Per Capita Income: दोगुनी हो गई है भारत की प्रति व्यक्ति आय, क्या आपकी बढ़ी इनकम?

भारत की आबादी 140 करोड़ है, ऐसे में प्रति व्यक्ति में इजाफे का फायदा सभी को मिले और बराबर मिले इसकी गुंजाइश कम होती है.
BQP Hindiमोहम्मद हामिद
Last Updated On  06 March 2023, 3:00 PMPublished On   06 March 2023, 3:00 PM
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Per Capita Income: साल 2014-15 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बनी NDA की सरकार के बाद अब देश की प्रति व्यक्ति आय (per capita income) दोगुनी हो गई है. लेकिन क्या इसका मतलब देश में रहने वाले हर व्यक्ति की कमाई दोगुनी हो गई है, ऐसा नहीं है.

दोगुनी हो गई प्रति व्यक्ति आय

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2022-23 के लिए 'करेंट प्राइस' पर पर प्रति व्यक्ति इनकम सालाना 1,72,000 रुपये हो गई है. जो कि साल 2014-15 में 86,647 रुपये थी, यानी आज की प्रति व्यक्ति आय से तुलना करें तो अब ये 99% ज्यादा है.

प्रति व्यक्ति आय दोगुनी होने के बावजूद कमाई का असमान वितरण अब भी समस्या है. 'कॉस्टैंट प्राइस' पर, प्रति व्यक्ति आय साल 2014-15 में 72,805 रुपये थी, जो कि 35% बढ़कर साल 2022-23 में 98,118 रुपये हो गई.

प्रति व्यक्ति आय बढ़ने का क्या मतलब

अब ये समझते हैं कि प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने का मतलब क्या है. इसका मतलब है कि देश में हर व्यक्ति की औसत का कितनी है. इसको निकालने के लिए पूरे देश की आबादी की आय को देश की कुल आबादी से भाग दे दिया जाता है, जो भी रकम आती है उसको प्रति व्यक्ति आय माना जता है. इसमें समाज के हर वर्ग की इनकम का जोड़ होता है, इसमें रईस और मध्यम वर्ग और गरीब लोगों की इनकम को जोड़ा जाता है.

क्या सबकी आय दोगुनी हो गई?

भारत की आबादी 140 करोड़ है, ऐसे में प्रति व्यक्ति में इजाफे का फायदा सभी को मिले और बराबर मिले इसकी गुंजाइश कम होती है. दूसरी बात ये कि देश की मुट्ठी भर आबादी के हाथ में ही कुल दौलत का बहुत बड़ा हिस्सा होता है. उनकी आय बढ़ने का फायदा कम आबादी वालों को नहीं होता है. मशहूर अर्थशास्त्री जयति घोष का कहना है कि आप करेंट प्राइस पर GDP को देख रहे हैं, लेकिन जब महंगाई को देखेंगे तो प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी बहुत कम है.

NSO के आंकड़ों के मुताबिक कोविड के दौरान प्रति व्यक्ति आय गिरी थी, हालांकि उसके बाद ये 2021-22 और 2022-23 में इसमें इजाफा देखने को मिला था.

इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (ISID) के डायरेक्टर नागेश कुमार का कहना है कि प्रति व्यक्ति आय रियल टर्म में बढ़ी है और ये बढ़ती हुई समृद्धि में दिख भी रहा है. उनका कहना है कि प्रति व्यक्ति आय का मतलब होता है औसत इनकम. औसत बढ़ती असमानताओं को छिपा देते हैं. ऊंची तरफ इनकम बढ़ने का मतलब ये है कि निचले पायदान पर खड़े लोगों की आय में ज्यादा बदलाव नहीं हो सकता है.हालांकि भारत दुनिया की इकोनॉमी का चमकतार सितारा बना रहेगा.

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