इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में न करें जल्दबाजी, सही डिटेल्स भरने पर रखें ध्यान

बहुत से लोगों को अपना रिटर्न जल्दी फाइल करना होता है. हालांकि ये कई वजहों से मुमकिन नहीं है.

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इनकम टैक्स विभाग ने अलग-अलग इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म्स जारी कर दिए हैं, जिसका टैक्सपेयर्स FY23-24 के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इस साल इसे टैक्स सीजन की शुरुआत में ही जारी कर दिया है. टैक्सपेयर्स (Taxpayers) और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ITR फॉर्म्स की जरूरतों को देख सकते हैं और डिटेल्स तैयार कर सकते हैं. बहुत से लोगों को अपना रिटर्न (Income Tax Return) जल्दी फाइल करना होता है. हालांकि ये कई वजहों से मुमकिन नहीं है. आइए जान लेते हैं कि कैसे प्रक्रिया को जल्द और बिना किसी दिक्कत पूरा करें.

डिटेल्स पर फोकस करें

टैक्सपेयर्स के लिए ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि जो डिटेल्स वो ITR में फाइल कर रहे हैं वो सही हों और इनकम टैक्स विभाग के पास मौजूद डेटा से मेल खाती हों. अक्सर जल्दबाजी या रिटर्न फाइल करते समय समय के दबाव के चलते कुछ डिटेल्स छूट जाती हैं या गलत भर दी जाती हैं. इससे बाद से बड़ी मुश्किल हो सकती है. रिटर्न को रिवाइज करना पड़ सकता है या टैक्सपेयर को रिटर्न में दी गई डिटेल्स के मिसमैच को लेकर टैक्स विभाग से नोटिस आ सकता है.

इसलिए टैक्सपेयर को रिटर्न फाइल करने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. उन्हें फाइल करने से पहले डेटा को चेक और वेरिफाई कर लेना चाहिए.

टैक्स डिडक्शन एट सोर्स

जल्दी रिटर्न फाइल करने में एक अहम मुश्किल जिसका टैक्सपेयर सामना करते हैं वो टैक्स डिडक्शन एट सोर्स से जुड़ी है. TDS कई स्रोतों से होता है. इनमें सैलरी, इंट्रस्ट इनकम, डिविडेंड आदि शामिल हैं.

TDS रिटर्न की फाइलिंग के बाद साल की आखिरी तिमाही में डिडक्ट हुआ टैक्स आम तौर पर टैक्स रिकॉर्ड्स में दिखता है. ये देखा गया है कि ज्यादातर ये डिटेल्स जून के महीने में उपलब्ध होती हैं. टैक्सपेयर उस समय तक अपना रिटर्न नहीं फाइल कर सकते हैं जब तक उनके पास TDS सर्टिफिकेट डिटेल्स मौजूद नहीं होती हैं. और जिस समय तक ये जारी किया जाता है वो फंस चुके होते हैं और बाकी सभी डिटेल्स तैयार होने पर भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं.

ये सबसे अहम वजहों में से एक है जहां लोगों को दिक्कत होगी. ऐसे में रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया जून के बाद ही होती है.

कुछ मामलों में खास तौर पर जमा हुए ब्याज की जब बात आती है तो टैक्सपेयर को ये नहीं पता होता कि जमा हुई इनकम और टैक्स डिडक्टेड कितना है, जब तक उन्हें फाइनेंशियल एंटिटी से फॉर्म फॉर्म 16A नहीं मिलता. ऐसे मामलों में भी डिटेल्स के आने का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.

जल्दी तैयारी करना

व्यक्ति सभी डिटेल्स उपलब्ध होने तक रिटर्न फाइल नहीं कर सकता लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि टैक्सपेयर्स को और कुछ नहीं करना चाहिए. उनके लिए ये जरूरी है कि वो उनकी इनकम और डिडक्शन से जुड़ी अन्य जानकारी को इकट्ठा करना शुरू कर दें और उसे तैयार रखें.

जब ये जानकारी उपलब्ध हो जाती है तो छूटी हुई डिटेल्स को इसमें जोड़ा जा सकता है. इसके लिए अप्रैल से ही रिटर्न पर काम शुरू करना होगा और इसके फायदे भी हैं. जल्दी शुरू करने से इस बात की उम्मीद बढ़ जाती है कि प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो जाएगी.

जब छूटी हुई डिटेल्स आ जाती हैं तो फिर सही में रिटर्न फाइल की प्रक्रिया को किया जा सकता है. इससे टैक्सपेयर फाइलिंग सीजन की शुरुआत में ही फ्री हो जाता है. इसके अलावा इससे असेस्मेंट और रिफंड भी जल्दी हो जाता है.

अर्णव पंड्या

(लेखक Moneyeduschool के फाउंडर हैं)

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