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Zee-Sony Merger: JC फ्लावर्स ने लेनदारों को धोखा देने का आरोप लगाया, NCLT में अगली सुनवाई 11 को

JC फ्लावर्स के अलावा, एक्सिस फाइनेंस लिमिटेड, IDBI बैंक लिमिटेड और आईमैक्स कंपनी ने भी Zee-Sony मर्जर पर आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:36 AM IST, 05 May 2023NDTV Profit हिंदी
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Zee और Sony के मर्जर को लेकर मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. मर्जर पर आपत्ति जताते हुए Essel Group की क्रेडिटर्स JC फ्लावर्स एंड कंपनी और अन्य लेनदारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है. JC फ्लावर्स ने ZEE एंटरटेनमेंट और कल्वर मैक्स इंटरनेशनल (Sony Pictures) के बीच नॉन-कंपीट अरेंजमेंट की वैधता पर सवाल उठाया है.

नॉन कंपीट फीस पर रार!

JC फ्लावर्स ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच को बताया, 'स्कीम के अनुसार, Essel Group की इकाई, Essel मॉरीशस को Sony Group की इकाई, SPE मॉरीशस से 1,100 करोड़ रुपये का गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क (Non Compete Fee) प्राप्त होगा. ये अमाउंट कानूनी रूप से सुभाष चंद्रा को मिलना चाहिए, क्योंकि ZEE ही है, जो प्रतिस्पर्धा का अपना अधिकार छोड़ रहा है.'

JC फ्लावर्स की ओर से NCLT में पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम ने कहा, 'इस राशि को मॉरीशस इकाई (जिसमें चंद्रा कोई हिस्सेदारी नहीं रखते) को री-डायरेक्ट करके ZEE, अपनी आय को घेरने की या 'Ring-Fence' करने की कोशिश कर रही है.

इनकम टैक्स एक्ट के अनुसार, प्रतिस्पर्धा का अधिकार छोड़ने के लिए प्राप्त या प्राप्त होने वाली कोई भी आय टैक्स योग्य है. स्कीम में प्रस्तावित व्यवस्था ये सुनिश्चित करती है कि भारत में कोई टैक्स देय नहीं है. ये टैक्स चोरी का प्रयास है.
रवि कदम, JC फ्लावर्स के वकील

लेनदारों को धोखा देने की कोशिश!

यस बैंक लिमिटेड ने एस्सेल इंफ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को 377 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिसे बाद में JC फ्लावर्स को सौंपा गया था. कदम ने इस बात पर जोर डाला कि स्कीम के लिए यस बैंक का NOC केवल ZEE को दिए गए कुछ कार लोन के संबंध में है न कि एस्सेल इंफ्रा को दिए गए कर्जों के लिए.

उन्होंने कहा, 'JC फ्लावर्स ने यस बैंक की NOC के आधार पर मुकदमा करने का अपना अधिकार नहीं खोया है.'

उन्होंने NCLT को बताया कि JC फ्लावर्स को सौंपे गए कर्ज की गारंटी सुभाष चंद्रा ने दी थी. लेकिन 'नॉन कंपीट फी' पाने के अपने अधिकार को छोड़कर ZEE और सुभाष चंद्रा, एस्सेल समूह के लेनदारों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं.

NCLT में अगली सुनवाई 11 मई को

कदम ने कहा कि सुभाष चंद्रा और एस्सेल समूह के कर्जों के भुगतान के लिए जिस धन का उपयोग किया जाना चाहिए था, उसे अब किसी बाहरी संस्था को री-डायरेक्ट किया गया है.

JC फ्लावर्स के अलावा, एक्सिस फाइनेंस लिमिटेड, IDBI बैंक लिमिटेड और आईमैक्स कंपनी ने भी Zee-Sony मर्जर पर आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है. ट्रिब्यूनल (NCLT) इस मामले की अगली सुनवाई 11 मई को करेगा.

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