SEBI की बोर्ड बैठक में कई बड़े फैसले किए गए. इन्हीं में से एक है- 'कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड' (Corporate Debt Market Development Fund) की स्थापना को मंजूरी. ये एक ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड होगा जो बाजार के मुश्किल हालात में म्यूचुअल फंड्स के इन्वेस्टमेंट ग्रेड वाले कॉरपोरेट डेट के लिए बैकस्टॉप सुविधा की तरह काम करेगा. बैकस्टॉप यानी क्रेडिट सपोर्ट या क्रेडिट बैकअप की सुविधा.
कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (CDMDF), नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी से मिली गारंटी पर आधारित होगा. SEBI नोटिफिकेशन के मुताबिक, मार्केट के मुश्किल हालात में CDMDF, कॉरपोरेट डेट सिक्योरिटीज को खरीदने के लिए फंड जुटा सकेगा.
इसके अलावा SEBI ने मौजूदा नियमों में संशोधन के जरिए इस बैकस्टॉप फंड के लिए शुरुआती पूंजी की व्यवस्था भी की है. चुनिंदा डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स और एसेट मैनेजमेंट कंपनियां भी इसमें योगदान देंगी.
SEBI अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने कहा कि बैकस्टॉप फैसिलिटी को SBI म्यूचुअल फंड मैनेज करेगा. बुच के मुताबिक, फंड का शुरुआती कॉर्पस 3,000 करोड़ रुपये होगा, जिसमें एसेट मैनेजमेंट कंपनियां योगदान देंगी. सरकार ने 10 गुना लेवरेज को मंजूरी दी है. साथ ही, इसकी गारंटी NCGTC द्वारा दी जाएगी, जो एक सोवरेन गारंटी के तौर पर काम करेगी.
बैठक में कहा गया है कि जल्द ही UPI के जरिए सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए फंड को ब्लॉक किया जा सकेगा. SEBI ने कहा कि क्लाइंट कोलैटरल अभी ट्रेडिंग मेंबर/क्लियरिंग मेंबर के पास होता है, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के पास नहीं जाता. नए फ्रेमवर्क में अब क्लाइंट के कोलैटरल का कस्टडी रिस्क खत्म हो जाएगा. आपको बता दें ये सुविधा निवेशकों और स्टॉक ब्रोकर्स के लिए ऑप्शनल होगी.
माधबी पुरी बुच ने कहा कि SEBI सभी क्लियरिंग कॉरपोरेशन के बीच पोर्टेबिलिटी चाहता है. उन्होंने कहा कि ये साइबर सिक्योरिटी के खतरों को कम करने की कोशिश का हिस्सा है. ये पोर्टेबिलिटी कोलैटरल पर भी लागू होगी.
माधबी ने कहा कि कुछ ब्रोकर्स अवैध खाते खोलने और गलत ट्रेडिंग गतिविधियों में शामिल हैं.
SEBI स्टॉक ब्रोकर्स के फ्रॉड, बाजार के दुरुपयोग को रोकने और पता लगाने की कोशिश के लिए एक संस्थागत मैकेनिज्म बनाएगा. इसके लिए एक रूपरेखा तैयार करने को मंजूरी भी दे दी गयी है. SEBI डेट म्यूचुअल फंड के लिए नियमों में सुधार करने की दिशा में काम कर रहा है.