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रिलायंस जियो मार्ट में बड़ी छंटनी, करीब 600 कर्मचारियों को निकाला, और लोगों पर गिर सकती है गाज

रिलायंस रिटेल लिमिटेड के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जियोमार्ट ने तकरीबन 500-600 कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:39 PM IST, 23 May 2023NDTV Profit हिंदी
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रिलायंस रिटेल लिमिटेड (Reliance Retail Limited) के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म जियोमार्ट (JioMart) ने करीब 500-600 कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति के मुताबिक मेट्रो कैश एंड कैरी (Metro Cash & Carry) के अधिग्रहण के बाद कंपनी अपने ऑपरेशन को स्ट्रीमलाइन करने के लिए ये फैसला ले रही है.

इस मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने कहा कि कई कर्मचारियों को पहले से ही परफॉर्मेंस इम्प्रूवमेंट प्लान (PIP) पर रखा गया है और बाकियों को जियोमार्ट ने फिक्स्ड पे से वेरिएबल पे पर शिफ्ट कर दिया है. उन्होंने बताया कि ये कंपनी के एनुअल अप्रैजल प्रक्रिया का हिस्सा है.

नौकरियों में कटौती करने पर विचार

इकोनॉमिक टाइम्स (ET) ने सबसे पहले बताया था कि कंपनी आने वाले हफ्तों में अपने कर्मचारियों की दो-तिहाई या 9,900 नौकरियों में कटौती करने पर विचार कर रही है. लेकिन BQ Prime इस संख्या की पुष्टि नहीं करता है. इस रिपोर्ट के पब्लिश होने तक रिलायंस रिटेल लिमिटेड को ईमेल पर भेजे गए प्रश्न का जवाब नहीं आया है. इस मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति ने कहा कि जियोमार्ट से हर साल 400 से 500 लोगों की छंटनी होती है, लेकिन इस साल अधिक कर्मचारी होने के कारण ज्यादा लोगों को निकाला जा सकता है.

आखिर क्यों हो रही है छंटनी

मेट्रो कैश एंड कैरी के इंडिया ऑपरेशन के अधिग्रहण के बाद JioMart को लगभग 3,500 स्थायी कर्मचारी भी मिले. जिसकी वजह से कई लेवल पर कर्मचारियों के रोल ओवरलैप हो गए आपको बता दें, मेट्रो कैश एंड कैरी इंडिया भारत में थोक व्यापार करती थी. इसके अलावा, जियो मार्ट अब मार्जिन में सुधार और घाटे को कम करने की तलाश में है. जिसकी वजह से नौकरी में कटौती कर रही है.

किराना के B2B स्पेस में भारी छूट के साथ जियो मार्ट के मूल्य निर्धारण रणनीति ने शुरू में पारंपरिक वितरकों को उपभोक्ता कंपनियों को आपूर्ति रोकने के लिए प्रमोट किया. लेकिन जैसे ही प्रॉफिट हुआ तो कंपनी ने अपने कुछ गोदामों को बंद करने का भी फैसला किया है.

सामान्य व्यापार- जैसा कि थोक सप्लायर के जरिए सप्लाई होती है. ये भारत की घरेलू रिटेल सप्लाई चेन के लगभग 80% हिस्से को कवर करता है. हालांकि, अब उनका हिस्सा कम हो रहा है क्योंकि कंपनियां अपने मौजूदा नेटवर्क के विस्तार के रूप में या पारंपरिक वितरकों के बेअसर होने के कारण B2B में शिफ्ट हो रही हैं.

वहीं, देश के भीतरी इलाकों यानी दूर के इलाकों में अपनी पहुंच के कारण पारंपरिक वितरकों के पास अभी भी बड़े प्लेयर्स की तुलना में बढ़त है.

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