कच्चे तेल की कीमतों में फिर से उबाल है, क्योंकि OPEC+ की बैठक में सऊदी अरब ने कहा है कि वो जुलाई में तेल सप्लाई में 10 लाख बैरल रोजाना कटौती करेगा, जिससे उसका तेल उत्पादन बीते कई सालों में सबसे निचले स्तरों पर पहुंच जाएगा. दुनिया के 40% कच्चे तेल पर OPEC+ देश का ही कब्जा है, इस फैसले का असर कच्चे तेल कीमतों में देखने को मिल सकता है
इस चौंकाने वाले ऐलान का असर ये हुआ कि WTI फ्यूचर्स करीब 5% तक उछल गया और $73 के करीब पहुंच गया, ग्लोबल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड भी $78 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया . OPEC+ की बैठक के बाद सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलअजीज बिन सलमान ने कहा 'हम मार्केट में स्थिरता लाने के लिए जो भी जरूरी होगा करेंगे.'
कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग एंड एनर्जी कमोडिटीज रिसर्च डायरेक्टर विवेक धर ने कहा, मेरे विचार में स्वैच्छिक कटौती, एक निरंतर रैली को बढ़ावा देने की बजाय डाउनसाइड प्रोटेक्शन के लिए ज्यादा है. उन्होंने कहा कि बाजार मैक्रोइकोनॉमिक के व्यापक आउटलुक पर फोकस कर सकते हैं.
डिमांड की चिंताओं का आउटलुक खासतौर पर जैसा कि चीन को लेकर हुआ, इससे न्यू यॉर्क में कच्चा तेल पिछले महीने 11% टूटा. गोल्डमैन सैक्स ग्रुप सहित ज्यादातर बाजार पर नजर रखने वालों ने OPEC+ से उत्पादन में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं की थी और बाकी 23 देशों के गठबंधन ने कोई अतिरिक्त कार्रवाई की पेशकश नहीं की थी.
यही वजह है कि सऊदी अरब बाजार को स्थिर करने के लिए और अपने मार्केट शेयर को छोड़ रहा है. जबकि ग्रुप के बाकी सदस्यों ने 2024 के अंत तक अपनी मौजूदा कटौती को बनाए रखने का वचन दिया है, रूस ने उत्पादन को और कम करने के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अगले वर्ष के लिए ऊंचा प्रोडक्शन कोटा हासिल कर लिया है.
OPEC+ डील अफ्रीकी सदस्यों के साथ लंबे विवाद के बाद आई थी कि उनकी कटौती कैसे मापी जाती है, जिससे बैठक शुरू होने में कई घंटे की देरी हुई. प्रिंस अब्दुलअजीज ने कहा कि अगले महीने की अतिरिक्त कटौती को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन हम बाजार को इस बारे में 'सस्पेंस' में ही रखेंगे कि क्या ऐसा होगा.
वंदा इनसाइट्स की फाउंडर संस्थापक वंदना हरि ने ब्रेंट को लेकर ब्लूमबर्ग टीवी पर कहा, 'सऊदी अरब कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर रखना चाहता है, और ये अब 77 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है' अगर ग्लोबल इकोनॉमी की सेहत बिगड़ती है, तो शॉर्ट सेलर्स तुरंत ही वापस आ जाएंगे.'