अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुनवाई करते हुए आज सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को जांच के लिए 3 और महीने का समय दे दिया है. SEBI को जांच का और समय देते हुए CJI ने कहा कि 14 अगस्त को एफिडेविट के साथ SEBI की स्टेटस रिपोर्ट जमा कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि SEBI को जांच के लिए अनिश्चितकाल का समय नहीं दे सकते हैं लेकिन अगर वास्तविक कठिनाई होगी तो जांच के लिए 30 सितंबर तक का वक्त देने पर विचार किया जा सकता है.
इसके साथ ही SC की स्वतंत्र कमिटी की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को रिपोर्ट का विश्लेषण करने का समय चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की कमिटी की रिपोर्ट पक्षकारों के साथ भी शेयर की जाएगी. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र कमिटी की रिपोर्ट पर हम अगली सुनवाई 11 जुलाई को करेंगे. CJI ने ये भी कहा कि कमिटी आगे भी विचार करती रहेगी और कोर्ट की सहायता करती रहेगी.
सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि SEBI को ये रिकॉर्ड पर बताना चाहिए कि 2016 से उनकी जांच में क्या-क्या हुआ? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसके जवाब में कहा कि 2016 की बात पूरी तरह अलग थी. 2016 का मामला GDR से जुड़ा हुआ था और उसमें अदाणी ग्रुप की कोई भी लिस्टेड कंपनी शामिल नहीं थी. आप ऐसा नहीं कर सकते कि 2016 और 2021 की बातों को अभी के मामले से जोड़ दें.
GDR मामले में SEBI ने 15 मई को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. SEBI ने साफ किया है कि 2016 से अदाणी ग्रुप पर जांच के आरोप एकदम गलत और 'तथ्यात्मक रूप से निराधार हैं.'
SEBI की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि GDR जारी करने के मामले में जांच पूरी करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत एक्शन लिया जा चुका है. इन 51 भारतीय कंपनियों में अदाणी ग्रुप की कोई भी कंपनी शामिल नहीं है. SEBI की तरफ से ये जवाब ऐसे वक्त में आया है जब ये आरोप लग रहे थे कि GDR मामले में अदाणी ग्रुप पर 2016 से जांच चल रही है. SEBI ने अपने जवाब में इसे पूरी तरह से तथ्यहीन बताया है.
शुक्रवार, 12 मई को अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में जस्टिस सप्रे की कमिटी की रिपोर्ट आ गई है. हम 13-14 मई के दौरान ये रिपोर्ट देखेंगे.
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SEBI की तरफ से मांगे गए 6 महीने के समय का ब्योरा दिया और कहा कि हम उतना ही समय मांग रहे हैं जितना वाकई जरूरी है. इस पर CJI ने कहा था, हम ये नहीं कह रहे कि हम समय नहीं देंगे. 6 महीने नहीं लेकिन हम आपको 3 महीने का समय दे सकते हैं.
12 मई को PILs पर दलील पेश करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था, SEBI को अब तक की जांच में मिली जानकारी कोर्ट को देनी चाहिए. हालांकि CJI ने इससे ये कहते हुए इनकार कर दिया कि 'इस वक्त जानकारी साझा करना उचित नहीं है. अगर SEBI अभी ही जांच की जानकारी देगा तो इससे जांच को नुकसान पहुंचेगा'. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये कोई क्रिमिनल केस नहीं है कि इसकी केस डायरी मांगी जाए.
12 मई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, SEBI के आवेदन में इस्तेमाल किया गया 'Suspicious' शब्द, हमने नहीं दिया बल्कि ये हिंडनबर्ग की तरफ से लगाया गया आरोप है.
12 मई को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता को गलत शब्द के इस्तेमाल पर भी फटकार लगाई. याचिकाकर्ता ने याचिका में'Regulatory Failure' शब्द का इस्तेमाल किया था. जिस पर CJI ने कड़ा ऐतराज जताते हुए इस शब्द का इस्तेमाल न करने की हिदायत दी और कहा कि इससे पूरे बाजार को निगेटिव संदेश जाता है
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 मार्च को अहम फैसला सुनाते हुए एक जांच कमिटी के गठन का आदेश दिया था. इस कमिटी में 6 सदस्य शामिल किए गए थे. इस कमिटी को अपनी जांच रिपोर्ट को दो महीने में तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को एक बंद लिफाफे में जमा कराने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी को ये आजादी भी दी थी कि वो दूसरे एक्सपर्ट्स से भी इस मामले में राय मशवरा ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने जो कमिटी बनाई थी उसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज अभय मनोहर सप्रे कर रहे थे. इस कमेटी में जस्टिस सप्रे के अलावा, जस्टिस OP भट्ट (OP Bhat), जस्टिस जे पी देवधर (JP Devdhar ), के वी कामत (KV Kamath ), नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) और सोमशेखर सुंदरेशन (Somasekharan Sundaresan) भी शामिल थे.
2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को अदाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच करने और 2 महीने के अंदर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था. इसके बाद 29 अप्रैल को SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर जांच रिपोर्ट के लिए 6 महीने का समय मांगा. मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि जिस तरह के आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से लगाए गए हैं, उन ट्रांजैक्शंस की जांच पूरी करने में कम से कम 15 महीने का समय लगना चाहिए. हालांकि SEBI ने ये भी कहा कि वो हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि ये जांच 6 महीने के अंदर पूरी की जा सके. इसके साथ ही SEBI ने साफ तौर पर कहा है कि सिर्फ हिंडनबर्ग के आरोप ही नहीं बल्कि हम ये भी जांच कर रहे हैं कि रिपोर्ट छपने के ठीक पहले और बाद मार्केट में किस तरह की एक्टिविटीज हुईं.