चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबरों समेत सारा डेटा, पहले SBI ने दाखिल किया था एफिडेविट

SBI को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से सारी जानकारी चुनाव आयोग (Election Commission) को देने के लिए 21 मार्च शाम 5 बजे की डेडलाइन मिली थी.

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चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) से जुड़ी जानकारी अपने वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. इस डेटा में बॉन्ड का अल्फा न्यूमेरिक यूनिक नंबर, बॉन्ड की कीमत, बॉन्ड खरीदने वाले का नाम, बॉन्ड भुनाने वाली राजनीतिक पार्टी का नाम, भुनाई गया अमाउंट और पार्टी के बैंक अकाउंट का आखिरी चार डिजिट शामिल है. साइबर सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए पूरा खाता नंबर और बॉन्ड खरीदने वाले कस्टमर की KYC की जानकारी SBI ने इलेक्शन कमीशन को नहीं दी है.

डेडलाइन के पहले ही जमा कर दी डिटेल्स

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने इसे डेडलाइन से कुछ घंटे पहले ही चुनाव आयोग को सौंप दिया था. SBI को 21 मार्च शाम 5 बजे की डेडलाइन मिली थी. बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी जमा करने के बाद SBI चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने सर्वोच्च न्यायालय को हलफनामा देकर बताया भी कि हमने सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी है. इस बात का भी आदेश सुप्रीम कोर्ट ने SBI को दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने SBI को लगाई थी फटकार

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के वक्त चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का लहजा सख्त था. उन्होंने कहा,

"आदेश में साफ-साफ लिखा है कि SBI को सारी जानकारी देनी थी, खरीद और इनकैश दोनों से संबंधित. साफ है कि SBI ने पूरी जानकारी नहीं दी. कोर्ट के आदेशों पर निर्भर मत रहिए. सभी जानकारी को पेश किया जाना चाहिए. SBI सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है."

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, 'हम साफ करना चाहते हैं कि इस जानकारी में अल्फा न्यूमेरिक और सीरियल नंबर शामिल हैं. SBI को जानकारी देने में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए'.

ऐसे देनी थी जानकारी

SBI को कहा गया था कि वो दो हिस्सो में जानकारी दे. पहले हिस्से में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और कितने का बॉन्ड खरीदा गया, इसकी जानकारी दें, फिर दूसरे हिस्से में बताएं कि राजनीतिक पार्टियों को कितना बॉन्ड मिला और उन्होंने अंतरिम आदेश आने तक कितने बॉन्ड इन कैश कराए.

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम?

चुनावी बॉन्ड योजना 2018 में काले धन को राजनीतिक सिस्टम में आने से रोकने के मकसद के साथ शुरू की गई थी. इसके जरिए भारत में कंपनियां और व्यक्ति राजनीतिक दलों को SBI से बॉन्ड के जरिए बिना नाम डिस्क्लोज किए चंदा दे सकते हैं.

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