देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी ने कारों के दाम को बढ़ाने का एलान किया है. कंपनी ने कहा है कि कीमतों में बढ़ोतरी और नए रेग्युलेटरी नियमों को लागू करने की वजह से कंपनी की लागत बढ़ी है, जिसकी वजह कारों के दाम बढ़ाने का फैसला किया गया है.
हालांकि, कंपनी ने कीमतों में बढ़ोतरी किस तारीख से होगी और कितनी होगी इसका अभी खुलासा नहीं किया है. इस साल कीमतों में मारुति की ये दूसरी बढ़ोतरी होगी, इसके पहले मारुति ने जनवरी में भी कारों के दाम बढ़ाए थे.
मारुति ने कहा है कि कीमतों पर बढ़ते दबाव के बावजूद हमारी कोशिश रही है कि ग्राहकों पर इसका बोझ न डाला जाएगा, अगर डाला जाए तो वो कम से कम हो. लेकिन अब लागत का दबाव ज्यादा है, इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी करना बेहद जरूरी हो गया है.
किस कार की कीमत कितनी बढ़ेगी, इस पर कंपनी का कहना है कि ये उस कार के मॉडल पर निर्भर करेगा.
कार बनाने वाली कंपनियां अपनी नई कारों को 'BS-6 एमिशन नॉर्म्स' के दूसरे चरण के मुताबिक बना रही हैं.
नए नियमों के तहत कंपनियों को BS-6 एमिशन की गाइडलाइंस का पालन करना होगा. इससे गाड़ियां फ्यूल एफिशिएंट होंगी और CO2 एमिशन को कम करने में मदद मिलेगी.
आपको बता दें, Honda Cars, Tata Motors और Hero MotoCorp सहित कई कार बनाने कंपनियां पहले से ही अप्रैल से कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा की है.
1 अप्रैल से टाटा मोटर्स के कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 5% तक बढ़ जाएंगे. टाटा मोटर्स ने कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 1 अप्रैल से 5% तक बढ़ाने का ऐलान किया था वहीं हीरो मोटोकॉर्प ने भी 1 अप्रैल 2023 से अपने कुछ चुनिंदा मॉडल्स की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला किया है. कंपनी ने कहा कहा है कि कीमतों में 2% तक की बढ़ोतरी होगी.
1 अप्रैल से BS-6 के दूसरे चरण के नियम लागू हो जाएंगे. इसमें अब ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक (OBD-2) नियमों को भी जोड़ा गया है. इसके जरिए 1 अप्रैल से कारों में OBD-2 डिवाइस को गाड़ियों में फिट करना जरूरी होगा, जिससे गाड़ी के एमिशन लेवल पर नजर रखी जा सके. ऐसी जांच अभी तक लैबोरेट्री में होती थी.
अब इस डिवाइस को कारों में लगाने की लागत 10 हजार से 30 हजार रुपये के बीच है. जिसके वजह से कारें महंगी हो जाएंगी.