भारत अब चीन से टफेंड ग्लास (Toughened glass) के इंपोर्ट पर पांच साल का एंटी-डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty) लगाने पर विचार कर रहा है, डायरेक्टर जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) की जांच को देखते हुए सरकार इस पर फैसला ले सकती है.
सितंबर 2022 में शुरू हुई अपनी जांच में DGTR को डंपिंग और घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचने के सबूत मिले हैं, इसलिए DGTR ने चीन से से टफन्ड ग्लास के इंपोर्ट पर निश्चित एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने की सिफारिश की है.
एक गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक, लेवी की मात्रा की सिफारिश या तो डंपिंग का मार्जिन या नुकसान का मार्जिन, जो भी कम हो, की जाती है ताकि घरेलू उद्योग को होने वाले नुकसान को दूर किया जा सके. ये खासतौर पर चीन से आने वाले 1.8 मिलीमीटर से 8 मिमी के बीच मोटाई और 0.4 वर्गमीटर या उससे कम एरिया वाले घरेलू उपकरणों के लिए कठोर ग्लास के लिए है.
इस खबर के बाद इस सेक्टर से जुड़ी घरेलू कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली.
हालांकि इनमें से कुछ आइटम्स को इससे बाहर रखा जाएगा, जैसे कि बर्तनों के कांच के ढक्कनों में, इलेक्ट्रॉनिक स्विच और स्विचबोर्ड पैनलों में इस्तेमाल किया जाने वाला टफन्ड ग्लास; वॉशिंग मशीन के लिए घुमावदार रंगीन कांच; डबल ग्लेज्ड यूनिट में इस्तेमाल होने वाला ग्लास; गुम्बद के आकार का टफन्ड ग्लास और नालीदार टफन्ड ग्लास.
एंटी डंपिंग ड्यूटी की राशि तय करने के लिए DGTR ने 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 तक अपनी जांच की, इस अवधि के दौरान कथित डंपिंग का अस्तित्व, डिग्री और असर को देखा.
नुकसान की एनालिसिस अवधि में जांच की अवधि के साथ अप्रैल 2018 और मार्च 2021 के बीच तीन साल शामिल हैं.
अथॉरिटी ने कहा कि एंटी-डंपिंग ड्यूटी सिर्फ घरेलू उद्योग को हुए नुकसान का निवारण करने के लिए नहीं है, बल्कि डंपिंग प्रथाओं से मिलने वाले अनुचित लाभ को दूर करने, घरेलू उद्योग के प्रदर्शन में गिरावट को रोकने और उपभोक्ताओं के लिए व्यापक विकल्प की उपलब्धता बनाए रखने के लिए है.