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ICRR को चरणबद्ध तरीके से वापस लेगा RBI; कल 25% हिस्सा होगा जारी

इसके बाद 23 सितंबर को ICRR का 25% हिस्सा जारी किया जाएगा, आखिर में 7 अक्टूबर को बाकी बचा ICRR का 50% हिस्सा जारी किया जाएगा.
BQP Hindiमोहम्मद हामिद
BQP Hindi02:34 PM IST, 08 Sep 2023BQP Hindi
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रिजर्व बैंक ने बैंकों पर लगने वाले ICRR को चरणबद्ध तरीके से वापस लेने का फैसला किया है. पिछली RBI मॉनिटरी पॉलिसी में रिजर्व बैंक ने बैंकों से 10% का इंक्रिमेंटल कैश रिजर्व रेश्यो यानी ICRR (Incremental Cash Reserve Ratio) मेंटेन करने का निर्देश दिया था.

ICRR को चरणबद्ध तरीके से वापस लेगी RBI

आज रिजर्व बैंक की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक- RBI पहले चरण में 9 सितंबर यानी कल ICRR का 25% हिस्सा जारी करेगा. इसके बाद 23 सितंबर को ICRR का 25% हिस्सा जारी किया जाएगा, आखिर में 7 अक्टूबर को बाकी बचा ICRR का 50% हिस्सा जारी किया जाएगा.

रिजर्व बैंक ने अपनी रिलीज में कहा है कि - यह संकेत दिया गया था कि ICRR लिक्विडिटी की को मैनेज करने के लिए एक अस्थायी उपाय है और त्योहारी सीजन से पहले बैंकिंग प्रणाली में जब्त रकम को वापस करने की दृष्टि से ICRR की समीक्षा 8 सितंबर, 2023 या उससे पहले की जाएगी.

ICRR के जरिए रिजर्व बैंक ने करीब 1 लाख करोड़ की लिक्विडिटी सिस्टम से खींच ली थी. अब चरणबद्ध तरीके से लिक्विडिटी को रिलीज करने का मतलब ये हुआ कि ये पैसा वापस बैंकों के पास आ जाएगा. 1 लाख करोड़ रुपये में से 25% लिक्विडिटी यानी करीब 25,000 करोड़ रुपये कल ही बैंकों को मिल जाएंगे.

ICRR चरणबद्ध तरीके से वापस

  • पहले चरण में 9 सितंबर को ICRR का 25% हिस्सा जारी होगा

  • दूसरे चरण में 23 सितंबर को ICRR का 25% हिस्सा जारी होगा

  • आखिरी चरण में 7 अक्टूबर को ICRR का बाकी 50% हिस्सा जारी होगा

क्यों लागू किया था ICRR

पिछली पॉलिसी में गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने पॉलिसी स्टेटमेंट में कहा था, '12 अगस्त से सभी शेड्यूल्ड बैंकों को अपने बढ़े हुए NDTL (Net Demand And Time Liabilities) पर 10% ICRR मेंटेन करना होगा.

RBI का कहना था कि 2000 रुपये के नोटों के सिस्टम में वापस आने से लिक्विडिटी एक सीमा से ज्यादा बढ़ गई है. इसलिए रिजर्व बैंक ने 19 मई से 28 जुलाई के बीच के जुटाए गए डिपॉजिट पर ICRR लगाने का ऐलान किया था. रिजर्व बैंक ने 19 मई को 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने का ऐलान किया था. RBI ने कहा कि इससे बाजार में अतिरिक्त लिक्विडिटी कम होगी और महंगाई को काबू में रखने में मदद मिल सकेगी.

मौजूदा लिक्विडिटी की स्थिति को देखते हुए ये फैसला लिया गया है कि ICRR के तहत रखी गई राशि को चरणों में जारी किया जाएगा ताकि सिस्टम लिक्विडिटी को अचानक झटके का सामना न करना पड़े और मुद्रा बाजार व्यवस्थित तरीके से अपना काम कर सके.
RBI

ICRR लगाने से क्या होता है

ICRR को समझने से पहले ये जान लेते हैं कि CRR क्या है तो दरअसल होता ये है कि बैंकों नियम के तहत मौजूदा दर के आधार पर 4.50% का कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) मेंटेन करना होता है. यानी अपने कुल डिपॉजिट का 4.50% उन्हें RBI के पास कैश में रखना होता है और इस राशि को वो लोन देने या कहीं निवेश करने में इस्तेमाल नहीं कर सकते. इस बार मामला ये है कि 2000 रुपये के नोटों के वापस आने से सिस्टम में लिक्विडिटी ज्यादा है और RBI इस लिक्विडिटी को कम करना चाहती है ताकि महंगाई पर काबू किया जा सके. इसलिए इंक्रिमेंटल CRR का ये फैसला RBI ने किया था.

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