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RBI की सख्ती से NBFCs पर दोहरी मार, रिटेल लोन महंगा कर सकते हैं बैंक: एनालिस्ट्स

एनालिस्ट मानते हैं रिस्क वेटेज बढ़ने का बैंकों पर असर होगा, वो अपना मुनाफा सुरक्षित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं
BQP Hindiमोहम्मद हामिद
BQP Hindi02:58 PM IST, 17 Nov 2023BQP Hindi
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रिजर्व बैंक ने बैंकों और NBFCs के अनसिक्योर्ड लोन के लिए रिस्क वेटेज बढ़ा दिया, RBI का ये फैसला खासतौर पर NBFCs पर दोहरी मार है. क्योंकि उसके लिए बैंकों से मिलने वाला लोन महंगा होगा और साथ ही कैपिटल चार्ज भी बढ़ेगा. इसे लेकर कई ब्रोकरेज हाउसेज ने अपनी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें रिजर्व बैंक इस फैसले का बैंकों पर होने वाले असर का आंकलन किया गया है.

अनसिक्योर्ड लोन पर रिस्क वेटेज बढ़ा

गुरुवार को रिजर्व बैंक ने निर्देश जारी कर बैंकों और NBFCs के कंज्यूमर क्रेडिट रिस्क वेटेज को बढ़ाकर 125% कर दिया, जो कि पहले 100% था. बैंकों के कंज्यूमर लोन में पर्सनल लोन शामिल हैं, होम लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन और गोल्ड लोन शामिल नहीं है. NBFCs के लिए कंज्यूमर लोन में रिटेल लोन शामिल है, लेकिन हाउसिंग, एजुकेशन, व्हीकल, माइक्रोफाइनेंस लोन शामिल नहीं है. इसी तरह बैंकों के क्रेडिट कार्ड पर रिस्क वेटेज को 150%, कर दिया गया है, जबकि NBFCs से क्रेडिट कार्ड पर वेटेज 125% होगा, जो कि पहले 125% और 100% हुआ करते थे.

क्या कहते हैं एनालिस्ट

जे एम फाइनेंशियल का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि इन प्रोडक्ट्स को लेकर रेगुलेटर को जो असुविधा है, उससे अनसिक्योर्ड लोन की ग्रोथ दर में कमी आएगी, जिससे नए प्लेयर्स के आने और छोटे प्लेयर्स की आक्रामकता कम हो सकती है.

मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि करीब करीब सभी बड़े बैंकों के रिटेल अनसिक्योर्ड लोन 20-60% YoY की दर से बढ़ रहे हैं, और यही बात बीते कुछ महीनों से रिजर्व बैंक के लिए चिंता का सबब बनी है. हमारा अनुमान है कि रिस्क वेटेज बढ़ने के बाद, बैंक अपने मुनाफे पर होने वाले असर को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं.

मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal)

  • रिस्क वेट में बदलाव के बाद, बैंक अपने मुनाफे पर होने वाले असर को कम करने के लिए इन प्रोडक्ट्स पर ब्याज दरों को बढ़ा सकते हैं

  • NBFCs के लिए भी कॉस्ट ऑफ बॉरोइंग यानी लोन महंगा हो जाएगा क्योंकि बैंक लेंडिंग रेट बढ़ाएंगे जबकि रिस्क वेट बढ़ने से पूंजी खपत बढ़ेगी.

  • रिस्क वेटेज बढ़ने से अनुमान है कि कैपिटल रेश्यो पर 30-85 bps का असर आ सकता है (SBI कार्ड्स को छोड़कर)

बर्नस्टाइन रिसर्च (Bernstein Research)

  • रिजर्व बैंक का ये फैसला नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के लिए दोहरी मार है. NBFCs को ज्यादा पूंजी चाहिए होगी और उनका कॉस्ट ऑफ फंड्स भी बढ़ जाएगा.

  • इसमें भी जो बड़े NBFCs होंगे उन पर ज्यादा असर होगा, क्योंकि उनका कॉस्ट ऑफ फंड्स ज्यादा बढ़ेगा क्योंकि छोटे NBFCs के मुकाबले कैपिटल चार्ज में बदलाव (25bps की बढ़ोतरी) उनके लिए ज्यादा होगा.

  • हमारी कवरेज में ये PayTM और SBI कार्ड्स के लिए निगेटिव होगा. मीडियम टर्म में ये बदलाव SBI कार्ड्स के लिए करीब करीब न्यूट्रल हो सकते हैं, अघर ये बदलाव क्रेडिट कार्ड विकल्पों की ग्रोथ को सीमित करते हैं जिनमें हाल ही में तेज बढ़ोतरी देखी गई है.

  • पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) का पर्सनल लोन एक्सपोजर कम है, रिस्क वेटेज बढ़ने से उनके पहले से ही कम पूंजी स्तरों में बढ़ोतरी हो सकती है

  • HDFC बैंक, एक्सिस बैंक और SBI 'आउटपरफॉर्म' जबकि ICICI बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक की रेटिंग मार्केट परफॉर्म'.

  • PayTM को 'आउटपरफॉर्म' रेटिंग, SBI कार्ड्स की रेटिंग 'अंडरपरफॉर्म'

JM फाइनेंशियल (JM Financial)

  • बड़े बैंकों के CET-1 रेश्यो (Common Equity Tier 1) पर 70–80 बेसिस पॉइंट का असर पड़ सकता है

  • अपने एसेट में कंज्यूमर क्रेडिट की बड़ी हिस्सेदारी के बावजूद, बजाज फाइनेंस की हालिया कैपिटल ग्रोथ इसकी कमाई पर रिटर्न को हल्का कर सकती है

  • बिजनेस के मकसद से लिए गए इंडिविजुअल लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी पर ये कैसे असर करेगा, इस पर नजर रखनी होगी

एमके ग्लोबल (Emkay Global)

  • रिस्क वेटेज बढ़ने से खौस तौर पर उन बैंकों और NBFCs की ग्रोथ को नुकसान होगा, जिनका अनसिक्योर्ड लोन में ज्यादा एक्सपोजर है.

  • बैंक ऊंचे कैपिटल चार्ज के असर को कम करने के लिए लोन की दरों को बढ़ाएंगे

  • बड़े प्राइवेट बैंकों की ग्रोथ में 100 bps की कमी होती है तो रिटर्न ऑन एसेट (RoA) पर 3 bps का असर पड़ेगा और रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) पर 30 bps का असर होगा.

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