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गोल्डमैन सैक्स ने भारत का GDP अनुमान 6.3% तक बढ़ाया, कहा- इस वजह से बढ़ेगी इकोनॉमी की रफ्तार

ब्रोकरेज फर्म को 2023 की पहली तिमाही के लिए 4.9% की GDP वृद्धि की उम्मीद है, जबकि ब्लूमबर्ग का अनुमान 5.1% है.
BQP HindiBQ डेस्क
01:45 PM IST, 26 May 2023BQP Hindi
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GDP Growth of India: अमेरिकी मल्टीनेशनल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ग्रुप (Goldman Sachs Group) ने नेट एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए वर्ष 2023 के लिए भारत के GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ा दिया है.

ब्रोकरेज फर्म ने कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए भारत के GDP ग्रोथ अनुमान में 30 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी करते हुए इसे 6% से बढ़ाकर 6.3% कर दिया है. ब्रोकरेज फर्म को 2023 की पहली तिमाही में 4.9% की GDP ग्रोथ का अनुमान है. जबकि ब्लूमबर्ग का अनुमान 5.1% है.

गोल्डमैन सैक्स ने कहा है, 'साल-दर-साल आधार पर, CY23 में Q2 से Q4 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5%, 5.9% और 8.1% है. पहले इसी अवधि के लिए भारत के GDP ग्रोथ का अनुमान 9.4%, 5.4%, और 5.7% था.

बढ़ोतरी के पीछे की वजह

गोल्डमैन सैक्स को सेवाओं के निर्यात (Services Exports) में मजबूत रुझान की उम्मीद है, जबकि माल के कम आयात की प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है, जिससे 2023 में शुद्ध निर्यात को बढ़ावा मिलेगा.

वास्तविक निर्यात साल-दर-साल 4% से अधिक बढ़ सकता है, जबकि 2023 में फ्लैट वास्तविक आयात वृद्धि देखी जा सकती है. हालांकि पूंजीगत व्यय के बिंदु पर ब्रोकरेज ने देश के निवेश वृद्धि के अनुमान को कम कर दिया है.

निवेश में ग्रोथ का अनुमान घटाया

ब्रोकरेज ने कैलेंडर वर्ष 2023 में साल-दर-साल 9% की तुलना में देश के निवेश वृद्धि के अनुमान को घटाकर 7.9% कर दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार वर्तमान में अर्थव्यवस्था के लिए अधिकांश कैपेक्स पुश (Capex Push) को बढ़ावा दे रही है. जबकि प्राइवेट सेक्टर में निवेश सुस्त बना हुआ है.

गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि 2024 में आम चुनाव से पहले वित्त वर्ष 2023-2024 की दूसरी छमाही में सरकारी खर्च में तेजी आएगी.

गोल्डमैन सैक्स ने सेवा मांग में 'पॉकेट्स ऑफ स्ट्रेंथ' पर जोर दिया, क्योंकि सर्विस PMI ने 62 के 13 साल के उच्च स्तर को देखा. घरेलू हवाई यात्री यातायात, महामारी-पूर्व के स्तर से अधिक हो गया और वैश्विक विकास में मंदी के बावजूद सेवा निर्यात में कमी आई.

ब्रोकरेज ने कहा, 'निजी क्षेत्र के निवेश की मांग मौन बनी हुई है, जैसा कि हाल के महीनों में बड़ी इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में इंडस्ट्रियल क्रेडिट ग्रोथ में मंदी देखी गई है.'

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लेखकBQ डेस्क
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