पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले (Misleading Advertisement Case) में सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने राज्य के मौजूदा और पूर्व आयुष अधिकारियों को शपथ पत्र जमा कर पतंजलि के ऊपर कार्रवाई ना करने की वजह बताने को कहा है.
वहीं बाबा रामदेव और बालकृष्ण पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को ऑर्डर सुनाएगा.
कोर्ट ने स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी के मौजूदा अधिकारियों के साथ-साथ पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर को भी शपथ पत्र दाखिल कर अपना पक्ष बताने को कहा है.
शोकॉज नोटिस के बाद कोर्ट में आने से बचने की कोशिश: SC
जस्टिस कोहली ने कहा, 'पूरे मामले को देखते हुए हमने 6 अप्रैल को बाबा रामदेव के नए एफिडेविट को जमा करने के फैसले पर आपत्ति जताई है. हमने ये भी पाया कि मामले में शोकॉज नोटिस जारी करने के बावजूद उल्लंघनकर्ताओं ने व्यक्तिगत पेशी से बचने की कोशिश की.'
कोर्ट ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी से बचने के विदेश जाने की बात कही. लेकिन जब एफिडेविट जमा किया जा रहा था तब किसी टिकट का रिकॉर्ड ही नहीं था.
5 साल से गहरी नींद में अथॉरिटी
कोर्ट ने आगे कहा कि हम ये देखकर हैरान हैं कि उत्तराखंड स्टेट अथॉरिटी ने फाइल बढ़ाने के सिवाए कुछ नहीं किया. बीते 5 साल से स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी गहरी नींद में सो रही है.
कोर्ट ने कहा, 'हमें लगता है कि अथॉरिटी के पिछले ज्वाइंट डायरेक्टर भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. हम उन्हें एक एफिडेविट जमा कर अपने कंडक्ट को एक्सप्लेन करने का निर्देश देते हैं.'
क्या था मामला?
दरअसल मामला पतंजलि के प्रोडक्ट्स का कई बीमारियों के इलाज के तौर पर प्रचार से जुड़ा है. मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद, पतंजलि की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई.
सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई चल रही थी और बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पतंजलि की दवाओं का प्रचार किया जा रहा था. आरोप है कि ये प्रचार कोविड के दौरान भी किया जा रहा था.
केंद्र पर भी की थी कड़ी टिप्पणी
2 अप्रैल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर भी कड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा कि 'कोविड का वक्त सबसे ज्यादा कठिन था, उस समय पतंजलि ने इलाज का दावा किया. इस पर सरकार ने क्या कार्रवाई की. जबकि कोविड के दौरान सरकार ने खुद कहा था कि पतंजलि की दवाएं सिर्फ सप्लीमेंट्स हैं, हालांकि कहीं छापा नहीं गया?'
कोर्ट ने आगे कहा, 'केंद्र ने कानून के हिसाब से कार्रवाई नहीं की, हम हैरान हैं कि केंद्र ने अपनी आंखें मूंदे रखीं.'