गुरुवार को अमेरिकी बाजारों को सिर्फ दो घटनाओं ने घुटनों पर ला दिया. दोनों घटनाएं अमेरिका के फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़ी थीं, नतीजा ये कि अमेरिकी बाजार जो इस पूरे हफ्ते रिकवरी दिख रहे थे, गुरुवार को धड़ाम से बैठ गए. अब लोग सवाल ये उठा रहे हैं कि क्या ये एक और बैंकिंग क्राइसिस है. पहले दोनों घटनाएं देख लेते हैं और क्या हुए ये समझ लेते हैं.
पहली घटना है SVB फाइनेंशियल ग्रुप, स्टार्टअप और टेक कंपनियों की फंडिंग करने वाले इस बैंक ने ऐलान किया कि वो 2 बिलियन डॉलर का फंड जुटाएगा. दरअसल, बैंक को बॉन्ड मार्केट में बड़ा नुकसान हो रहा था, जिसकी भरपाई के लिए कंपनी ने फंड जुटाने की योजना बनाई, लेकिन ये निवेशकों को रास नहीं आई, SVB फाइनेशियल का शेयर एक दिन में ही 60% तक टूट गया. कई बार इसके शेयरों में ट्रेडिंग रोकी गई.
इस घटना को लेकर दिग्गज बैंकर उदय कोटक ने भी ट्वीट किया है, उन्होंने लिखा कि बाजार, एनालिस्ट, इन्वेस्टर्स एक बैंक की बैलेंस शीट के लिए वित्तीय स्थिरता को कम आंकते हैं, जब एक ही साल में ब्याज दरें जीरो से 500 bps चली जाती हैं, इस हादसे का कहीं न कहीं इंतजार हो ही रहा था.
SVB फाइनेशियल के ग्राहकों में जैसे बदहवासी सी फैल गई, उन्हें इस बात का आशंका सताने लगी कि बैंक में कहीं कोई बड़ा संकट आने वाला है, नहीं तो बैंक इतनी बड़ी रकम क्यों जुटा रहा है. ग्राहकों ने बैंक से अपने डिपॉजिट निकालना शुरू कर दिया.
SVB फाइनेशियल के ग्राहक अपने डिपॉजिट निकालते जा रहे थे, और बैंक के CEO उनसे शांत रहने की अपील करते रहे, लेकिन तबतक काफी देर हो चुकी थी. काफी डिपॉजिट निकाले जा चुके थे.
SVB फाइनेंशियल के CEO ग्रेग बेकर क्लाइंट्स से शांत रहने की अपील करते रहे, इधर कुछ समय के बाद ये खबर आई कि कई बड़ी वेंचर कैपिटल फर्म ने जिसमें फाउंडर्स फंड के को-फाउंडर पीटर थील भी शामिल हैं, इन सभी ने पोर्टफोलियो कंपनियों को सलाह दी है कि वो सिलिकॉन वैली बैंक में से अपना पैसा निकाल लें.
एक दिन में ही बैंक का शेयर 60% तक टूट चुका था और सितंबर 2016 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. एक दिन में ही इसकी 9.6 बिलियन डॉलर की मार्केट वैल्यू साफ हो गई.
दरअसल, अमेरिका में बढ़ती ब्याज दरों की वजह से बैंकों को बॉन्ड्स पर भारी नुकसान हो रहा है, ब्याज दरों के बढ़ने से ग्राहकों के डिफॉल्ट का खतरा भी बढ़ जाता है. ऐसे में अगर बैंकों के डिपॉजिटर्स भी बैंक से अचानक ही अपना पैसा निकालना शुरू कर देंगे तो बैंक के लिए मुश्किल खड़ा होना लाजिमी, ऐसा ही SVB फाइनेंशियल के साथ भी हुआ.
SVB फाइनेंशियल की वित्तीय हालत के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि कहीं दूसरे बैंकों का भी यही हाल तो नहीं है. एनालिस्ट मानते हैं कि दूसरे कई बैंकों के लिए तुरंत कोई रिस्क हो, ऐसा नहीं लगता है, लेकिन फिर भी ये काफी तकलीफ देने वाला हो सकता है. डिपॉजिट पर एक भारी दबाव का सामना करने की बजाय, बैंकों को बचतकर्ताओं को ज्यादा ब्याज का भुगतान ऑफर करके कड़े कंपटीशन में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. इसका नतीजा ये होगा कि बैंकों की कर्ज से कमाई कम हो जाएगी. ऐसे में बैंकों पर दबाव पड़ेगा ही पड़ेगा.
जख्मों पर नमक छिड़का रेटिंग एजेंसी S&P ने, जिसने SVB फाइनेंशियल की लॉन्ग टर्म रेटिंग को BBB से घटाकर BBB- कर दिया है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि 'SVB की बैलेंस शीट पर बेंचमार्क ब्याज दरों के बढ़ने और मार्केट के अनुमान के मुताबिक महंगाई के लंबे समय तक ऊंचा बने रहने का दबाव उसके मुनाफे और डिपॉजिट पर साफ साफ दिखता है.'
दूसरा मामला है - क्रिप्टो कंपनियों को कर्ज देने वाली सिल्वरगेट कैपिटल (Silvergate Capital) का, अभी क्रिप्टो इंडस्ट्री FTX के झटके से ठीक से उबरी भी नहीं थी कि सिल्वरगेट कैपिटल ने अचानक ही ये ऐलान कर दिया कि वो अपना कारोबार बंद करेगी. बस फिर क्या था, क्रिप्टो फोकस कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिर पड़े. NYSE में सिल्वरगेट का शेयर 42% से ज्यादा टूटा. बिटक्वाइन, एथर, कारडानो में बड़ी गिरावट देखने को मिली.
बिटक्वाइन में तो लगातार चार दिनों से गिरावट चल रही है, गुरुवार को भी ये करीब 9% टूटा, अब ये $20,000 के आस-पास आ चुका है, जो कि इसका मिड-जनवरी के बाद से सबसे निचला स्तर है.
दरअसल, सिल्वरगेट कैपिटल अमेरिका में किप्टो एक्सचेंजों को बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराती है, और ये इसका एक काफी बड़ा प्लेयर है. मुश्किल ये होगी कि सिल्वरगेट के बंद होने के बाद क्रिप्टो और फिएट करेंसी के बीच में पैसों की पेमेंट कैसी होगी. इससे तो क्रिप्टो कंपनियों को धंधा ही चौपट हो जाएगा.
सिल्वरगेट का कारोबार समेटने का ऐलान ऐसे समय पर हो रहा है जब क्रिप्टो इंडस्ट्री कई चुनौतियों से जूझ रही है, FTX का मामला अभी चल ही रहा है, दूसरी तरफ रेगुलेटर्स ने क्रिप्टो इंडस्ट्री पर अपनी सख्ती बढ़ा दी है, ऐसे में ये घटना इस इंडस्ट्री के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है.