि पूरी प्रक्रिया में फायदा तब होता है, जब कीमतें कम होती हैं. इससे कॉस्ट की एवरेजिंग हो जाती और पहले जितना पैसा आप लगा रहे थे, उसी में ज्यादा शेयर यूनिट आपको मिलती हैं. फिर जिन लोगों ने बढ़िया योजना के साथ SIP का अमाउंट फिक्स कर रखा है, वे अपने इन्वेस्टमेंट पहले जैसा ही जारी रख सकते हैं, बस उन्हें अपनी जोखिम की सीमा को जांचना है.

एलॉकेशन चेक

निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में एलॉकेशन और वेटेज से जुड़े अहम फैसला करने हैं. आम तौर पर ये एक्सरसाइज साल में एक बार होनी चाहिए. जिन्होंने अब तक ये नहीं किया है, उनके लिए मौजूदा स्थिति इसे पूरा करने का एक मौका हो सकती है.

निवेशकों को देखना होगा कि क्या उनके पैसे का आवंटन, जैसा उन्होंने प्लान किया था, उसकी तुलना में बदल गया है. हो सकता है इक्विटी की तरफ ज्यादा झुकाव हो गया हो, क्योंकि बीते एक साल में इस सेगमेंट में अच्छा उछाल आया है. अगर ऐसा है तो एसेट क्लासेज में फिर से संतुलन बनाना होगा और डेट की तरफ भी कुछ हद तक जाना होगा.

दूसरा कदम ये है कि निवेशकों को इक्विटी में भी अलग-अलग मार्केट कैप में अपने पैसे के आवंटन को चेक करना है. अगर स्मॉल कैप में इन म्युचुअल फंड्स के चलते ज्यादा आवंटन है, तो कुछ हद तक लार्ज कैप की तरफ शिफ्ट करने की जरूरत है.

एकट्ठा पैसा नहीं लगाना है

कई निवेशक समय-समय पर म्युचुअल फंड्स में इकट्ठा पैसा लगाते रहते हैं, ऐसा वे तब करते हैं, जब उन्हें लगता है कि ये करने का सही समय है. चूंकि मिड कैप और स्मॉल कैप में स्थिति काफी उथल-पुथल भरी है और अलग-अलग जगहों से वैल्युएशन को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं, जिनमें फंड मैनेजर्स और मार्केट रेगुलेटर्स भी शामिल हैं. ऐसे में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. इस स्थिति में इन फंड्स में इकट्ठा पैसा डालना बेहद जोखिम भरा हो सकता है और इससे बचना चाहिए.

NAV पर हर दिन नजर ना बनाएं

एक म्युचुअल फंड इन्वेस्टर के तौर पर, जिसने मिड और स्मॉल कैप फंड्स में जोखिम लिया है, आपको कम से कम 5 साल की अवधि को लेकर चलना चाहिए. इसका मतलब ये हुआ कि बीच में कई उतार-चढ़ाव आएंगे, जहां तक अंतिम परिणाम की बात है तो इन उतार-चढ़ाव का कोई प्रभाव नहीं होगा. जरूरी है कि निवेशक हर दिन Net Asset Value ना देखे. इससे सिर्फ आपको तुरंत कुछ कदम उठाने की इच्छा तेज होगी और बहुत संभावना है कि आप अपने लंबे वक्त के लक्ष्यों को इसमें नुकसान पहुंचा दें.

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