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ICICI बैंक ने खो दिए ग्राहक के ओरिजनल प्रॉपर्टी पेपर्स! NCDRC ने लगा दिया 25 लाख रुपये का जुर्माना

अपने सामने मौजूद सबूतों को देखते हुए आयोग ने कहा कि सेवा में कमी के आधार पर बैंक से मुआवजा मांगना एक वैध दावा है.
BQP Hindiमोहम्मद हामिद
BQP Hindi11:40 AM IST, 06 Sep 2023BQP Hindi
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क्या हो अगर जिस बैंक से आपने होम लोन लिया है, वो आपके प्रॉपर्टी के ओरिजिनल पेपर्स ही गुम कर दे. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के सामने एक ऐसा ही मामला सामने आया है.

ICICI बैंक ने खो दिए ग्राहक के ओरिजनल प्रॉपर्टी पेपर्स

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग इस मामले में ICICI बैंक पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, क्योंकि उसने एक लोन ग्राहक के प्रॉपर्टी के ओरिजनल टाइटल डॉक्यूमेंट्स ही खो दिए. NCDRC ने बैंक को आदेश दिया कि वो ग्राहक को मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये का भुगतान करे.

मामला बैंगलुरू का है, मनोज मधुसूदनन नाम के एक शख्स ने अप्रैल 2016 में ICICI बैंक से 1.86 करोड़ रुपये का लोन लिया था. इसके एवज में बैंक ने कोलैटरल के तौर पर प्रॉपर्टी के तमाम डॉक्यूमेंट्स रख लिए. इसमें रजिस्टर्ड सेल डीड और पजेशन सर्टिफिकेट भी शामिल थे, लेकिन बैंक ने ये सारे डॉक्यूमेंट्स खो दिए, जब बैंक से डॉक्यूमेंट्स के बारे में पूछा गया तो बैंक मामले को टालता रहा.

बैंक के खिलाफ ग्राहक ने की शिकायत

तब मनोज मधुसूदनन ने बैंक के खिलाफ शिकायत करने का फैसला किया. जून 2016 में उन्होंने बैंकिंग ओम्बुड्समैन का दरवाजा खटखटाया. मनोज ने अपनी शिकायत में बताया है कि बैंक ने इन डॉक्यूमेंट्स की कोई स्कैन कॉपी नहीं दी, बैंक ने उल्टा ये कहा कि बैंगलुरू से हैदराबाद में सेंट्रल स्टोरेज फैसिलिटी में ट्रांजिट के दौरान प्रॉपर्टी के पेपर्स कूरियर कंपनी ने खो दिए. सितंबर 2016 में ओम्बुड्समैन ने बैंक को आदेश दिया कि वो खोए हुए प्रॉपर्टी पेपर्स की डुप्लीकेट कॉपी बनाकर दे, इसको पब्लिक नोटिस में पब्लिश करे और शिकायतकर्ता को 25,000 रुपये का भुगतान करे.

ये फैसला मधुसूदनन के पक्ष में था, लेकिन उन्होनें राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में जाकर बैंक के खिलाफ शिकायत करने की ठानी. उन्होंने आयोग में शिकायत की और आरोप लगाया कि बैंक बेहद लापरवाह था और दस्तावेजों की फोटो कॉपी, ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स की जगह नहीं ले सकतीं. उन्होंने मानसिक पीड़ा और नुकसान के लिए 5 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा. अपने सामने मौजूद सबूतों को देखते हुए आयोग ने कहा कि सेवा में कमी के आधार पर बैंक से मुआवजा मांगना एक वैध दावा है.

आयोग ने कहा कि मौजूदा मामला सेवा में कमी के लिए मुआवजे और भविष्य में किसी भी नुकसान के खिलाफ शिकायत की भरपाई का था. आयोग ने कहा कि बैंक देनदारी को कूरियर कंपनी पर डाल नहीं सकता है.

आयोग ने कहा कि सेवा में कमी को बैंकिंग लोकपाल की ओर से भी सही माना गया है, मामले के तथ्यों और हालातों को देखते हुए, शिकायत में दम है और ये ICICI बैंक के खिलाफ सफल होने के लिए उत्तरदायी है.

NCDRC ने बैंक को दस्तावेजों की सभी रीकंस्ट्रक्टेड और विधिवत प्रमाणित प्रतियों को अपनी लागत पर फिर से पाने का निर्देश दिया. साथ ही मधुसूदनन को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने के साथ-साथ उनके द्वारा किए गए मुकदमे की लागत के लिए 50,000 रुपये भी देने को कहा.

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