किसी रेस्टोरेंट का खाना पसंद न आए, तो अगली बार जगह बदल दी. सिम में नेटवर्क की दिक्कत, तो बस कुछ मैसेज भेजे, नंबर पोर्ट किया और दूसरी कंपनी की सर्विस शुरू. अपनी पसंद के हिसाब से कुछ चीजें बदल लेना कितना आसान है. लेकिन जब बात आती है आपके हेल्थ इंश्योरेंस की, तब चाहे प्रीमियम ज्यादा हो या सर्विस खराब हो, इसे बदलने का ख्याल नहीं आता. लेकिन क्या आप जानते है कि अपनी मर्जी से जब चाहे, अपना हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट किया जा सकता है? चलिए, समझते हैं क्या है इसका पूरा प्रोसेस.
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एक ऐसा ऑप्शन है जिसके इस्तेमाल से आप एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी इंश्योरेंस कंपनी पर स्विच कर सकते हैं. ऐसा कई वजह से किया जा सकता है. जैसे कम कवरेज, ज्यादा प्रीमियम, इंश्योरेंस कंपनी की खराब सर्विस या एडिशनल बेनिफिट्स.
अब ये होगा कैसे?
सबसे पहले, आपको नई इंश्योरेंस कंपनी के पास पोर्ट करने की रिक्वेस्ट डालनी है. इसके लिए नाम, फोन नंबर, ईमेल जैसी बेसिक जानकारी देनी होगी. ये काम कंपनी की वेबसाइट पर या ऑफिस जाकर कर सकते हैं.
इसके बाद कंपनी आपको पोर्टेबिलिटी फॉर्म भेजेगी.
जरूरी डॉक्यूमेंट्स कंपनी के बाद, कंपनी को 15 दिन के अंदर आपकी एप्लिकेशन को स्वीकार करने या उसे खारिज करने को लेकर जवाब देना होता है.
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्ट करते समय 2 बातों का ध्यान रखना अहम है. पहली बात, इंश्योरेंस पोर्ट करने की रिक्वेस्ट, आपकी मौजूदा पॉलिसी की रिन्युअल डेट से कम से कम 45 दिन पहले डालनी होगी. दूसरी बात, नई इंश्योरेंस कंपनी को 3 दिन के अंदर आपके आवेदन का संज्ञान लेना होता है.
इंश्योरेंस पोर्ट के फायदों में सबसे ऊपर आता है- कस्टमाइजेशन. आप अपनी बदलती जरूरतों के हिसाब से ऐसी पॉलिसी चुन सकते हैं, जो आपको सही कवर देती हो.
इंश्योरेंस पोर्ट कराने पर आपका सम इंश्योर्ड और नो क्लेम बोनस भी नई पॉलिसी में जुड़ जाता है. मान लीजिए कि आपने नया कवर लिया 10 लाख का, आपकी पुरानी पॉलिसी का सम इंश्योर्ड था 5 लाख और नो क्लेम बोनस मिला 15 हजार रुपये. तो नई पॉलिसी का कुल अमाउंट हो जाएगा 15 लाख, 15 हजार रुपये.
पॉलिसी पोर्ट कराने के और क्या फायदे-नुकसान हो सकते हैं, जानने के लिए देखिए ये वीडियो: