एक नजर भारत के फलते-फूलते शेयर मार्केट पर

आंकड़े चौंकाने वाले तो हैं, लेकिन इसके पीछे भी एक लेयर है, जिसे खोलना जरूरी है.

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साल दर साल भारत का शेयर बाजार नई-नई कंपनियों से गुलजार हो रहा है. लेकिन शेयर बाजार में एंट्री ले रही इन कंपनियों की भारतीय बाजार में परफॉर्मेंस कैसी है? निफ्टी 500 की टॉप कंपनियों पर नजर डालें तो डीप डाइव करने लायक तमाम आंकड़े बाहर निकलते हैं.

इन कंपनियों में 30% कंपनियों का RoCE 10% से कम है. वहीं, ठीक 317 कंपनियों का ROE 20% से कम है. वहीं, 118 कंपनियों का तो 10% से भी कम है. ये आंकड़े चौंकाने वाले तो हैं, लेकिन इसके पीछे भी एक लेयर है, जिसे खोलना जरूरी है. कोविड महामारी के बाद इन आंकड़ों में लगातार सुधार होता नजर आ रहा है.

एक्सिस सिक्योरिटीज (Axis Securities) के फंड मैनेजर नीरज गौरा (Neeraj Gaurh) ने इसे एक पॉजिटिव ट्रेंड कहा. उन्होंने कहा कि छोटे शेयर भी ROE लेवल पर बेहतर परफॉर्म कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमने साइक्लिकल सेक्टर पर ROE में मॉडरेशन नजर आ रहा है, लेकिन ओवरऑल, मौजूदा रेश्यो कोविड-19 के पहले के लेवल से ऊपर आ चुके हैं, जो कि एक पॉजिटिव बात है'.

ROE बेंचमार्क 15% पर स्थिर है वहीं मौजूदा NSE 500 का औसत 13-14% के करीब है.

HDFC सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के हेड दीपक जासनी का मानना है कि बेहतर लीवरेज से ROCE में बढ़ोतरी हो सकती है. बीते कुछ साल में भारतीय कंपनियों ने अपने ऊपर कर्ज को कम किया है, जो उनके बेहतर कैपिटल यूटिलाइजेशन की ओर इशारा करता है.

रिटर्न रेश्यो में ये आंकड़े मिक्स नजर आते हैं. अधिकतर NSE 500 कंपनियां मुनाफे में हैं. सालाना आधार पर नजर डालें तो बीते 5 साल में इनकी बेसलाइन 5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 13 लाख करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गई है.

ऑपरेशनल कैश फ्लो में मजबूती जारी है और ये 10 लाख करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया है.

मौजूदा डेटा पर नजर डालें तो NSE 500 कंपनियों के लिए बीती 4 तिमाही में हर बार कुल मुनाफा 13 लाख करोड़ रुपये के पार जा रहा है.

FY24 की तीसरी तिमाही में ये रिकॉर्ड ऊंचाई पर दर्ज किया गया. इस तेजी की बड़ी वजह ऑयल मार्केटिंग, बिल्डिंग मैटीरियल, ऑटो और फाइनेंस को दी जा सकती है.

गौर इस पॉजिटिव ट्रेंड पर कहते हैं कि ऑटो, कमोडिटी, फार्मा और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बीते कुछ साल में तेजी देखने को मिली है. इस तरह के मार्केट के लिए आउटलुक फेवर में नजर आता है.

यहां तक कि स्मॉलकैप कंपनियां प्री-कोविड लेवल के मुकाबले बेहतर परफॉर्म करती नजर आ रही हैं. इससे NSE 500 की रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) में पॉजिटिव परफॉर्मेंस नजर आ रही है.

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फाइनेंशियल, ऑयल एंड गैस, मेटल और IT सेक्टर NSE 500 में मुनाफे में टॉप पर हैं. इनकी कुल हिस्सेदारी 68% है. ये बात भी गौर करने लायक है कि जो सेक्टर पहले संघर्ष करते नजर आ रहे थे, पोस्ट-कोविड में उन्होंने भी छलांग लगाई है.

उनके फाइनेंशियल मैट्रिक्स में सुधार आया है और कैश फ्लो में स्थिरता रही है.

मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, भारत का पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर 19 साल के उच्चतम स्तर पर है, जो FY24 में GDP का 3.3% है. वहीं, प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडिचर अगले अपसाइकिल फेज में जा रहा है और इसमें ग्रोथ का अनुमान नजर आ रहा है.

गौरा ने कहा, 'ग्रोथ को डबल डिजिट में रखने के लिए कैपिटल कॉस्ट को पूरा करना जरूरी है'.

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ऑर्गनाइज्ड खिलाड़ियों को सुधरती फाइनेंशियल मेट्रिक्स से टॉप-लाइन ग्रोथ मिल रही है. जासनी ने कहा, 'कुछ सेक्टर और कंपनियां पीछे रह गई हैं, लेकिन सरकारी ढांचे पर फोकस करना जरूरी है'.

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