प्राकृतिक आपदाओं से दुनिया जूझ रही है, तो भारत भी अछूता नहीं है. तुर्की में हाल में आए दो भूकंपों ने जो तबाही मचाई वो दुनिया ने देखी. भारत में भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनकी भौगोलिक संरचना उन्हें हमेशा इस खतरे के निशान पर रखती है. कई साल से हिमालय के गर्भ में चल रही भूगर्भीय गतिविधियां कभी भी चिंता का सबब बन सकती हैं.
कुछ ही महीने पहले उत्तराखंड के जोशीमठ से तमाम घरों में दरारें पड़ने की तस्वीरें आईं. जोशीमठ के साथ ही जम्मू के भी कुछ इलाकों के घरों में दरारें आईं. ये कहा जा रहा है कि आने वाले किसी बड़े खतरे की ओर इशारा है.
भारत पिछले कई सालों से किसी प्राकृतिक आपदा की चपेट में नहीं आया है, लेकिन खतरा उसके इर्द-गिर्द ही कहीं घूम रहा है. हिमालय ही क्यों देश की राजधानी दिल्ली फिलहाल सीस्मिक जोन के लिहाज से सबसे खतरनाक जगहों की लिस्ट में आती है. दिल्ली का सीस्मिक जोन IV है, जो कि सबसे खतरनाक है, महीने या साल में हल्के फुल्के झटके जरूर महसूस कर लिए जाते हैं.
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं को टाला तो नहीं जा सकता, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से इनकी निगरानी करके आने वाले किसी खतरे के लिए खुद को तैयार जरूर किया जा सकता है, ताकि जिंदगियों को बचाया जा सके.
भारत में भूकंपीय तरंगों से जुड़ी गतिविधियों को विस्तार से समझने के लिए केंद्र सरकार आने वाले 2-3 साल में 100 नई ऑब्जर्वेटरी का निर्माण करेगी. इसकी जानकारी पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में दी है.
राज्यसभा में डॉ. सी एम रमेश ने पूछा, "क्या स्वचालित मौसम स्टेशनों से मिलने वाले आंकड़ों की सटीकता में आने वाली कमी मशीनों के रख-रखाव और उनकी संख्या में कमी के कारण हो रही है या फिर इसके दूसरे कारण हैं". उन्होंने सरकार से इस उठाए गए कदमों का ब्यौरा भी मांगा.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लिखित जवाब में बताया कि देश में इस वक्त 152 ऑब्जर्वेटरी हैं जो देश भर में भूकंपीय नेटवर्क का रखरखाव करती हैं.
भारत सरकार की नोडल एजेंसी, इस समय देश भर में स्थित 152 वेधशालाओं से युक्त राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क का रखरखाव करती है. ये ऑब्जर्वेटरी देश के ज्यादातर इलाकों में 3.0 या उससे ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप को रिकॉर्ड कर सकती हैं.
केंद्र देश में भूकंपीय निगरानी क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए अगले 2 से 3 वर्षों में 100 और नई वेधशालाएं स्थापित करने की योजना बना रहा है.
उनका कहना है कि देश में जितनी भी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, उनका संबंध भी अक्सर किसी न किसी प्राकृतिक घटना से ही होता है. इसलिए देश में इससे जुड़े हुए जोखिमों को कम करने के लिए वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग समाधान अपनाकर बेहतर रणनीति तैयार करने की जरूरत है.
केंद्रीय राज्य मंत्री ने 2,177 करोड़ रुपये किए अलॉट
15 मार्च को केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में जानकारी दी कि ओशियन सर्विसेज, मॉडलिंग, एप्लिकेशंस, रिसोर्सेज एंड टेक्नोलॉजी (O-SMART) स्कीम में केंद्र ने 5 साल के लिए 2,177 करोड़ रुपये दिए हैं.