अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता (Vedanta Resources Ltd) का भारत में चिप या सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने का सपना टूट सकता है, क्योंकि भारत सरकार इसके लिए कंपनी को फंडिंग देने से इनकार कर सकती है. अनिल अग्रवाल ने पिछले साल भारत में 19 बिलियन डॉलर का निवेश करके चिप प्लांट लगाने की घोषणी की थी.
ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक - मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया है कि सरकार अनिल अग्रवाल की वेदांता और आईफोन बनाने वाली होन हाई (Hon Hai Precision Industry Co.) के बीच हुए वेंचर को 28-नैनोमीटर चिप्स को बनाने के लिए इनसेंटिव्स देने से इनकार कर सकती है.
दरअसल पिछले साल भारत सरकार ने देश को सेमीकंडक्टर हब बनाने के मकसद से कंपनियों को आमंत्रित किया था और उन्हें 10 बिलियन डॉलर का इनसेंटिव भी देने का ऐलान किया था. कर्ज में डूबी वेदांता और आईफोन बनाने वाली होन हाई ने एक वेंचर बनाया और सरकार के पास इनसेंटिव के लिए अप्लाई किया था. लेकिन दोनों ही सरकार के क्राइटेरिया पर खरे नहीं उतरे.
ब्लूमबर्ग से मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि - अग्रवाल ने भारत की अपनी सिलिकॉन वैली बनाने के लिए चिप साझेदारी की घोषणा के नौ महीने बाद, इस प्रोजेक्ट को अभी तक 28nm चिप्स के लिए 'एक टेक्नोलॉजी पार्टनर' या 'लाइसेंस मैन्युफैक्चरिंग ग्रेड टेक्नोलॉजी' नहीं मिल पाई है. इस वेंचर को सरकार की आर्थिक मदद हासिल करने के लिए उनमें से कम से कम एक शर्त को पूरा करना जरूरी है.
दरअसल, वेदांता और होन हाई दोनों के पास ही चिपमेकिंग का कोई पिछला महत्वपूर्ण अनुभव नहीं है. प्रोडक्शन रेडी टेक्नोलॉजी खोजने में उनकी मुश्किल इस बात को दर्शाती है कि उनके लिए सेमीकंडक्टर प्लांट को लगाना कितना कठिन काम है. इस पर अरबों रुपये खर्च होते हैं और इसे चलाने के लिए उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की जरूरत होती है.
वेदांता के एक प्रतिनिधि ने कहा कि कंपनी सरकार से अपने आवेदन के नतीजे का इंतजार कर रही है. होन हाई, जिस फॉक्सकॉन के नाम से जाना जाता है ने अबतक ईमेल का जवाब नहीं दिया है.